
नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- इंडिगो की दिल्ली से श्रीनगर जा रही फ्लाइट संख्या 6E 2142 उस समय गंभीर टर्बुलेंस में फंस गई, जब वह पंजाब के पठानकोट क्षेत्र में 36,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर रही थी। विमान में कुल 227 यात्री सवार थे, जिनमें तृणमूल कांग्रेस के कुछ सांसद भी शामिल थे। यह घटना उस वक्त घटी जब फ्लाइट ने भीषण तूफान और ओलावृष्टि का सामना किया।
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के अनुसार, पायलट ने सबसे पहले टर्बुलेंस से बचने के लिए भारतीय वायुसेना के उत्तरी एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से अंतरराष्ट्रीय सीमा की ओर डायवर्जन की अनुमति मांगी, लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद पायलट ने लाहौर ATC से पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश की इजाजत मांगी, जिसे भी नकार दिया गया।
सीमित विकल्पों को देखते हुए, पायलट ने दिल्ली लौटने की संभावना पर विचार किया, लेकिन आसपास मौजूद तूफानी बादलों के कारण वह विकल्प सुरक्षित नहीं था। अंततः उन्होंने श्रीनगर की ओर सबसे छोटे रास्ते से तूफान के बीच से गुजरने का निर्णय लिया।
इस दौरान, विमान की डिसेंट रेट 8,500 फीट प्रति मिनट तक पहुंच गई और ऑटोपायलट डिस्कनेक्ट हो गया। इसके साथ ही, एंगल ऑफ अटैक फॉल्ट, ऑल्टरनेट लॉ प्रोटेक्शन लॉस, और स्टॉल वॉर्निंग जैसी कई गंभीर चेतावनियां सक्रिय हो गईं। हालात की गंभीरता को भांपते हुए पायलट ने मैन्युअल नियंत्रण अपने हाथ में लिया और विमान को सफलतापूर्वक तूफान से बाहर निकाल लिया।
श्रीनगर ATC को आपात स्थिति घोषित करते हुए पायलट ने रडार वेक्टर की मदद से विमान को शाम 6:30 बजे श्रीनगर हवाई अड्डे पर सुरक्षित उतार दिया। हालांकि, विमान के नोज कोन (राडोम) को भारी क्षति पहुंची, जिसके चलते उसे ‘एयरक्राफ्ट ऑन ग्राउंड’ (AOG) घोषित कर दिया गया।
सौभाग्यवश इस हादसे में कोई भी यात्री या क्रू घायल नहीं हुआ, लेकिन यात्रियों में भारी दहशत फैल गई थी। DGCA ने मामले की जांच शुरू कर दी है और इंडिगो से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। पायलट की सूझबूझ और साहस की व्यापक सराहना की जा रही है।
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