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नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- 18 वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू हो रहा है। उससे पहले सत्तारूढ़ एनडीए सरकार में लोकसभा अध्यक्ष को लेकर नाम फाईनल नहीं हुआ है। 4 जून के नतीजों के बाद बहुमत से दूर बीजेपी ने गठबंधन में शामिल दलों के साथ तीसरी बार सरकार बनाई। 9 जून को मोदी ने अपने 71 मंत्रियों के साथ शपथ ली।
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बता दें सरकार के शपथ ग्रहण के बाद संसद का पहला सत्र 24 जून से शुरू हो जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक सत्र आठ दिनों तक चलेगा। सत्र के तीसरे दिन 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है। विपक्षी दलों का समूह इंडिया इस बात पर जोर दे रहा है कि लोकसभा अध्यक्ष का पद एनडीए के सहयोगियों के पास होना चाहिए। हालांकि जेडीयू के चीफ नीतीश कुमार ने ये साफ कर दिया है कि पद को लेकर बीजेपी जो भी फैसला करेगी जेडीयू उसका समर्थन करेगी। दूसरी तरफ चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने कहा हैं कि गठबंधन में सभी दलों की सहमति से लोकसभा स्पीकर के लिए उम्मीदवार का चयन करना चाहिए। आपको बता दें जेडीयू और टीडीपी एनडीए सरकार के प्रमुख घटक है। बीते दिन शनिवार को जनता दल (यूनाइटेड) के नेता केसी त्यागी ने कहा कि जेडीयू और टीडीपी एनडीए में सहयोगी हैं और वे भाजपा द्वारा नामित उम्मीदवार का समर्थन करेंगे।
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केसी त्यागी ने बताया, ’जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) और टीडीपी (तेलुगु देशम पार्टी) मजबूती से एनडीए में हैं। हम बीजेपी द्वारा (स्पीकर के लिए) नामित व्यक्ति का समर्थन करेंगे। टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने सर्वसम्मति वाले प्रत्याशी को ही लोकसभा स्पीकर का पद मिलेगा। उन्होंने कहा, ’इसको लेकर एनडीए के सहयोगी एक साथ बैठेंगे और स्पीकर के लिए उम्मीदवार तय करेंगे।
दूसरी तरफ इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस के नेता राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी पर हमला बोला। गहलोत ने कहा यदि बीजेपी के मन में आगे जाकर कोई भी अलोकतांत्रिक कृत्य करने का इरादा नहीं है तो उन्हें स्पीकर का पद किसी सहयोगी दल को ही देना चाहिए.था। पूरे देश की जनता उत्सुकता से लोकसभा स्पीकर पद के चुनाव को देख रही है। आपको बता दें गठबंधन धर्म को निभाते हुए 1998 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में टीडीपी व शिवसेना एवं यूपीए सरकार में 2004 से 2009 तक सीपीआई (एम) के स्पीकर रहे और अच्छे से लोकसभा का प्रबंधन हुआ।
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