भारी बारिश से जलमग्न हुई दिल्ली, नए संसद भवन की छत भी टपकी

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भारी बारिश से जलमग्न हुई दिल्ली, नए संसद भवन की छत भी टपकी

-विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना , नए संसद भवन को बताया भाजपा के भ्रष्टाचार की निशानी

नई दिल्ली/अनीशा चौहान/ –   दिल्ली एनसीआर में पिछले 24 घंटे में जमकर बारिश हुई है जिससे दिल्ली के कई इलाके जलमग्न पूरी तरह से जलमग्न हो गए। दिल्ली में न केवल सामान्य इलाकों में बल्कि कई पाश इलाकों में भी पानी भरने के कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। साथ ही दिल्ली में कई जगह लोगों के मकान भी गिर गए। इतना ही नहीं दिल्ली का नया संसद भवन भी बारिश के कहर से अछूता नहीं रहा है। भारी बारिश के चलते दिल्ली के नए संसद भवन की छत भी टपक गई जिस पर विपक्ष ने निशाना साधते हुए कहा कि नया संसद भवन भाजपा के भ्रष्टाचार की निशानी है, इससे तो पुराना भवन ही अच्छा था।

विपक्ष का निशाना

जैसे ही यह बात सामने आई, विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर करके केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “नई संसद से अच्छी पुरानी संसद थी। क्यों ना वापस वहीं चलें?” यह टिप्पणी नई संसद भवन की स्थिति पर सवाल उठाती है।

 नई संसद भवन पर विपक्ष का रुख

गौरतलब है कि विपक्ष लगातार नई संसद को लेकर सवाल उठाता रहा है। नई संसद के उद्घाटन समारोह को भी विपक्ष के नेताओं ने बॉयकॉट किया था। उन्होंने नई संसद भवन को पैसे की बर्बादी बताया था और अब, नई संसद भवन की छत टपकने की घटना ने उनके दावों को और बल दिया है।

जलजमाव से प्रभावित दिल्ली

दिल्ली में भारी बारिश के कारण कई इलाकों में जलजमाव हो गया है। लोगों को आवागमन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। पॉश इलाकों में भी जलभराव की समस्या ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बारिश के कारण यातायात प्रभावित हो गया है और कई जगहों पर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई है।

सरकार की प्रतिक्रिया

विपक्ष के आरोपों पर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार है। हालांकि, यह घटना निश्चित रूप से नई संसद भवन के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाती है और प्रशासन की तैयारियों को भी कटघरे में खड़ा करती है। सरकार को इस मुद्दे पर जल्द ही स्पष्टीकरण देना होगा और उचित कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

इस पूरे मामले ने राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है और आने वाले दिनों में इस पर और भी बहस होने की संभावना है।

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