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    लोन मोरेटोरियम पर केंद्र सरकार के हलफनामे से सुप्रीम कोर्ट नही दिखी सहमत

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने मामले की सुनवाई शुरू होते ही अलग-अलग उद्योगों से जुड़े लोगों ने सरकार के हलफनामे को नाकाफी बताया। मोरेटोरियम के दौरान टाली गई ईएमआई पर ब्याज के मामले सरकार के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने असंतोष जताया है। सरकार ने 2 करोड़ रुपये तक का कर्ज लेने वाले लोगों की बकाया राशि पर चक्रवृद्धि ब्याज न लगाने की बात कही थी। कोर्ट ने कहा है कि अलग-अलग उद्योगों की अपनी समस्याएं हैं। सरकार का हलफनामा इस पर कोई बात नहीं करता है। कोर्ट ने सरकार को नया हलफनामा दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया है।
    सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने मामले की सुनवाई शुरू होते ही अलग-अलग उद्योगों से जुड़े लोगों ने सरकार के हलफनामे को नाकाफी बताया. रियल एस्टेट डेवलपर्स की संस्था क्रेडाई के वकील आर्यमान सुंदरम ने कहा कि इस हलफनामे में सिर्फ छोटे कर्ज की बात की गई है। रियल एस्टेट सेक्टर इस समय गहरे संकट में है लेकिन हमारा कोई जिक्र तक नहीं है।
    उद्योग जगत की कई संस्थाओं के लिए मौजूद वकीलों कपिल सिब्बल, राकेश द्विवेदी, हुजेफा अहमदी ने भी मामले में पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को याद दिलाया कि पहले सरकार ने उद्योगों को दिया गया लोन री-स्ट्रक्चर करने की बात कही थी लेकिन हलफनामा इस पहलू पर कुछ नहीं कहता है। इन वकीलों ने यह भी कहा कि सरकार के हलफनामे पर जवाब देने के लिए उन्हें समय दिया जाए।
    इसके बाद जजों ने सरकार की तरफ से मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और रिजर्व बैंक के वकील वी गिरी से पूछा कि हलफनामे में इस पहलू पर बात क्यों नहीं की गई है? जजों ने कहा कि हलफनामे में किसी कामथ कमेटी के रिपोर्ट की बात कही गई है लेकिन यह नहीं बताया गया है कि उस रिपोर्ट का कौन सा हिस्सा सरकार और रिजर्व बैंक ने स्वीकार किया है।
    रिजर्व बैंक के वकील वी गिरी ने कोर्ट को बताया कि कामथ कमेटी का गठन अलग-अलग उद्योगों की समस्याओं पर गौर करने और उनके लोन को री-स्ट्रक्चर करके उन्हें राहत पहुंचाने पर विचार करने के लिए किया गया था। गिरी ने बताया कि कमेटी की सिफारिशों पर विचार किया गया है। जल्द ही उनमें से कई सिफारिशों पर अमल किया जाएगा। रिजर्व बैंक के निर्देश के बाद सभी बैंक अपनी अलग-अलग योजना बना कर उसे लागू करेंगे।
    सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता जवाब के लिए समय मांग रहे हैं. इस पर हमें कोई आपत्ति नहीं है। हम भी कोर्ट के सवाल के मुताबिक नया हलफनामा दाखिल करेंगे। कोर्ट ने इसके लिए समय देते हुए सुनवाई 13 अक्टूबर के लिए टाल दी। बैंकों की संस्था आईबीसी के लिए पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मामले का जल्द निपटारा करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि देरी से बैंकों को भी काफी नुकसान हो रहा है। गौरतलब है कि कोर्ट ने ईएमआई न चुकाने वाले किसी भी खाताधारक पर फिलहाल कार्रवाई न करने का आदेश दे रखा है। कोर्ट ने साल्वे से भी कहा कि वह बैंकों की तरफ से अलग-अलग सेक्टर के लोन री-स्ट्रक्चर करने को लेकर तैयार योजना की जानकारी दें।

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