• DENTOTO
  • नीदरलैंड्स में चुनावः -चुनावी नेताओं और लोक के बीच अहिंसक चुनाव संपन्न- प्रो.पुष्पिता अवस्थी

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    July 2025
    M T W T F S S
     123456
    78910111213
    14151617181920
    21222324252627
    28293031  
    July 16, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    नीदरलैंड्स में चुनावः -चुनावी नेताओं और लोक के बीच अहिंसक चुनाव संपन्न- प्रो.पुष्पिता अवस्थी

    स्तंभ/- हिंसक विश्व के सामने अहिंसक चुनाव की ऐतिहासिक प्रस्तुति २२ नवंबर २०२३ को संपन्न हुई। दो विश्वयुद्ध के बाद विश्व में सत्ता परिवर्तन और अधिग्रहण के लिए दुनिया में राजनीति ने लोकतंत्र का रुख अपनाया। किसी भी देश में  बिना रक्तपात के सत्ता  स्थापित करने के लिए लोकतंत्र ने लोक के मन और मानस में अपनी कदम चालें चली। सत्ताधारीयों ने अपने पांसे फेंके और धीरे धीरे दुनिया में लोकतंत्र का चरित्र बदलने लगा। चुनाव की महतावकांक्षाए हिंसक रूप अख्तियार करने लगी। लोगों के न चाहते हुए भी बेईमानी और भ्रष्टाचार ने अपनी घुसपैठ बनाई।
              इंटर नेशनल पीस जस्टिस कोर्ट  के शहर  देन हाग, नीदरलैंड की राजधानी में २३ नवंबर की रात  को बिना हिंसा के स्कूल के प्रोग्रेस रिपोर्ट की तरह चुनावी परिणाम उसी तरह आ गए।  जिस तरह रात नौ बजे बजे तक २२ नवंबर को पूरे देश में लगभग 78.02 प्रतिशत वोट पड़े थे।

    इस समय जबकि यूरोप के अन्य देशों की तरह नीदरलैंड्स देश भी मुस्लिम और युद्ध से जूझ रहे देशों की शरण स्थली बना हुआ है। विश्व की हर दिशा से लोग इस सुरक्षित देश में बसना चाहते हैं कम लागत में शिक्षा हासिल होने की व्यवस्था होने के कारण विश्व के युवाओं के भी आकर्षण का  भी नीदरलैंड्स देश अभिभावकों का चहेता केंद्र बना हुआ है। इस तरह चारो ओर से आबादी के दबाव को हर स्तर पर झेलने के बावजूद शांति पूर्वक चुनाव सम्पन्न हो गए।
              तकरीबन चालीस दिन पहले वोट देने के लिए सरकारी पत्र घर आ गया। जिसमें तीन सौ से सात सौ मीटर की दूरी पर पोलिंग बूथ  होने की उसी में सूचना थी। और उम्मीदवारों तथा पार्टी के सभी डिटेल का प्रपत्र भी था। इस दौरान चुनाव के समय में किसी पार्टी के उम्मीदवार ने घर में दस्तक नही दी। न किसी पार्टी और नेता के रोड शो हुए, न किसी पार्टी के नेता द्वारा जन सभा आयोजित हुए, न कारे, जीपें, ट्रक की लाइनें लगी, न पोस्टर लगे, न होर्डिंग लगी। सड़के, चौराहे अपने लिबास में अपनी पहचान के साथ रहे। न सड़को को चुनाव की खबर हुई, न स्कूलों को, न रोज की दिनचर्या को इसकी हवा लगी। कोई प्रचार का शोर नहीं गूंजा। अखबारों के कागज अपमान, हिंसा और अशिष्टता से दूर रहे। वे उम्मीदवार और पार्टी के प्रचार के माध्यम नही बने।
              सोशल मीडिया, टी वी से उम्मीदवारों ने कार्यक्रम आयोजको से बात चीत की। बस इतना ही इसी तरह का चुनाव प्रचार हुआ। देश में 26 पार्टियों के लगभग 1000 उम्मीदवारों ने पार्टी ओर अपनी अस्मिता के आधार पर लोकतंत्र के लिए चुनाव लड़ें। आधा मिलियन नए मतदाता थे।
              गत 20 वर्षो से च्टट नाम की पार्टी से मूल्यों के लिए राजनीति में संघर्ष रत श्री विल्दर्श को 35सीट मिली है। दूसरी पार्टी के रूप में च्अकं और ळतवमद स्पदो सम्मिलित रूप से 25सीट हैं जो दूसरे नंबर पर रही। जिसके नेता यूरोपियन यूनियन के उपाध्यक्ष श्री फ्रांस टिम्मर मान है।
              अब किसके साथ क्या समीकरण बनता है कि  लगभग 77 सीटो की प्रतिनिधि सरकार बन सके। सबकी निगाह इस  अगले परिणाम की है जब इस देश की जनता को सरकार मिलेगी। क्योंकि पिछले चुनाव के 9 माह बाद देश को अपने मतदान के बाद सरकार मिल सकी थी। और उस दौरान भी कोई हिंसा नहीं हुई थी न पत्रकारों ने कोई कोलाहल मचाया था और न ही उम्मीदवारों ने ही कोई आफत खड़ी की थी। पुनः प्रतिक्षा के साथ।

    लेखिका/- प्रो.पुष्पिता अवस्थी
    अध्यक्षः हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन,
    अध्यक्षः आचार्यकुल
    अध्यक्षः गार्जियन आफ अर्थ एंड ग्लोबल कल्चर
    अध्यक्षः इंटरनेशनल नॉन वालेंस एड पीस एकेडमी।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox