नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। बीते दिनों विश्वविद्यालय प्रमुखों की चयन प्रक्रिया पर राहुल ने सवाल खड़ा किया था। जिसका विरोध जताते हुए अब कई विश्वविद्यालय के कुलपतियों और पूर्व कुलपतियों समेत 181 शिक्षाविदों ने खुला पत्र लिखा है। उन्होंने नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में ‘झूठ फैलाने’ का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने कांग्रेस नेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
राहुल के दावों को खारिज किया
शिक्षाविदों ने एक खुले पत्र में कहा कि कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया है कि कुलपतियों की नियुक्ति योग्यता के बजाय केवल किसी संगठन से संबद्धता के आधार पर की जाती है। उन्होंने पत्र में राहुल के दावों को खारिज किया है। उन्होंने दावा किया कि कुलपतियों के चयन की प्रक्रिया सख्त और पारदर्शी है तथा इसमें योग्यता, विद्वत विशिष्टता और निष्ठा के मूल्य समाहित हैं।
पत्र में लिखा गया है, ‘जिस प्रक्रिया से कुलपतियों का चयन किया जाता है, वह योग्यता, विद्वतापूर्ण विशिष्टता और अखंडता के मूल्यों पर आधारित कठोर, पारदर्शी कठोर प्रक्रिया की विशेषता है। चयन पूरी तरह से शैक्षणिक और प्रशासनिक कौशल पर आधारित है और विश्वविद्यालयों को आगे ले जाने की दृष्टि से किया गया है।’
विश्वविद्यालयों को आगे ले जाने का दृष्टिकोण रहा
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष टी जी सीताराम समेत विभिन्न क्षेत्रों के शिक्षाविदों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि कुलपति चयन की प्रक्रिया पूरी तरह अकादमिक और प्रशासनिक कौशल पर आधारित रही है और इसमें विश्वविद्यालयों को आगे ले जाने का दृष्टिकोण रहा है।
शिक्षाविदों ने अपने पत्र में राहुल गांधी के किसी विशेष दावे का हवाला नहीं दिया है। हालांकि, राहुल ने हाल ही में आरोप लगाया था कि शैक्षणिक संस्थानों में नियुक्ति में हिंदूवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ संबद्धता एक प्रमुख आधार रही है।
क्या कहा था राहुल गांधी ने?
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी ने अपने बयानों में हाल ही में कहा था कि विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति योग्यता और अहर्ता को ताक पर रख कर कुछ संगठनों से संबंधों के आधार पर की जा रही है। राहुल गांधी के इस बयान का विरोध करते हुए कई कुलपतियों और शिक्षाविदों ने विश्वविद्यालय प्रमुखों की चयन प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बताया है।
पत्र में आगे लिखा गया है कि देश भर के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के कुलपति और अकादमिक नेताओं के चयन प्रक्रिया के संबंध में हाल ही में दिए गए आधारहीन आरोपों का खंडन किया जाता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि राहुल गांधी ने झूठ का सहारा लिया है और कार्यालय को बदनाम किया है। इसलिए यह मांग की जाती है कि कानून के अनुसार उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।
इन लोगों ने किया हस्ताक्षर
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में सीएसजेएम विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति विनय पाठक, पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति भगवती प्रकाश शर्मा, महात्मा गांधी ग्रामोद्योग विश्वविद्यालय, चित्रकूट के पूर्व कुलपति एन सी गौतम, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति आलोक चक्करवाल और बीआर आंबेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, सोनीपत के पूर्व कुलपति विनय कपूर भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में विश्वविद्यालयों ने एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है, जो वैश्विक रैंकिंग, प्रमुख मान्यताओं, विश्व स्तरीय अनुसंधान और नवाचारों, पाठ्यक्रम में बदलाव से उद्योग और शिक्षा क्षेत्र के अंतराल को कम करने और उच्च ‘प्लेसमेंट’ संभावनाओं से स्पष्ट है और जो शैक्षणिक गुणवत्ता और सामाजिक प्रासंगिकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
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