
नजफगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार, विकसित कृषि संकल्प अभियान-2025 का क्रियान्वयन 29 मई से 12 जून, 2025 से देशभर में किया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य देश भर के गांवों में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कृषि की नवीनतम तकनीकों एवं सरकारी योजनाओं की जानकारी को किसानों तक सीधा पहुंचाना है एवं साथ ही आधुनिक तकनीकों से खरीफ फसल प्रबंधन और उत्पादकता वृद्धि के बारे में जागरूकता बढ़ाना है एवं खेती व किसानों को समृद्ध करने हेतु ’’लैब टू लैंड’’ विजन के साथ विज्ञान एवं वैज्ञानिक किसानों के खेत में पहुंचेगे।

इस अभियान के अन्तर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र, दिल्ली, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली एवं कृषि इकाई, विकास विभाग, दिल्ली सरकार भी दिल्ली देहात में 29 मई से 12 जून, 2025 तक विशेष अभियान का आयोजन कर रही है।
दिल्ली क्षेत्र में विकसित कृषि संकल्प अभियान
इस उपलक्ष में, आज दिनांक 02 जून, 2025 को कृषि विज्ञान केन्द्र, दिल्ली भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली एवं कृषि इकाई, विकास विभाग, दिल्ली सरकार ने नजफगढ ब्लांक को जाफरपुर कलां, सुरेरहा एवं खेरा डाबर गांव में किसान सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डॉ हर्ष वर्धन ने दिल्ली के आसपास क्षेत्र के लिए सब्जियों की विभिन्न प्रजातियां, जो दिल्ली क्षेत्र में अच्छा अच्छा उत्पादन दे सके, साथ ही साथ पोषण से संबंधित जितनी भी तकनीकियां है जैसे किचन गार्डन की स्थापना करना तथा उसमें लगने वाले मौसम के अनुसार सब्जियां और मानव पोषण हेतु संतुलित आहार आदि के साथ संरक्षित खेती की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. रामस्वरूप बाना, प्रधान वैज्ञानिक ने जल संरक्षण की तकनीकियों पर विशेष से ध्यान देते हुए विस्तृत जानकारी साझा की साथ ही उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है उन क्षेत्र में अगर किसान भाई अपने खेत में एक छोटा सा तालाब बना कर वर्षा के पानी को संरक्षित कर उसका सही इस्तेमाल करें साथ ही साथ मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई पद्धति, कम समय में अधिक आय के साथ साथ बाजरा एवं दलहनी फसलों की विस्तृत जानकारी दी। इसी क्रम में डॉ इंदु चोपड़ा ने फसल उत्पादन के लिए मिट्टी एवं पानी एवं उर्वरकों के प्रबंधन एवं महत्व को समझाया और उन्होंने यह भी बताया कि हर फसल लेने के बाद मिट्टी और पानी की जांच करें और उसके अनुसार ही अपने जो पोषण के मिट्टी के पोषण के लिए खाद का प्रबंध करें। डॉ. हेमलता ने संरक्षित खेती पर विशेष जोर दिया और उन्होंने बताया कि छोटे से छोटे जगह में भी आप हाईटेक नर्सरी बनाकर अच्छा उत्पादन कर सकते और युवा किसान इसमें अच्छी आय प्राप्त सकते हैं।

इसी क्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र, दिल्ली के वैज्ञानिकों ने आगामी खरीफ फसलों से सम्बंधित आधुनिक तकनीकों की जानकारी के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार विभिन्न फसलों के चयन तथा संतुलित खादों के प्रयोग, पशुओं का रखरखाव, बागवानी एवं फलों की खेती मृदा स्वास्थ्य कार्ड, धान की सीधी बुवाई, हरि खाद का प्रयोग, पशुपालन हेतु आहार एवं रोग प्रबंधन आदि की विस्तृत जानकारी दी। इसी क्रम में, कृषि इकाई, दिल्ली सरकार ने अधिकारियों ने दिल्ली में संचालित हो रही प्राकृतिक खेती, प्राकृतिक खेती के अवयव, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की विस्तृत जानकारी साझा की। कार्यक्रम के शुरुआत में डॉ डी के राणा, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली ने सभी वैज्ञानिकों एवं किसानों का स्वागत करते हुए बताया कि तकनीकों एवं अनुसंधान को किसानों के खेत में ले जाने में यह अभियान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिसमें दिल्ली के किसान उत्साहित होकर भागीदारी कर रहे हैं।
इस कार्यक्रम के दौरान, किसानों के प्रश्नों एवं समस्याओं हेतु विशेष सत्र का आयोजन करके संतुष्ठ जवाब एवं अमूल्य सुझाव दिए गए। साथ में ही किसानों से फीडबैक एवं उनके द्वारा किए गए नवाचार का भी डाक्युमेन्टेशन किया गया।
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