नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/ब्रिटेन/शिव कुमार यादव/- कोरोना पीड़ितों का इलाज करते-करते इंग्लैंड के गेन्सबरो लिंकनशायर की रहने वाली नर्स खुद कोरोना पॉजिटिव हो गई थी। इलाज के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ती गई और वो कोमा में पहुंच गई। लेकिन चिकित्सकों ने हार नही मानी और उसकी जिंदगी बचाने के लिए इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर वियाग्रा की हैवी डोज का इस्तेमाल किया गया और फिर चमत्कार हो गया और कई दिनों तक कोमा में रहने के बाद आखिर वियाग्रा की वजह से वो होश में आ गई।
वियाग्रा से क्या किसी की जान भी बचाई जा सकती है? इस सवाल का जवाब है ‘हां’. ब्रिटेन में कोरोना के चलते कोमा में चली गई एक नर्स की जिंदगी वियाग्रा के इस्तेमाल से बच गई. 37 वर्षीय मोनिका अल्मेडा 45 दिनों से कोमा में थीं और डॉक्टरों ने वियाग्रा की मदद से उन्हें कोमा से बाहर निकाला. ट्रीटमेंट का ये यूनिक आइडिया मोनिका की सहकर्मियों का था।
मोनिका अल्मेडा का ऑक्सीजन लेवल लगातार कम होता जा रहा था। उनकी स्थिति देखकर लग रहा था कि कोई चमत्कार ही उन्हें बचा सकता है और उनके सहकर्मियों ने वो चमत्कार कर दिखाया। इंग्लैंड के गेन्सबरो लिंकनशायर की रहने वालीं मोनिका ने कहा, ‘जब मैं होश में आई तो डॉक्टर ने बताया कि मुझे वियाग्रा की मदद से होश में लाया गया है। पहले मुझे ये सब मजाक लगा, लेकिन उन्होंने कहा कि वाकई मुझे वियाग्रा की हेवी डोज दी गई है। मोनिका एनएचएस लिंकनशायर में कोरोना के मरीजों का इलाज करती थीं. उन्हें इसी दौरान अक्टूबर में कोरोना हो गया था। धीरे-धीरे उनकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगी और खून की उल्टियां भी होने लगीं। इसके बाद मोनिका ने अस्पताल में अपना इलाज करवाया. हालांकि, वहां से उन्हें जल्द ही डिस्चार्ज भी कर दिया गया। मगर घर जाते ही उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत आने लगी, जिसके बाद उन्हें लिंकन काउंटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। मोनिका का ऑक्सीजन लेवल लगातार गिरता जा रहा था। इस वजह से उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया. 16 नवंबर को वह कोमा में ही चली गई थीं।
नर्स की बिगड़ती हालात देख डॉक्टरों ने इनके ट्रीटमेंट के लिए वियाग्रा का इस्तेमाल किया। बता दें कि वियाग्रा के उपयोग से खून का दौरा बेहतर बनता है। वियाग्रा फेफड़ों में फोस्पोडायस्टेरियस एंजाइम बनाती है और रक्त धमनियों को चौड़ा कर फेफड़े को आराम पहुंचाने का काम करती है। मोनिका ने कहा, ‘ये वियाग्रा की दवा ही थी, जिससे मेरी जिंदगी बच गई. 48 घंटों के अंदर मेरे लंग्स ने काम करना शुरू कर दिया। मुझे अस्थमा है, जिसके कारण मेरा ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था’। मोनिका अब पहले से ज्यादा बेहतर है और घर में ही उनका इलाज चल रहा है।
More Stories
इस्कॉन द्वारका में फूलों की होली से पहले शोभा यात्रा
गरीबों, पिछड़ों और किसानों के मसीहा थे स्व. वर्मा जी- प्रवेश वर्मा
भाजपा ने हरियाणा में कर दिया खेला, ओबीसी से निकलेगी जाट वोट की काट..!
CAA लागू होते ही खुशी से झूम उठी सीमा हैदर,जानें क्या कहा?
92 साल की उम्र में पांचवी शादी करेंगे मीडिया टायकून मडोंक
4th Dimension Presents “A Streetcar Named Desire”