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    कंटेनमेंट जोन की एक तिहाई जनसंख्या कोरोना से संक्रमित- आईसीएमआर

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- सेरोसर्वे के माध्यम से आईसीएमआर ने एक चैंकाने वाला खुलासा किया है। दर असल देश में पहली बार कोरोना वायरस का विस्तार जानने के लिए जनसंख्या आधारित किऐ गये सर्वे में यह रिपोर्ट सामने आई है कि कंटेनमेंट जोन और हॉटस्पॉट में रहने वाली जनसंख्या का करीब एक तिहाई हिस्सा कोरोना वायरस से संक्रमित है। लेकिन यहां राहत की बात यह है कि कंटेनमेंट जोन में लोग काफी संख्या में ठीक भी हो रहे हैं।
                                   भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने इस सर्वे को किया गया। आईसीएमआर ने अपनी प्राथमिक अध्ययन को केंद्रीय कैबिनेट सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ साझा कर दी है। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि ज्यादा मामले वाले जिलों में जो कंटेनमेंट जोन हैं, उसमें रहने वाली 15-30 फीसदी जनसंख्या कोविड-19 संक्रमण से ग्रसित है। इस सेरोसर्वे में कोरोना मरीजों का ब्लड सैंपल लिया गया ताकि ये पता लगाया जा सके कि शरीर में एंटीबॉडी उपस्थित है या नहीं। इस मामले में सार्स-कोव-2 के खिलाफ इम्यूनोग्लोबिन जी एंटीबॉडी का टेस्ट किया जाता है जो सामान्य तौर पर 14 दिनों बाद दिखता है और महीनों तक शरीर में खून के सीरम में बना रहता है।
                                आईसीएमआर ने सीडीसी, विश्व स्वास्थ्य संगठन की भारतीय इकाई और राज्य सरकार की मदद से 70 जिलों के 24,000 सैंपल को इकट्ठा किया। इसमें 10 हॉटस्पॉट शहर मुंबई, अहमदाबाद, पुणे, दिल्ली, कोलकाता, इंदौर, ठाणे, जयपुर, चेन्नई और सूरत को शामिल किया गया है।
    अधिकारी ने कहा कि इस सर्वे से एक बात समझ आती है कि कई शहर और कंटेनमेंट जोन में कोरोना संक्रमित मामले जो दर्शा रहे हैं, वायरस का कहर उससे भी ज्यादा है। वहीं, टियर-2 और टियर-3 शहरों में कोरोना का प्रकोप तुलनात्मक कम है। आईसीएमआर की मदद से राष्ट्रीय वायरोलॉजी संस्थान ने कोविड कवच एलिसा टेस्टिंग किट बनाई जो एंटीबॉडी टेस्ट करती है। आईसीएमआर ने इस टेस्टिंग किट को काफी संवेदनशील और विशेष बताया है। आईसीएमआर ने कहा कि यह कि किट शरीर में मौजूद कम स्तर वाली एंटीबॉडी को भी पकड़ लेती है।

    क्या है सेरोसर्वे?
    सेरोसर्वे का मतलब है कि विशेष लक्ष्य के लिए जनसंख्या का ब्लड सैंपल टेस्ट करना है। इस टेस्ट में सार्स-कोव-2 वायरस यानी कि कोरोना वायरस के लिए शरीर में मौजूद एंटीबॉडी की उपस्थिति को मापने के लिए होता है। एंटीबॉडी होने से यह पता चल जाता है कि उस शख्स को कोरोना था और वो उससे ठीक हो चुका है।

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