
नैनीताल/उत्तराखण्ड/अनीषा चौहान/- उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने पंचायती चुनावों पर लगाए गए स्थगन (स्टे) को हटा लिया है। अब चुनाव पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही संपन्न होंगे। अदालत ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, वहीं राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति दी गई है।
यह फैसला मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने सुनाया। खंडपीठ ने बागेश्वर निवासी याचिकाकर्ता गणेश दत्त कांडपाल की आरक्षण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय लिया। कोर्ट ने 25 जून से शुरू होने वाली चुनाव प्रक्रिया को सामान्य रूप से जारी रखने की अनुमति दे दी है।
सुनवाई के दौरान पंचायत चुनावों में आरक्षण व अन्य आपत्तियों को लेकर लगभग 40 याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें हर्ष प्रीतम सिंह, गंभीर सिंह चौहान, कवींद्र इस्तवाल, रामेश्वर, मोहम्मद सुहेल, सोबेन्द्र सिंह पड़ियार, प्रेम सिंह, विककार सिंह बाहेर, धर्मेंद्र सिंह और पंकज कुमार जैसे याचिकाकर्ताओं की याचिकाएं भी शामिल थीं, जिन्हें मूल याचिका के साथ जोड़ा गया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य सिंह ने डोईवाला विधानसभा क्षेत्र के आरक्षण पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत में 63 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दी गई हैं, जो नियमों के विरुद्ध है। इस पर न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि एससी, एसटी, ओबीसी को आरक्षण देने के बाद शेष सीटें सामान्य वर्ग को दी जाती हैं, और महिलाओं को वर्गवार 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। अतः सामान्य महिला को सामान्य आरक्षण में शामिल करना तर्कसंगत नहीं है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार जोशी, योगेश पचौलिया, जितेंद्र चौधरी और शक्ति सिंह ने भी अपने पक्ष रखे। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत सभी पक्षों को मेरिट के आधार पर सुनेगी और निष्पक्ष निर्णय देगी।
अदालत के इस निर्णय से राज्य में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया को गति मिलेगी और निर्धारित समयसीमा में चुनाव संपन्न कराए जा सकेंगे।
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