तोड़े नही जायेगे हलद्वानी में मकान, सुप्रीमकोर्ट ने लगाई रोक

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 30, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

तोड़े नही जायेगे हलद्वानी में मकान, सुप्रीमकोर्ट ने लगाई रोक

-कहा- रातों रात नहीं हटाए जा सकते 50 हजार लोग, रेलवे-उत्तराखंड सरकार को भेजा नोटिस

नई दिल्ली/- उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4000 परिवारों को बेदखल करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत के इस आदेश के बाद 4000 परिवारों के मकानों को फिलहाल नहीं उजाड़ा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजते हुए उत्तराखंड सरकार ओर रेलवे से इस मामले पर जवाब भी मांगा है। कोर्ट ने कहा कि रातों रात आप 50 हजार लोगों को नहीं हटा सकते। यह एक मानवीय मामला है।


              याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें कोई व्यावहारिक समाधान ढूंढना होगा। समाधान का यह सही तरीका नहीं है। जमीन की प्रकृति, अधिकारों की प्रकृति, मालिकाना हक की प्रकृति आदि से उत्पन्न होने वाले कई कोण हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए। इन्हें हटाने के लिए केवल एक सप्ताह का समय काफी कम है। पहले उनके पुनर्वास पर विचार होना चाहिए। बता दें कि जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओक की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। अब अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी।

जो लोग 50-60 सालों से रह रहे उनका क्या होगा?- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड सरकार का स्टैंड क्या है इस मामले में? शीर्ष अदालत ने पूछा कि जिन लोगों ने नीलामी में जमीन खरीदी है, उसे आप कैसे डील करेंगे? लोग 50/60 वर्षों से वहां रह रहे हैं। उनके पुनर्वास की कोई योजना तो होनी चाहिए।

स्कूलों-कॉलेजों को इस तरह से नहीं गिरा सकते- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस जमीन पर आगे कोई निर्माण नहीं होगा। पुनर्वास योजना को ध्यान में रखा जाना चाहिए। ऐसे स्कूल, कॉलेज और अन्य ठोस ढांचे हैं जिन्हें इस तरह नहीं गिराया जा सकता है।

याचिकाकर्ता के वकील ने दी दलील
वहीं इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने दलील देते हुए कहा कि  प्रभावित होने वाले लोगों का पक्ष पहले भी नहीं सुना गया था और फिर से वही हुआ। हमने राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी। उन्होंने कहा कि ये भी साफ नहीं है कि ये जमीन रेलवे की है। हाईकोर्ट के आदेश में भी कहा गया है कि ये राज्य सरकार की जमीन है। इस फैसले से हजारों लोग प्रभावित होंगे।

जानें क्या है हल्द्वानी रेलवे भूमि अतिक्रमण विवाद
इस विवाद की शुरुआत उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद हुई। इस आदेश में रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाए जाने का फैसला दिया गया। खुद अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिन की मोहलत दी गई थी। जारी नोटिस में कहा गया है कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 80.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox