
मुंबई/शिव कुमार यादव/- महाराष्ट्र की सियासत में एकबार फिर एक नई खिचड़ी पक रही है। हालांकि इससे सरकार को कोई खतरा नही है लेकिन अघाड़ी गठबंधन जरूर सकते में आ सकता है। बात यह है कि ठाकरे भाइयों के हालिया बयानों से यह संकेत मिला था कि दोनों नेता मतभेदों को दरकिनार कर फिर से एक साथ आ सकते हैं। लेकिन इस बीच राज ठाकरे ने सीएम फडणवीस से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने एक होटल में विस्तृत रूप से बात की। उद्धव ठाकरे के साथ गठबंधन की चर्चा के बीच यह मुलाकात अहम है। सुबह यहां बांद्रा इलाके में एक फाइव स्टार होटल में मुलाकात की। सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है लेकिन विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया।

इस बारे में संपर्क करने पर बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा कि दोनों नेता अच्छे दोस्त हैं और राज्य से संबंधित विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मिले होंगे। महाराष्ट्र सरकार ने इस सप्ताह मुंबई सहित 29 नगर निगमों के लिए वार्ड परिसीमन का आदेश जारी करके स्थानीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी। इन चुनाव से पहले ठाकरे बंधुओं के बीच संभावित सुलह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

क्यों अहम है ये मुलाकात?
दोनों नेताओं की मुलाकात स्थानीय निकाय चुनाव से पहले अहम मानी जा रही है। यह मुलाकात इसलिए भी अहम है क्योंकि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे साथ आने की भी बात कर रहे हैं। ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या महाराष्ट्र में गठबंधन की नई पटकथा लिखी जा रही है?

वहीं, आपको बता दें कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बाद से सीएम फडणवीस और राज ठाकरे की मुलाकात कई बार हुई है। जब एकनाथ शिंदे की नाराजगी की खबरें आ रही थीं, तब भी दोनों के बीच मुलाकात हुई थी। उस दौरान भी दोनों नेताओं में क्या बातचीत हुई थी, यह सामने नहीं आया था।
चचेरे भाई हैं राज और उद्धव
राज्य के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे शिवसेना यूबीटी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बेटे हैं और राज ठाकरे उनके चाचा हैं। राज ठाकरे एक वक्त अविभाजित शिवसेना के बड़े चेहरे हुआ करते थे। हालांकि, मनमुटाव के कारण वह 2005 में शिवसेना से अलग हो गए थे। इसके बाद राज ठाकरे ने 2006 में अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की स्थापना की थी।
इन बयानों से मिली ठाकरे भाईयों के एक होने की अटकलों को हवा
राजनीतिक रूप से कई वर्ष पहले ही अलग हो चुके ठाकरे भाइयों ने अपने हालिया बयानों से इस तरह की अटकलों को हवा दी जिनसे संकेत मिला कि वे ‘मामूली मुद्दों’ को नजरअंदाज कर सकते हैं और लगभग दो दशक तक अलग रहने के बाद हाथ मिला सकते हैं। राज ठाकरे ने कहा था कि ‘मराठी मानुस’ (मराठी भाषी लोगों) के हित में एकजुट होना मुश्किल नहीं है, वहीं उद्धव ने इस बात पर जोर दिया कि वह मामूली झगड़ों को अलग रखने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को शामिल न किया जाए।
राज ठाकरे ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन दिया था, लेकिन उनकी पार्टी ने पिछले साल नवंबर में राज्य विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ा था।
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