नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/हाईकोर्ट/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- पाकिस्तान से आए करीब 800 हिंदू प्रवासी परिवार पिछले काफी समय से मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे है। दिल्ली व केंद्र सरकार इनकी तरफ ध्यान नही दे रही है। जिसे देखते हुए इनकी बिजली कनेक्शन की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों से यहां रहने के बावजूद उन्हें बिजली का कनेक्शन प्रदान नहीं किया जा रहा है। अदालत ने मंगलवार को याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार और टाटा पावर व अन्य को नोटिस जारी किया।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने केंद्र गृह मंत्रालय व दिल्ली सरकार के अलावा रक्षा मंत्रालय, उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनआरडीएमसी), दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी), टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) और उत्तरी दिल्ली जिला मजिस्ट्रेट को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने मामले की सुनवाई 22 अक्तूबर तय की है।
याचिका में 200 हिंदू प्रवासी परिवारों के लिए बिजली कनेक्शन की मांग की गई, जिसमें लगभग 800 लोग शामिल हैं। यह परिवार वर्तमान में उत्तरी दिल्ली के आदर्श नगर इलाके में दिल्ली जल बोर्ड मैदान में रह रहे हैं।
भारत में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के ‘अल्पसंख्यक प्रवासियों’ के कल्याण के लिए काम करने वाले याचिकाकर्ता हरिओम ने कहा कि इस मामले में ज्यादातर प्रवासी पाकिस्तान के सिंध से हैं। ये परिवार पिछले कुछ सालों से यहां बिना बिजली के रह रहे हैं।
याची के अनुसार प्रवासी अपने धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान से भारत आए हैं। उनका मानना था कि भारत आने से उनके बच्चों को एक उज्ज्वल और सुरक्षित भविष्य मिलेगा, लेकिन झुग्गी में बिजली के बिना उनका वर्तमान अस्तित्व पूरी तरह से बिखर गया है। याची की ओर से पेश अधिवक्ता समीक्षा मित्तल, आकाश वाजपेयी ने अदालत को बताया कि महामारी के दौरान सभी स्कूल ऑनलाइन हो गए हैं। इन प्रवासियों की झुग्गियों में बिजली नहीं है और उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने विभिन्न सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया है, लेकिन प्रवासियों के लिए बिजली प्राप्त करने में सफल नहीं हो सका। इनमें से कुछ ने टीपीडीडीएल को भी आवेदन किया। उसने इस आधार पर कनेक्शन देने से इनकार कर दिया कि दिए गए पते के वैध स्वामित्व प्रमाण की आवश्यकता है। याचिका में दावा किया गया है कि अधिकांश प्रवासी लंबी अवधि के वीजा पर रह रहे हैं और उनके पास उसी पते के साथ आधार कार्ड भी है जिस पर वे वर्तमान में रह रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप उनका कब्जा साबित हुआ। वहीं डिस्कॉम के अनुसार आधार का उपयोग पहचान प्रमाण के रूप में किया जा सकता है, लेकिन परिसर में रहने के प्रमाण के रूप में नहीं। याची ने अदालत से आग्रह किया कि उनके मुवक्किलों को आधार कार्ड व वीजा के आधार को मानते हुए बिजली कनेक्शन प्रदान करने का निर्देश दिया जाए।
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