
तेल अवीव/शिव कुमार यादव/- गाजा में इजराइल-हमास युद्ध के बीच प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कैबिनेट की एक अहम बैठक में आईडीएफ और रक्षा प्रतिष्ठान को रफाह से लोगों को निकालने व हमास का पूरी तरह से खात्मा करने के लिए दोहरी योजना बनाने का निर्देश दिया है। बता दें कि गाजा युद्ध में आम नागरिकों के मारे जाने को लेकर इजराइली सरकार पर चौतरफा दबाव बना हुआ है। जिसे देखते हुए ये आदेश दिये गये हैं।

रफा दक्षिण गाजा पट्टी का शहर है। जहां अभी गाजा के तेरह लाख लोग रह रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मुताबिक, इस शहर में ज्यादातर वे लोग रह रहे हैं, जो गाजा के अन्य हिस्सों से निकाले गए हैं। नेतन्याहू ने गुरुवार को कहा कि इस्राइल रक्षा बल (आईडीएफ) जल्द ही हमास के आखिरी गढ़ रफाह में जाएगा। आईडीएफ का अभियान जैसे ही उत्तर और मध्य गाजा की ओर आगे बढ़ा था तो कई फलस्तीनी नागरिक जान बचाते हुए भागकर इस शहर में आए थे। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वे आगे कहां जाएंगे। क्योंकि रफाह क्रॉसिंग से मिस्र की सीमा शुरू हो जाती है। लेकिन, मिस्र की सीमा महीनों से बंद है।
इस्राइल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने क्या कहा
सीएनएन के मुताबिक, इस्राइल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान में कहा कि रफाह में हमास की चार बटालियों को खत्म किए बिना आतंकी संगठन को मिटाना असंभव है। दूसरी ओर रफा में बड़े पैमाने पर अभियान चलाने के लिए युद्ध क्षेत्रों से नागरिक आबादी को निकालने की जरूरत है। बयान में कहा गया है कि यही वजह है कि प्रधानमंत्री ने आईडीएफ और रक्षा प्रतिष्ठान को निर्देश दिया है कि वे कैबिनेट में आबादी की निकासी और हमास की बटालियनों को खत्म करने के दोहरी योजना लाएं।
फलस्तीनी राष्ट्रपति ने की आलोचना
वहीं, शुक्रवार को एक बयान में फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के कार्यालय ने सैन्य योजना की आलोचना की। उन्होंने रफा से फलस्तीनी नागरिकों की निकासी एक असली खतरा बताया। बयान में कहा गया कि अब समय आ गया है कि हर कोई इस तबाही को रोकने के लिए कदम उठाए। यह पूरे क्षेत्र को अंतहीन युद्ध की ओर धकेल देगा।
चार महीने से ज्यादा समय युद्ध जारी
इस्राइल और हमास के बीच पिछले साल सात अक्तूबर को युद्ध शुरू हुआ था। हमास के हमलों में करीब 1,200 इस्राइली नागरिक मारे गए थे। जबकि, ढाई सौ इस्राइलियों को बंधक बना लिया गया था। इनमें से कई अब भी बंधक हैं। इसके बाद इस्राइल ने युद्ध का एलान किया और हमास पर पलटवार किया। इस युद्ध में 26 हजार से ज्यादा फलस्तीनी मारे जा चुके हैं।
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