• DENTOTO
  • हजारों नम आंखों ने दी शहीद हरिओम को विदाई, त्रिशुल पर्वत पर हिमस्खलन में दबकर हुई थी मौत

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    July 2025
    M T W T F S S
     123456
    78910111213
    14151617181920
    21222324252627
    28293031  
    July 28, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    हजारों नम आंखों ने दी शहीद हरिओम को विदाई, त्रिशुल पर्वत पर हिमस्खलन में दबकर हुई थी मौत

    -राजकीय सम्मान के साथ नेवी ने दी शहीद सुबेदार हरिओम को श्रद्धांजलि, शहीद की पत्नी को नौकरी व बेटी की पढ़ाई का खर्च उठायेगी नेवी

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नजफगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- एक अक्तुबर को उत्तराखंड के हिमालयन रेंज में स्थित त्रिशुल पर्वत पर चढ़ाई के दौरान हिमस्खलन में लापता हुए पांच नेवी के अधिकारियों व एक शेरपा की मौत हो गई थी जिसमें से एक सुबेदार हरिओम दिल्ली के नजफगढ़ क्षेत्र के दिचाउं कलां गांव का रहने वाला था। जो इस टीम का नेतृत्व कर रहा था। आज सोमवार को शहीद हरिओम का शव उसके पैतृक गांव दिचाउं में लाया गया जहां उसका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। सुबेदार हरिओम के अंतिम सस्कार में पूरा क्षेत्र उमड़ पड़ा और लोगों ने नम आंखों से शहीद को अपनी श्रद्धाजंली देते हुए विदाई दी। वहीं सुबेदार को उसकी फोर्स ने भी पूरे राजकीय सम्मान के साथ तिरंगे में लपेट कर सलामी गार्द के साथ अपनी श्रद्धाजंलि दी। इस अवसर पर नेवी की तरफ से स्टेशन कमांडर सतीश शिनोय व शहीद की बटालियन ने शहीद हरिओम को श्रद्धांजलि दी और उसके परिजनों को इस दुःख की घड़ी में सांत्वना दी।
                             

    शहीद सुबेदार हरिओम की अंतिम यात्रा पूरे राजकीय सम्मान के साथ निकाली गई। गांव की गलियों से होकर जब शव यात्रा गुजर रही थी तो ग्रामीण अपने घरों से बाहर निकलकर शहीद को नमन कर रहे थे और उस पर फूलों की वर्षा भी कर रहे थे। जैसे ही श्मशान में शहीद का शव अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया तो हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने शहीद को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर नम आंखों से श्रद्धाजंलि भेंट की। यहां बता दें कि शहीद हरिओम का शव कल दिल्ली नेवी मुख्यालय में आ गया था जहां हरिओेम के साथ-साथ तीन और अधिकारियों को भी नेवी प्रमुख एडीमिरल कर्मबीर सिंह व आरआर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जोय चटर्जी ने अपनी श्रद्धाजंलि दी थी जिसके बाद सभी शहीदों के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांवों में भेज दिया गया था। सोमवार को जैसे ही शहीद सुबेदार हरिओम का पार्थिव शव दिचाउं गांव पंहुचा तो पूरे गांव में मातम छा गया। हर कोई शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए गांव की ओर दोड़ पड़ा। शहीद हरिओम को ठीक 12 बजे मुखाग्नि दी गई। इस अवसर पर नजफगढ़ निगम जोन के चेयरमैन सत्यपाल मलिक, भाजपा जिला मंडल अध्यक्ष विजय सोलंकी, आरडब्ल्यूए दिचाउं के अध्यक्ष शिव कुमार शौकीन, भाजपा युवा नेता संदीप शौकीन व सुखचैन सिंह तथा नेवी के स्टेशन कमांडर सतीश शिनोय ने शहीद के परिजनों से मुलाकात कर उन्हे सांत्वना दी।
                            यहां बता दें कि हरिओम 2003 में नेवी में भर्ती हुए थे। इसके बाद 2006 में पर्वतारोहण के लिए इनका चयन हुआ था और दार्जिलिंग स्थित हिमालयन माउनटेंरिंग इंस्टिटृयट से बेसिक माउनटेंरिंग का कोर्स किया। 2008 में एडवांसड माउनटेंरिंग की ट्रेनिंग ली। इसके बाद अपने निरंतर प्रयास के तहत हरिओम ने 2012 में माउंट जोगिन, गंगोत्री पठार, 2015 में मांउट स्टोपंथ, 2016 में सियाचीन ग्लेसियर व 2017 और 2019 में मांउट एवरेस्ट की चौटियां फतेह की। 2021 में नेवी के 20 पर्वतारोही मांउट त्रिशूल शिखर की चढ़ाई कर रहे थे। पूरी टीम दो ग्रुपों में बांटी गई थी जिसमें एडवासंड टीम का नेतृत्व स्वयं हरिओम कर रहे थे। जब उनका दल 6700 मीटर की उंचाई पर था तो अचानक मौसम खराब हो गया और एक बड़ा हिमस्खलन हुआ जिसमें वह व उनके दल के चार साथी और एक शेरपा दब गये। दो दिन तक पर्वतारोहण के सदस्य व रेस्क्यू विभाग के अधिकारी उनकी खोज करते रहे। जिसके बाद 3 अक्तुबर को खोजी दल को नेवी के चार अधिकारियों के शव मिले। लेकिन अभी भी एक अधिकारी व शेरपा का कोई अता पता नही मिला है। हरिओम शुरू से ही काफी प्रतिभावन थे। उन्होने देश सेवा के लिए नेवी को चुना था। वह अपनी देश सेवा की जिम्मेदारी के साथ-साथ खेलों में भी अपनी फोर्स का नाम रोशन कर रहा था। हरिओम के साथी आशीष लांबा ने बताया कि हरिओम को अल्ट्रा रनर का खिताब मिला हुआ था। वह 220 किलोमीटर की मैराथन में भाग ले चुका था और कई बार लगातार 24 घंटे अपने स्टेडियम  ट्रैक पर दोड़ने का रिकार्ड बना चुका है। उनके पिता जयभगवान ने बताया कि हरिओम दृढ़ निश्चय वाला व्यक्ति था वह जो सोच लेता था उसे पूरा करके दिखाता था। उन्होने कहा कि उन्हे अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। हरिओम के बड़े भाई कृष्ण शौकीन ने बताया कि हरिओम की उम्र मात्र 36 वर्ष की ही थी और उसने कई खिताब अपने नाम कर लिये थे। हरिओम अपने पीछे अपनी पत्नी आरती व एक 7 साल ंकी बेटी प्रियांशी को छोड़कर गये हैं। उनकी माता का नाम कमला देवी है जो गृहणी है और पिता खेतीबाड़ी करते है। गांव में उनका पैतृक मकान है और खेतीबाड़ी की जमीन है।
                           हरिओम को श्रद्धांजलि अर्पित करने के उपरान्त नेवी के स्टेशन कमांडर सतीश शिनोय ने नजफगढ़ मैट्रो न्यूज को बताया कि नेवी हरिओम को विभाग की तरफ से मिलने वाली सभी सुविधाये उनकी पत्नी व बच्ची को देगी। उन्होने कहा कि सुबेदार हरिओम की पत्नी को हम उनकी योग्यता के अनुरूप सरकारी नौकरी देंगे व बच्ची की पढ़ाई का सारा खर्च नेवी उठायेगी। हालांकि हरिओम को शहीद का दर्जा नही दिया गया है लेकिन फिर भी जो विभाग व सरकार की योजना के अनुरूप सुविधाये है वह सब उसके परिवार को मिलेगी। जबकि हरिओम के परिजनों ने सरकार से हरिओम के साथ-साथ शहीद हुए दूसरे अधिकारियों के लिए भी शहीद का दर्जा देने की अपील की है।  

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox