नजफगढ़/- कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा, दिल्ली ने 10 से 19 सितम्बर, 2024 तक “कृषि पर्यटन एवं एकीकृत कृषि प्रणाली : स्व-उधमिता सृजन का उत्तम माध्यम“ विषय पर 10 दिवसीय व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य दिल्ली व आसपास के राज्यों के लघु एवं सीमांत किसान, युवाओं एवं नव युवतियों को कृषि पर्यटन एवं एकीकृत कृषि प्रणाली के क्षेत्र में अपना उद्यम एवं स्वरोजगार स्थापित करने हेतु उनकी क्षमता एवं कौशल विकास को विकसित करना था।
इस कार्यक्रम की शुरुआत में केंद्र के अध्यक्ष डॉ. डी. के. राणा ने प्रशिक्षण का उद्घाटन करते हुए बताया कि केन्द्र की यह अच्छी पहल है, क्योकि पर्यटन किसी भी देश का राजस्व उत्पन्न करने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है एवं कृषि पर्यटन ग्रामीण पर्यटन का उभरता हुआ धटक है, जिसमें कृषि की एकीकृत प्रणाली के साथ कृषि पर्यटन को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार स्थापित करने के साथ साथ स्थानीय आबादी को रोजगार और आय का अवसर भी प्रदान कर सकते है, जिससे उपभोक्ताओं को पर्यावरण के साथ साथ जीवन यापन एवं व्यक्तिगत जैविक उत्पाद भी उपलब्ध होगें।
इस प्रशिक्षण की शुरुआत 10 सितम्बर, 2024 से श्री कैलाश, विशेषज्ञ (कृषि प्रसार) के संचालन में हुई, जिन्होनें बताया की किसान हमारे राष्ट्र का गौरव है और पर्यटक हमारे राष्ट्र की सम्पति है। कृषि पर्यटन, पर्यटन का एक रूप है. जिसमें कृषि आधारित प्रणालीयां शामिल होती है जो आगंतुकों को खेतों एवं कृषि गतिविधियों से जोडनें में मदद करता है. जहाँ पर्यटकों को अपने परिवार एवं बच्चों के साथ सीखने का अवसर प्रदान करता है एवं किसान के द्वारा किए जाने वाले विभिन्न खेती के कार्यों को समझने और उनके कार्यों की सराहना करने में भी मदद करता है। इस प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षकों को जैविक कृषि पर्यटन एवं एकीकृत कृषि प्रणाली की स्थापना हेतु उसकी अवधारणा एवं वर्तमान परिदृय, प्रमुख धटक, मुल सिद्धांत, कृषि पर्यटन की स्थापना एवं स्थान चयन में आने वाली चुनौतिया एवं सावधानिया, प्राकृतिक होम स्टे का निर्माण, कृषि पर्यटन के विभिन्न मॉडल, लेआउट एवं योजना, व्यवसाय प्रबंधन के साथ साथ कृषि पर्यटन के प्रमाणीकरण की विस्तृत जानकारी साझा की। डॉ. राकेश कुमार, बागवानी विशेषज्ञ ने कृषि पर्यटन एवं एकीकृत कृषि प्रणाली में बाग की स्थापना, लेण्डस्कैपिंग, लाग्न, हेज, टोपयरी, इनडोर एवं आउटडोर पौधों की देखरेख एवं प्रबंधन के साथ साथ भूदृश्य से पर्यटन स्थल का सौंदर्याकरण की विस्तृत जानकारी दी गई। डॉ. रितु सिंह, विशेषज्ञ (गृह विज्ञान) ने कृषि पर्यटन के जैविक उत्पाद की प्राथमिक एवं द्वितीयक प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन करके सीधे उपभोक्ता को उपलब्ध करवाने के बारे में जानकारी से अवगत करवाया। डॉ. समर पाल सिंह, विशेषज्ञ (सस्य विज्ञान) ने जैविक रूप से एकीकृत कृषि प्रणाली के प्रमुख धटक एवं बागवानी आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली की स्थापना के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की। डॉ. जय प्रकाश, विशेषज्ञ (पशुपालन) ने पर्यटन के साथ स्वदेशी डेयरी फार्मिंग एवं बैकयार्ड मुर्गी पालन के बारे में जानकारी से अवगत करवाया। श्री वृजेश कुमार, विशेषज्ञ (मृदा विज्ञान) ने मिट्टी एवं पानी की जांच के साथ साथ वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन तकनीकी पर भी प्रकाश डाला।
इस प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुकों को नजदीक प्राकृतिक खेती कृषि पर्यटन का भ्रमण एवं समुह अभ्यास से कृषि पर्यटन माडल का निर्माण एवं प्रस्तुति भी की गई। इस 10 दिवसीय प्रशिक्षण में दिल्ली देहात के साथ विभिन्न राज्यों के 06 महिलाएं प्रशिक्षुओं के साथ 26 प्रशिक्षुकों ने भागीदारी की।
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