‘शैतान का गोबर’ भारत हर साल अफगानिस्तान से 1500 टन करता है आयात, जो भारतीय व्यंजनों का बढ़ाता है जायका

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‘शैतान का गोबर’ भारत हर साल अफगानिस्तान से 1500 टन करता है आयात, जो भारतीय व्यंजनों का बढ़ाता है जायका

मानसी शर्मा /-   जब आपने इस खबर का शीर्षक देखा होगा, तो शायद आपके मन में सवाल उठे होंगे कि ‘शैतान का गोबर’ आखिर किस चीज़ का नाम है? दरअसल, ‘शैतान का गोबर’ भारतीय भोजन में इस्तेमाल होने वाले एक महत्वपूर्ण मसाले की बात करता है, जिसे ‘हींग’ के नाम से जाना जाता है। यह मसाला दाल की खुशबू बढ़ाने के साथ-साथ पेट के हाजमे में भी मदद करता है। ‘हींग’ का अंग्रेजी में एक नाम ‘Devil’s Dung’ है, जिसका हिंदी में अनुवाद ‘शैतान का गोबर’ होता है। आइए जानते हैं कि इसे इस नाम से क्यों पुकारा जाता है और भारत का अफगानिस्तान से इस मसाले का कितना कारोबार है।

हींग का उत्पादन और उसकी खासियत

उत्तर प्रदेश के हाथरस शहर को उसकी ‘हींग’ के लिए विशेष पहचान मिली हुई है। हाथरस की हींग को जीआई (गियॉग्राफिकल इंडिकेशन) टैग भी मिला है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हींग जिस कच्चे पदार्थ से बनती है, उसका आयात भारत अफगानिस्तान से करता है?

हींग आमतौर पर गाढ़े दूध या पेस्ट के रूप में भारत आती है, जो फेविकॉल की तरह गाढ़ा और हल्का गुलाबी रंग का होता है। इसे एक खास फॉर्मूला के तहत मैदा और गोंद के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है और फिर धूप में सुखाया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद हींग के छोटे-छोटे टुकड़े बन जाते हैं, जिन्हें पीसकर अंत में हींग तैयार की जाती है।

हर साल लगभग 1500टन का होता है आयात

अफगानिस्तान से भारत में हींग का यही दूध आयात किया जाता है। मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कुल हींग आयात का लगभग 90प्रतिशत अफगानिस्तान से आता है। शेष 8प्रतिशत उज्बेकिस्तान और 2प्रतिशत ईरान से आयात किया जाता है। अफगानिस्तान से भारत में हर साल लगभग 1500टन हींग का आयात होता है, जिसका कुल कारोबार करीब 1,000करोड़ रुपये का है।

तालिबान सरकार के आने के बाद से इस व्यापार में कई बाधाएं उत्पन्न हुई हैं, लेकिन व्यापारिक गतिविधियां जारी हैं। भारत अब हिमाचल प्रदेश में स्वदेशी हींग उत्पादन की कोशिश कर रहा है। भारत विश्व के कुल हींग उत्पादन का लगभग 40प्रतिशत इस्तेमाल करता है और दक्षिण एशिया के कई देशों में यह मसाला प्रमुख रूप से उपयोग में आता है।

हींग का नाम ‘शैतान का गोबर’ कैसे पड़ा?

अब सवाल यह है कि ‘Devil’s Dung’ या ‘शैतान का गोबर’ का नाम क्यों पड़ा? जब अंग्रेज भारत आए, तो उन्होंने भी इस मसाले का स्वाद लिया। हींग की तीव्रता इतनी अधिक है कि अगर इसका सही मात्रा में उपयोग न किया जाए तो जलन पैदा कर सकती है। इसके ढेले जैसे स्वरूप को देखकर अंग्रेजों ने इसकी तुलना गोबर के उपलों (Dung Cakes) से की। इस तीखे स्वाद और ढेले जैसे रूप के कारण इसे ‘Devil’s Dung’ या ‘शैतान का गोबर’ का नाम मिला।

इस प्रकार, ‘शैतान का गोबर’ एक ऐसा मसाला है जिसकी तीव्रता और विशेषता ने उसे इस अनोखे नाम से नवाजा है, और भारत की खाद्य संस्कृति में इसका विशेष स्थान है।

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