
नई दिल्ली/- भारत की स्वतंत्रता के बाद कृषि क्षेत्र में अनेक बदलाव देखने को मिले हैं। हरित क्रांति ने जहाँ देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया, वहीं नई चुनौतियाँ भी सामने आईं। जनसंख्या वृद्धि के कारण भूमि की जोत घट रही है, भूजल स्तर नीचे जा रहा है, मृदा की उर्वरता घट रही है और जलवायु परिवर्तन के चलते वर्षा भी अनियमित हो गई है। इन सभी कारणों से खेती कम लाभदायक होती जा रही है और जीडीपी में कृषि का योगदान कम हुआ है।
कृषि से जुड़े संकटों के समाधान में सरकार की भूमिका
कोविड-19 महामारी के समय संतुलित पोषण और बेहतर स्वास्थ्य की आवश्यकता ने कृषि के महत्त्व को और अधिक बढ़ा दिया। ऐसे में पारम्परिक कृषि सोच से आगे बढ़कर गुणवत्ता और विविधता पर भी ध्यान देना आवश्यक है। सरकार ने कृषि को लाभकारी बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएँ शुरू की हैं।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना व परंपरागत कृषि विकास योजना
इन योजनाओं के तहत किसानों को जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षित किया गया। पतंजलि जैसे संस्थानों ने किसानों को जीवामृत, घन जीवामृत, सूक्ष्म जीवाणुओं और जैविक खाद का उपयोग सिखाया। इससे खेती में रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता नहीं पड़ती और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। प्रशिक्षित किसान आज जैविक उत्पाद बेचकर परंपरागत खेती की तुलना में चार गुना अधिक लाभ कमा रहे हैं। - प्रधानमंत्री किसान क्रेडिट कार्ड योजना
इस योजना के तहत किसानों को आसान दरों पर ऋण उपलब्ध कराया गया है, जिससे वे बीज, खाद, कीटनाशक आदि समय पर खरीद सकते हैं। अब तक लगभग ₹10 लाख करोड़ की सहायता किसानों को मिल चुकी है। - प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)
इस योजना के अंतर्गत देश के छोटे और सीमांत किसानों को हर वर्ष ₹6000 तीन किश्तों में सीधे उनके खाते में ट्रांसफर किए जाते हैं। इससे अब तक 23.7 करोड़ किसान लाभान्वित हो चुके हैं। - न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में ऐतिहासिक वृद्धि
सरकार ने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को उत्पादन लागत से 1.5 गुना तक बढ़ा दिया है। वर्ष 2013-14 के मुकाबले 2025-26 में MSP में दलहन के लिए 735% और तिलहन के लिए 1500% तक वृद्धि हुई है। - प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)
इस योजना से किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीट और बीमारियों से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बीमा सुविधा दी जाती है। अब तक ₹1.75 लाख करोड़ से अधिक दावे निपटाए जा चुके हैं। - मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
इस योजना के अंतर्गत किसानों को उनके खेत की मिट्टी की गुणवत्ता का पूरा विवरण दिया जाता है जिससे वे यह जान सकें कि किस फसल के लिए मिट्टी उपयुक्त है और कौन से उर्वरक किस मात्रा में प्रयोग करें। इससे उत्पादकता और लाभ दोनों में वृद्धि हो रही है। - प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)
“हर बूंद से अधिक फसल” के सिद्धांत पर आधारित यह योजना किसानों को जल प्रबंधन, सिंचाई दक्षता और जल स्रोतों के समुचित उपयोग में सहायता करती है। - खाद्य प्रसंस्करण योजना
सरकार किसानों को खाद्य प्रसंस्करण यूनिट लगाने के लिए ऋण और सब्सिडी देती है। इससे वे अपने उत्पाद जैसे पापड़, अचार, शहद आदि का मूल्यवर्धन कर अधिक लाभ कमा सकते हैं। आज देश की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता 12 लाख टन से बढ़कर 251 लाख टन हो गई है। - ड्रोन दीदी योजना
कृषि में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने उन्हें ड्रोन चलाना सिखाया है। ये महिलाएँ खेतों में दवा छिड़कने का कार्य कर रही हैं जिससे समय, श्रम और लागत तीनों की बचत हो रही है। - ‘निसार’ सैटेलाइट — किसानों के लिए क्रांतिकारी सहारा
भारत द्वारा इसरो के माध्यम से 16 जुलाई को लॉन्च किया जाने वाला ‘निसार’ दुनिया का पहला अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट होगा जो फसल की स्थिति, मिट्टी की नमी और भूमिगत जलस्तर जैसी जानकारी किसानों को उपलब्ध कराएगा। यह कृषि में तकनीकी क्रांति लाने वाला कदम है।
निष्कर्ष
भारत सरकार ने किसानों की दशा और दिशा बदलने के लिए बीते वर्षों में कई प्रभावी योजनाओं को लागू किया है। इन योजनाओं से किसानों को न केवल आर्थिक संबल मिला है, बल्कि आत्मनिर्भर बनने की दिशा में वे तेजी से आगे बढ़े हैं। सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण की इस यात्रा में कृषि और किसान दोनों को प्राथमिकता दी गई है, जो वास्तव में “साल-बेमिसाल” सिद्ध हो रहा है।
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