• DENTOTO
  • जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए “एजेंडा 2030” पर मिलकर काम करेंगे भारत-अमेरिका

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    July 2025
    M T W T F S S
     123456
    78910111213
    14151617181920
    21222324252627
    28293031  
    July 14, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए “एजेंडा 2030” पर मिलकर काम करेंगे भारत-अमेरिका

    -प्रधानमंत्रंी नरेन्द्र मोदी व जो बाइडेन पर्यावरण के वैश्विक अनुकूल सहयोग पर एजेंडा 2030 के तहत प्रयास किये शुरू

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने घोषणा की है कि ट्रम्प प्रशासन की नीतियों के ठीक विपरीत, अमेरिका 2005 के स्तरों के सापेक्ष 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 50ः-52ः प्रतिशत की कटौती करेगा। वहीँ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि भारत और अमेरिका पर्यावरण के वैश्विक अनुकूल सहयोग के लिए ष्एजेंडा 2030 नाम से एक साझा प्रयास शुरू कर रहे हैं।
                        बिडेन ने इस बात की भी घोषणा की, कि अमेरिका 2024 तक विकासशील देशों के लिए अपनी वार्षिक वित्तपोषण प्रतिबद्धताओं को न सिर्फ दोगुना कर देगा बल्कि इस बीच जलवायु अनुकूलन का बजट भी तीन गुणा कर देगा। राष्ट्रपति बिडेन और प्रधान मंत्री मोदी के बयान लीडर्स समिट ऑन क्लाइमेट के पहले दिन सामने आये। इस दो दिवसीय समिट का आयोजन बिडेन द्वारा गुरुवार और शुक्रवार को किया जा रहा है। इस शिखर सम्मेलन में 40 राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है – जिनमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल हैं।
                        ध्यान रहे कि यह उत्सर्जन लक्ष्य, जो कि जलवायु पर पेरिस समझौते का हिस्सा हैं, असल में गैर-बाध्यकारी हैं और उन्हें कैसे प्राप्त किया जाएगा, इसका कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। इन लक्ष्यों की घोषणा कर बिडेन प्रशासन दरअसल अन्य देशों को अपनी प्रतिबद्धताओं को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने की उम्मीद कर रहा है। साथ ही, ट्रम्प द्वारा पेरिस समझौते से अमेरिका को हटा लेने के बाद, बिडेन की यह पहल अमेरिका को वैश्विक जलवायु कार्रवाई में नेतृत्व की भूमिका में वापस लाने की भी कोशिश है।
                       बिडेन की वित्त घोषणाएं असल में $ 100 बिलियन प्रति वर्ष की विकसित देशों से विकासशील देशों के लिए 2020-25 की अवधि के लिए प्रतिबद्धता का हिस्सा हैं। बिडेन के अनुसार, ष्यह एक ऐसा निवेश है जो हम सभी के लिए महत्वपूर्ण लाभांश का भुगतान करने जा रहा है। क्योंकि ट्रम्प की वजह से अमेरिका पेरिस समझौते से बाहर हो गया था, इसलिए अभी तक अमेरिका अपनी बकाया वित्तपोषण प्रतिबद्धताओं को भी पूरा नहीं कर पाया है। ओबामा प्रशासन ने ग्रीन क्लाइमेट फंड (विकासशील देशों की मदद के लिए) में 3 बिलियन डॉलर का वादा किया था, लेकिन सिर्फ 1 बिलियन डॉलर का ही भुगतान किया।
                       इस शिखर सम्मेलन में बोलने वाले पहले अतिथियों में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, चीन के राष्ट्रपति शी जिन्फिंग, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन और जापान के प्रधान मंत्री योशीहाइड सुगा रहे। दजलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए विश्व स्तर पर ष्उच्च गतिष् और ष्बड़े पैमाने परष् ठोस कार्रवाई के लिए वकालत करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन में घोषणा की, कि भारत और अमेरिका पर्यावरण के वैश्विक अनुकूल सहयोग के लिए ष्एजेंडा 2030ष् नाम से एक साझा प्रयास शुरू कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि कोविड के बाद के युग के लिए ष्बैक टू बेसिक्सष् की सोच आर्थिक रणनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और जैव-विविधता के बेहतर करने के लिए, तमाम मजबूरियों के बावजूद, ष्कई साहसिक कदमष् उठाए हैं। शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट वैश्विक औसत से 60 प्रतिशत कम है। “हम, भारत में, अपने हिस्से का काम कर रहे हैं। साल 2030 तक 450 गीगावाट का हमारे महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा कि, “मानवता अभी वैश्विक महामारी से जूझ रही है और जलवायु शिखर सम्मेलन समय पर याद दिलाता है कि जलवायु परिवर्तन का गंभीर खतरा गायब नहीं हुआ है।”

    बिडेन और मोदी समेत अन्य देशों के नेतृत्व द्वारा दिए गए बयानों और घोषणाओं का विश्लेष्ण करने पर कुछ बातें सामने आती हैं जो कुछ इस प्रकार हैं

    1. हालाँकि 50-52ः जीएचजी कटौती एक बड़ी घोषणा है, लेकिन अमेरिका की नई जलवायु योजना पर्याप्त नहीं है। अच्छी बात ये है कि अमेरिका वापस पटल पर आ गया है।

    2. अब यह स्पष्ट है कि 2030 तक 50 प्रतिशत की कटौती ज्यादातर प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं ख्अमेरिका, कनाडा, जापान, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, के लिए एक लक्ष्य सा बन गया है और मोटे तौर पर यह 1.5 सी तक तापमान सीमित करने की रणनीति के अनुरूप है।

    3. चीन का इस सम्मेलन में होना ही एक सकारात्मक बात है। साल 2060 तक चीन कैसे कार्बन न्यूट्रल होगा इस पर फिलहाल कुछ स्पष्ट नहीं है और अभी चीन के लिए करने को बहुत है।

    4. प्रधान मंत्री मोदी द्वारा स्वच्छ ऊर्जा पर अमेरिकी साझेदारी की घोषणा में काफी संभावनाएं हैं।

    5. इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका जैसी अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने सुझाव दिया कि यदि वे अधिक आर्थिक सहयोग प्राप्त करते हैं, तो वे अधिक बेहतर लक्ष्य बनायेंगे।

    अमेरिकी घोषणाओं पर टिप्पणी करते हुए, लॉरेंस टुबियाना, सीईओ, यूरोपीय जलवायु फाउंडेशन, ने कहा, ष्नया अमेरिकी जलवायु लक्ष्य सही दिशा में एक कदम है। सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को 2030 तक कम से कम 50ः उत्सर्जन में कटौती करने की दिशा में शिफ्ट होना चाहिए। 2035 तक कार्बन मुक्त बिजली क्षेत्र के लिए अमेरिका का लक्ष्य एक निर्णायक बदलाव है। यह एक मजबूत वैश्विक संकेत देगा कि कोयला, गैस और तेल का युग समाप्त हो गया है। काॅप 26 से पहले अब सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को अपने लक्ष्य के अनुरूप तैयार करने चाहिए और हमें विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त प्रवाह में वृद्धि की अपेक्षा करनी चाहिए।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox