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    शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उड़ान: राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय, 14 दिन रहेंगे ISS में

    लखनऊ/फ्लोरिडा/अनिशा चौहान/-   भारत के लिए आज का दिन इतिहास में दर्ज होने जा रहा है। कई बार टलने के बाद आखिरकार बुधवार दोपहर 12 बजे भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की ओर रवाना होंगे। वह नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर (कॉम्प्लेक्स 39A), फ्लोरिडा से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरेंगे। शुभांशु के साथ इस मिशन में तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं।

    यह मिशन एविएशन कंपनी एक्सिओम के तहत हो रहा है, जिसे Axiom Mission 4 नाम दिया गया है। यह मिशन पहले सात बार स्थगित हो चुका था, लेकिन अब इसकी पूरी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। शुभांशु शुक्ला इस ऐतिहासिक मिशन में पायलट की भूमिका निभा रहे हैं। राकेश शर्मा के 1984 के मिशन के बाद वह अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय नागरिक बनेंगे।

    क्यों जा रहे हैं शुभांशु ISS?
    इस 550 करोड़ रुपये की लागत वाले मिशन के दौरान 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे। इसमें भारत की ओर से 7 महत्वपूर्ण अनुसंधान होंगे, जिन्हें शुभांशु शुक्ला ISS में अंजाम देंगे। ये प्रयोग न केवल भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए अहम हैं, बल्कि पृथ्वी पर विज्ञान और चिकित्सा क्षेत्र में भी नई दिशा दे सकते हैं।

    14 दिनों तक ये प्रयोग करेंगे शुभांशु:

    अंतरिक्ष में मांसपेशियों की हानि का अध्ययन

    फसलों के विकास पर सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण का प्रभाव

    बीजों के अंकुरण व पोषण में अंतरिक्ष का प्रभाव

    माइक्रो-जंतुओं की सहनशक्ति का परीक्षण

    अंतरिक्ष में कंप्यूटर स्क्रीन के व्यवहार का अध्ययन

    माइक्रोएल्गी पर सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण का असर

    दो प्रकार की साइनोबैक्टीरिया की प्रतिक्रिया का परीक्षण

    लखनऊ में उत्सव का माहौल
    शुभांशु शुक्ला का मूल निवास लखनऊ में है, और उनके परिवार तथा आसपास के क्षेत्र में गर्व और उत्साह की लहर है। उनके पिता शम्भू दयाल शुक्ला ने कहा,हम सभी इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनने को उत्सुक हैं। उनका मिशन दोपहर 12 बजे के आसपास लॉन्च होगा। वह लखनऊ, उत्तर प्रदेश और पूरे भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। हमें उन पर बेहद गर्व है। शहर में उनके नाम के बैनर-पोस्टर लगाए गए हैं और स्थानीय लोग इस पल को देश के लिए गौरव का क्षण बता रहे हैं।

    इस मिशन के साथ न केवल शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रचा है, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ते कदम का प्रतीक भी है। अब देशभर की निगाहें उनकी सफल वापसी और वैज्ञानिक उपलब्धियों पर टिकी हुई हैं।

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