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नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र एवं ई-स्क्वायर कंपनी के संयुक्त तत्वावधान में ‘सफलता : मन से मंजिल तक’ विषय पर एक प्रेरणादायक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में छात्रों को सफलता के मार्ग पर चलने और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सकारात्मक सोच, समय का सदुपयोग, साहस, धैर्य और दृढ़ संकल्प के महत्व पर जोर दिया गया।
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मुख्य वक्ता श्री सुरेश मोहन सेमवाल, जो पॉसिबलर्स के सह-संस्थापक हैं, ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि “सपनों को देखना पहला कदम है, उन सपनों की पूर्ति के साधनों का संग्रह दूसरा, और उनका सही तरीके से उपयोग कर मंजिल तक पहुंचना अंतिम कदम है।” श्री सेमवाल ने छात्रों को आत्मविश्वास, प्रसन्नता और ईमानदारी के साथ अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा दी।
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कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और ई-स्क्वायर कंपनी की निदेशिका डॉ. नलिनी गुलाटी ने छात्रों को बताया कि उनके भीतर असीम संभावनाएं हैं, जिन्हें पाने के लिए निरंतर प्रयास करना आवश्यक है। डॉ. नलिनी ने अपने जीवन के अनुभव साझा किए और आश्वासन दिया कि वे भविष्य में भी छात्रों का मार्गदर्शन करती रहेंगी। उन्हें 2023 का महिला उद्यमी पुरस्कार भी मिला है, और वे एक सफल उद्योगपति एवं प्राकृतिक स्वास्थ्य की विशेषज्ञ हैं।
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कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री संतोष कुमार श्रीवास्तव ने छात्रों से कहा कि “सफलता केवल मंजिल तक पहुंचने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सतत यात्रा है जिसमें समर्पण और संघर्ष की अहम भूमिका होती है।” उन्होंने इस कार्यशाला को छात्रों के आत्म-विश्वास में वृद्धि करने और प्रेरणा देने का एक सशक्त माध्यम बताया।
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अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने अर्जुन के उदाहरण का हवाला देते हुए विद्यार्थियों को अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित रखने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, परिश्रम और संकल्प से हम अपने लक्ष्यों को अवश्य पा सकते हैं।
कार्यक्रम की संयोजिका प्रो. मीनू कश्यप ने अपने स्वागत भाषण में सभी का आभार व्यक्त किया और विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए ऐसे प्रेरक कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम का संचालन महिला अध्ययन केंद्र की सह-निदेशिका डॉ. सविता राय ने किया और समन्वयन की भूमिका छात्र कल्याण पीठप्रमुख प्रो. शिवशंकर मिश्र ने निभाई।
इस प्रेरणादायक कार्यशाला ने छात्रों को आत्म-निर्माण और आत्म-विश्वास को प्रोत्साहित करने में मदद की, जिससे उन्हें अपने सपनों की ओर बढ़ने की नई ऊर्जा और दिशा मिली।
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