उत्तरकाशी टनल में 77 घंटे से फंसे 40 मजदूर, रेस्क्यू में देरी से लोग नाराज

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
September 19, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

उत्तरकाशी टनल में 77 घंटे से फंसे 40 मजदूर, रेस्क्यू में देरी से लोग नाराज

-राहत के लिए लाई गई सेना की हैवी ड्रिलिंग मशीन, मजदूरों की पुलिस से झड़प

देहरादून/शिव कुमार यादव/- उत्तरकाशी टनल हादसे में पिछले 77 घंटे से 40 मजदूर अंदर फंसे हुए हैं। लेकिन बुधवार को टनल के मुहाने पर कुछ मजदूरों ने बचाव व राहत कार्य में लापरवाही को लेकर प्रशासन के खिलाफ हंगामा किया। हालांकि राहत कार्य दल का दावा है कि टनल में सभी मजदूर सुरक्षित है और उन्हे ऑक्सीजन व खाना ठीक ढंग से पंहुचाया जा रहा है। वहीं प्रशासन ने मजदूरों को बचाने के लिए सेना की हैवी ड्रिलिंग मशीन मंगाई है। बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 12 नवंबर की सुबह 4 बजे एक निर्माणाधीन टनल धंस गई थी। चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है।
          फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं। नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल), एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे काम कर रही हैं।

          रेस्क्यू टीम ने मंगलवार को स्टील पाइप के जरिए मजदूरों को निकालने की प्रोसेस शुरू की। इसके लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक की मदद से 35 इंच के डायमीटर का स्टील पाइप टनल के अंदर डालने की कोशिश की गई। हालांकि इसमें सफलता नहीं मिली। रेस्क्यू ऑपरेशन की मॉनिटरिंग कर रहे पीएमओ ने इसके बाद सेना को इसमें शामिल किया। अब सेना अपनी हैवी मशीन से ड्रिलिंग का काम करेगी। सेना का मालवाहक विमान हरक्यूलिस बुधवार को मशीन लेकर चिन्यालीसौड हैलिपेड पहुंचा। यहां से मशीन को सिलक्यारा लाया जाएगा।


        इधर, बुधवार सुबह टनल के बाहर कुछ मजदूरों की पुलिस से झड़प हो गई। ये रेस्क्यू ऑपरेशन में हो रही देरी से नाराज हैं। इनकी मांग थी कि प्रशासन हमें टनल के अंदर जाने दे, हम फंसे हुए अपने साथियों को निकाल लाएंगे।

हैवी ड्रिलिंग मशीन उत्तराखंड पहुंची
उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार ने बताया, सिल्क्यारा सुरंग में रेस्क्यू के लिए हैवी ड्रिलिंग मशीन चिन्यालीसौड़ हेलीपैड पर पहुंच गई हैं। इन्हें जल्द ही असेंबल करके ड्रिलिंग का काम शुरू हो जाएगा। वहीं अंदर फंसे मजूदरों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है। इसके अलावा पीने वाले पाइप में प्रेशर के जरिए चना और चावल मजदूरों तक पहुंचाया जा रहा है।

फंसे हुए मजदूरों में सबसे ज्यादा झारखंड के
स्टेट डिजाजस्टर मैनेजमेंट के मुताबिक, टनल के अंदर झारखंड के 15, उत्तर प्रदेश के 8, ओडिशा के 5, बिहार के 4, पश्चिम बंगाल के 3, उत्तराखंड के 2, असम के 2 और हिमाचल प्रदेश का एक मजदूर शामिल है। बचाव कार्य देखने पहुंचे ब्ड पुष्कर सिंह धामी ने बताया- सभी मजदूर सुरक्षित हैं, उनसे वॉकी-टॉकी के जरिए संपर्क किया गया है। खाना-पानी पहुंचाया जा रहा है। फंसे हुए मजदूरों में से एक गब्बर सिंह नेगी के बेटे को मंगलवार को अपने पिता से कुछ सेकेंड के लिए बात करने की अनुमति दी गई। आकाश सिंह नेगी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया- मेरे पिता सुरक्षित हैं। उन्होंने हमसे चिंता नहीं करने को कहा।

प्लास्टर नहीं होने की वजह से टनल का 60 मीटर हिस्सा धंसा
छक्त्थ् के असिस्टेंट कमांडर करमवीर सिंह ने बताया- साढ़े 4 किलोमीटर लंबी और 14 मीटर चौड़ी इस टनल के स्टार्टिंग पॉइंट से 200 मीटर तक प्लास्टर किया गया था। उससे आगे कोई प्लास्टर नहीं था, जिसकी वजह से ये हादसा हुआ।

घटना की जांच के लिए कमेटी बनाई गई
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर हाईलेवल मीटिंग की। धामी ने बताया- हम रेस्क्यू ऑपरेशन की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्रालय की ओर से भी घटना की मॉनिटरिंग की जा रही है। उत्तराखंड सरकार ने घटना की जांच के लिए छह सदस्यीय कमेटी बनाई है। कमेटी ने आज जांच शुरू भी कर दी है।

चारधाम प्रोजेक्ट का हिस्सा है यह टनल
यह टनल चार धाम रोड प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा है। 853.79 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रहा यह टनल हर मौसम में खुली रहेगी। यानी बर्फबारी के दौरान भी इसमें से लोग आना-जाना कर सकेंगे। इसके बनने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किमी तक कम हो जाएगी।
          दरअसल, सर्दियों में बर्फबारी के दौरान राड़ी टाप क्षेत्र में यमुनोत्री हाईवे बंद हो जाता है। जिससे यमुना घाटी के तीन तहसील मुख्यालयों बड़कोट, पुरोला और मोरी का जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से संपर्क कट जाता है। चारधाम यात्रा को सुगम बनाने और राड़ी टाप में बर्फबारी की समस्या से निजात पाने के लिए यहां ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत डबल लेन सुरंग बनाने की योजना बनी।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox