नईदिल्ली/विशेष खबर/- दिव्यांगता अधिकार अधिनियम- 1995 ने दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन में विकास की एक अलख जगा दी थी। हालाँकि भारत में दिव्यांग व्यक्तियों का एक बहुत बड़ा वर्ग इसके लाभ को ले नहीं ले पाया था। दिव्यांग व्यक्तियों को इसके प्रावधानों की जानकारी का न होना इसका प्रमुख कारण था। इसके बावजूद यह सत्य हैं कि वह अधिनियम दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन विकास में 1995 का अधिनियम मील का पत्थर साबित हुआ। इसके पश्चात आई दिव्यांगता नीति -2006, शिक्षा का अधिकार अधिनियम- 2009 व दिव्यांग अधिकार अधिनियम- 2016 ने दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तनों को और अधिक विस्तार दिया। इन विधिक प्रावधानों के प्रभाव से आज समाज में दिव्यांग व्यक्तियों की सक्रियता व सहभागिताओं का सकारात्मक विस्तार हुआ हैं। दिव्यांग व्यक्तियों को इन विधिक प्रावधानों की जितनी ज्यादा जानकारी होगी वह इनके माध्यम से उतना ही अधिक लाभ ले सकेंगे।
पीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 को हिंदी में विकलांग व्यक्ति अधिनियम 2016 के नाम से जाना जाता है। जिसे अंग्रेजी में पर्सन विद डिसएबिलिटी अधिनियम भी कहा जाता है। पीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 या विकलांग व्यक्ति अधिनियम 2016 मुख्यतः उन समाज के लोगों के लिए है, जो शारीरिक तथा मानसिक रूप से अन्य लोगों से भिन्न है। पीडब्ल्यूडी अधिनियम में इन सभी शारीरिक तथा मानसिक रूप से भिन्न तथा शारीरिक तथा मानसिक रूप से अस्वास्थ्य होने वाले व्यक्तियों को कुछ विशेष प्रकार के अधिकार प्रदान किए गए हैं। सुधा कौल की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत तैयार किए गए इस विधेयक का मसौदा वर्ष 2014 से राज्य सभा में लंबित था।
अधिनियम में निर्धारित विकलांगता की 7 शर्तों के स्थान पर यह विधेयक 21 शर्तों को कवर करता है। साथ ही इस विधेयक ने विकलांगता के लिए किसी भी अन्य शर्त को अधिसूचित करने के लिए सरकार का रास्ता साफ कर दिया है। विधेयक को 2014 में पेश किया गया था. उस समय इस विधेयक में विकलांगता के लिए 19 शर्तें थीं।
इस विधेयक के तहत विकलांगता माने जानी वाली 21 शर्तें इस प्रकार हैं- दृष्टिहीनता, कमजोर दृष्टि, कुष्ठ रोग से मुक्त हो चुके व्यक्ति, बधिर (बहरे और मुश्किल से सुन सकने वाले), चलने में अक्षम, बौनापन, बौद्धिक विकलांगता, मानसिक बीमारी, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार, सेरेब्रल पाल्सी, मांसपेशी दुर्विकास, स्थानीय स्नायविक परिस्थितियां, विशिष्ट प्रज्ञता अक्षमताएं, मल्टीपल स्केलेरोसिस, भाषण और भाषा संबंधी विकलांगता, थैलेसीमिया, होमोफिलिया, सिकल सेल बीमारी, एसिड अटैक के पीड़ित और पार्किंसंस बीमारी।
वर्ष 2011 की जनगणना से पता चलता है कि भारत में विकलांगों की कुल संख्या करीब 2.68 करोड़ या आबादी का 2.21 फीसदी है। विधेयक से बड़ी संख्या में अक्षम लोगों को उनका हक और अधिकार दिलाने की उम्मीद की जा रही है क्योंकि इसमें 1995 के अधिनियम की तुलना में अधिक विकलांगों को कवर किया गया है। इसके अलावा विधेयक में विकलांगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के फैसले को भी अपनाया गया है क्योंकि विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार दुनिया की कुल आबादी का करीब 15 प्रतिशत किसी न किसी प्रकार की विकलांगता से जूझ रहा है।
पीडब्लूडी अधिनियम 2016 की विशेषताएँ निम्न प्रकार से हैंः-
1.पीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 में विकलांगता को एक विकसित और गतिशील अवधारणा के रूप में परिभाषित किया गया है।
3. पीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 में पहली बार भाषण और भाषा विकलांगता को जोड़ा गया है, इसमें एसिड अटैक को भी शामिल किया गया है तथा बीमारी थैलेसीमिया हीमोफीलिया सिकलसेल रोग भी पहली बार शामिल किए गए हैं।
4. पीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 में सरकार के पास यह अधिकार है, कि वह अन्य किसी विकलांगता को इस सूची में शामिल कर सकेंगे। वर्तमान में इस अधिनियम में कुल 21 प्रकार की विकलांगताओं को शामिल किया गया हैं- 1) अंधता 2) दृष्टि मंदता 3) कुष्ठ रोग 4) श्रवण बाधित 5) अस्थि विकलांगता 6) बौनापन 7) बौद्धिक विकलांगता 8) मानसिक रुग्णता 9) आटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर 10) सेरेब्रल पाल्सी 11) मसकुलर डिस्ट्रोफी 12) क्रोनिक नयूरोलोज़िकल कंडीशन 13) विशेष अधिगम विकलांगता 14) मल्टीपल स्क्लेरोसिस 15) संवाद और भाषा विकलांगता 16) थेलेसिमिया 17) हेमोफ़िलिया 18) सिकल सेल बीमारी 19) एसिड पीड़ित 20) बहु विकलांगता जिसमें बधिरता व नेत्रहीनता शामिल हैं 21) पार्किंसन की बीमारी।
5. उपर्युक्त सरकारों पर जिम्मेदारी भी डाली गई है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विकलांग व्यक्ति दूसरों के साथ समान रूप से अधिकारों का आनंद ले सकें।
6. इस अधिनियम के तहत उच्च शिक्षा सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, भूमि के आवंटन में भी आरक्षण होगा तथा गरीबी उन्मूलन योजना का लाभ दिया गया हैं ।
7. पीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के अंतर्गत 6 से 18 वर्ष की आयु के बीच बेंचमार्क विकलांगता वाले प्रत्येक बच्चों को मुफ्त शिक्षा अधिकार दिया गया हैं।
8. प्रधानमंत्री सुगम्य भारत अभियान के तहत प्रभावी आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए प्रावधान किए गए हैं जिसके अंतर्गत निर्धारित समय सीमा में सरकारी भवनों में रेम्प, लिफ्ट, पीली पट्टी व साइन आदि की व्यवस्था अनिवार्य की गई हैं।
9. बेंचमार्क विकलांगता वाले जो भी व्यक्ति होंगे उनके लिए सरकारी संस्थानों में रिक्तियों का आरक्षण 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी की गई हैं ।
10. पीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 में जिला न्यायालय द्वारा संरक्षकता प्रदान करने के प्रावधान है।
11. विकलांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त के कार्यालय को मजबूत भी किया गया, जिन्हें अब दो आयुक्तों और एक सलाहकार समिति द्वारा सहायता प्रदान की गई हैं।
12. पीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 में विकलांग राज्य आयुक्तों के कार्यालयों को मजबूती प्रदान की गई। जिन्हें एक सलाहकार समिति द्वारा सहायता भी प्रदान की गई हैं।
पीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के अंतर्गत विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के लिए मुख्य आयुक्त और राज आयुक्त शिकायत निवारण एजेंसियों के रूप में कार्य करते हैं तथा अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई हैं।
14. पीडब्ल्यूडी अधिनियम चिंताओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया और संविधान और ऐसी समितियों के कार्यों का विवरण नियम में राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित किया गया हैं।
15. पीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 में प्रावधान किया हैं कि विकलांग व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसके लिए राष्ट्रीय और राज्य कोष का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही ट्रस्ट फंड को राष्ट्रीय कोष के साथ सदस्यता भी दी जाएगी।
16. इस विधेयक में विकलांग व्यक्तियों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए दंड का प्रावधान होगा और कानून का उल्लंघन करने पर मजबूती से दंड का प्रावधान किया गया हैं।
17. पीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 अधिनियम का उल्लंघन करने से संबंधित मामलों के लिए सभी जिले में विशेष न्यायालयों को नामित किया जाएगा।
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