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    बैंकाक में यूनुस-मोदी मुलाकात : मोदी ने हिन्दुओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया

    यूनुस से बोले मोदी- बांग्लादेश में जल्द चुनाव कराएं, संबंधों को नुकसान पहुंचाने वाली बयानबाजी से बचने की हिदायत

    बैंकॉक/- प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने हिन्दुओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया और बांग्लादेश में जल्द चुनाव कराने की अपील की। साथ ही संबंधों को नुकसान पहुंचाने वाली बयानबाजी से बचने के लिए भी कहा है।

    भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मोदी-यूनुस से मुलाकात को लेकर जानकारी दी। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मोदी ने यूनुस से कहा कि लोकतंत्र में चुनाव बहुत जरूरी हिस्सा है। पीएम ने उम्मीद जताई कि बांग्लादेश में जल्द ही लोकतांत्रिक और स्थायी सरकार देखेंगे। दोनों नेताओं के बीच बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की हालत पर भी बातचीत हुई। पीएम मोदी ने इस मुद्दे को खुलकर सामने रखा। यूनुस ने भरोसा दिया कि बांग्लादेश सरकार अपनी जिम्मेदारियों पर खरी उतरेगी।
    दोनों नेताओं ने थाईलैंड में बीमस्टेक समिट की साइडलाइन में यह मुलाकात की है। बांग्लादेश में पिछले साल अगस्त में हुए तख्तापलट के बाद पीएम मोदी पहली बार यूनुस से मिले हैं।

    यूनुस ने कहा था- भारत का नॉर्थ-ईस्ट ’लैंडलॉक्ड’
    यूनुस के पद संभालने के बाद से भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में अपनी चीन यात्रा के दौरान कहा था कि भारत का नॉर्थ-ईस्ट लैंडलॉक्ड है और उसकी समुद्र तक पहुंच नहीं है। समुद्र तक पहुंचने के लिए बांग्लादेश इस क्षेत्र का मुख्य दरवाजा है।

    इस बयान को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर ने कड़े शब्दों में जवाब दिया था। जयशंकर ने कहा, हम यह मानते हैं कि सहयोग एक व्यापक चीज है। ऐसा नहीं हो सकता है कि आप सिर्फ अपने फायदे की ही बात करें, बाकी बातों को नजरअंदाज कर दें।

    गुरुवार को बीमस्टेक डिनर में साथ दिखे थे दोनों नेता
    इससे पहले कल रात बीमस्टेक डिनर में दोनों नेता एक साथ दिखाई दिए थे। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को दोनों के बीच मुलाकात होने का दावा किया था। पीएम मोदी ने बीमस्टेक देशों की 6वीं समिट में भी हिस्सा लिया। इस दौरान थाईलैंड की प्रधानमंत्री पेइतोंग्तार्न शिनवात्रा ने उनका स्वागत किया।

    इससे पहले उन्होंने आज म्यांमार के मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग से मुलाकात की। इस दौरान पीएम मोदी ने म्यांमार में भूकंप की वजह से मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की। साथ ही कहा कि भारत म्यांमार की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

    पीएम मोदी ने वात फो मंदिर के दर्शन किए बीमस्टेक के बाद पीएम मोदी थाईलैंड के ऐतिहासिक वात फो मंदिर गए। यहां पीएम ने बौद्ध भिक्षुओं से मुलाकात की और मंदिर में पूजा की। वात फो मंदिर बैंकॉक में स्थित है और अपने विशाल लेटे बुद्ध (रिक्लाइनिंग बुद्धा) प्रतिमा के लिए फेमस है। वात फो थाईलैंड के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इसमें 1,000 से अधिक बुद्ध प्रतिमाएं और 90 से अधिक स्तूप हैं।

    थाईलैंड के राजा से मिले पीएम मोदी
    थाईलैंड में पीएम मोदी ने राजा महा वजिरालोंगकोर्न और रानी सुतिदा से मुलाकात की। यह बैठक बैंकॉक के दुशित महल में हुई। पीएम मोदी ने राजा को बिहार की प्राचीन गुप्त और पाल शैली में बनी पीतल की सारनाथ बुद्ध प्रतिमा भेंट की। पीएम मोदी ने रानी सुतिदा को उत्तर प्रदेश के वाराणसी की प्रसिद्ध ब्रोकेड सिल्क शॉल भेंट की।

    बीमस्टेक क्या है, भारत के लिए यह जरूरी क्यों है :
    1990 के दशक में शीत युद्ध के अंत और सोवियत संघ के पतन के बाद दुनिया तेजी से बदली। ग्लोबलाइजेशन के दौर में देशों को आर्थिक गठबंधन बनाने पर मजबूर होना पड़ा। साउथ और साउथ-ईस्ट एशिया के देशों में इस बात की जरूरत महसूस हुई।

    साउथ-ईस्ट एशियाई देशों के पास आसियान काफी हद तक सफल था, लेकिन इसमें भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों को कोई जगह नहीं मिली थी। यानी, भारत और उसके पड़ोसी देशों के लिए कोई ऐसा मंच नहीं था जो आर्थिक सहयोग को मजबूती से आगे बढ़ा सके।

    थाईलैंड के पूर्व विदेश मंत्री थानात खमनन ने 1994 में बीमस्टेक की स्थापना का विचार दिया था। थाईलैंड ने ‘लुक वेस्ट पॉलिसी’ के तहत एक क्षेत्रीय ग्रुप के गठन का प्रस्ताव रखा था जो दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ सके। भारत को भी अपनी लुक ईस्ट पॉलिसी के तहत दक्षिण पूर्व एशिया के साथ अपने संबंध मजबूत करने थे। इसलिए दोनों देशों की पहल पर 1997 में इसका गठन हुआ।

    सार्क को छोड़ बीमस्टेक की तरफ क्यों बढ़ा भारत
    साल 2014 की बात है। देश में 10 साल बाद बीजेपी की सरकार बनी थी। मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसमें पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के साथ ैसार्क देशों के 6 नेता भी आए। ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी भारतीय पीएम के शपथ ग्रहण में विदेशी नेता पहुंचे थे। 6 महीने बाद मोदी सार्क समिट में शामिल होने काठमांडू पहुंचे। इस समिट में भारत का जोर रेल और मोटर व्हीकल एग्रीमेंट लाने पर था, लेकिन पाक सरकार ने इसमें अड़ंगा लगा दिया। इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने सार्क में ऑब्जर्वर कंट्री चीन के सिल्क रोड प्रोजेक्ट को पेश करने की वकालत की।

    मोदी इससे इतना नाराज हुए कि उन्होंने नवाज शरीफ से आधिकारिक मुलाकात तक नहीं की। साल 2016 में ऊरी अटैक के बाद भारत ने सार्क समिट में शामिल होने के लिए पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया।

    भारत के इनकार के बाद बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया। इस घटना के 9 साल बीत जाने के बाद आज तक सार्क का फिर कोई समिट नहीं हो पाई है।

    बंगाल की खाड़ी से लगे देशों को साथ लाकर बनाया संगठन
    बीमस्टेक बंगाल की खाड़ी से सटे हुए सात देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। इसका पूरा नाम बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन है। इसका गठन 1997 में हुआ था।

    शुरुआत में इसमें चार देश थे और इसे बीस्ट-ईसी यानी बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग संगठन कहा जाता था। 1997 में ही म्यांमार और 2004 में भूटान और नेपाल के शामिल होने पर इसका नाम बीमस्टेक हो गया।

    बंगाल की खाड़ी से लगे तटीय देशों में नेपाल और भूटान शामिल नहीं हैं। ये दोनों देश चारों तरफ से घिरे हुए हैं। फिर भी इन्हें इस संगठन में शामिल किया गया है क्योंकि ये दोनों ही देश हाइड्रोपावर (पानी से बनी बिजली) के बड़े स्रोत हैं।

    भारत ने ईस्ट एशिया में कनेक्टिवटी के लिए शुरू की पॉलिसी
    भारत ने 1991 में पूर्व एशिया में स्थित देशों के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए लुक ईस्ट पॉलिसी शुरू की थी। साल 2014 में इसमें बड़ा बदलाव करते हुए इसे लुक ईस्ट से एक्ट ईस्ट पॉलिसी में बदल दिया गया।

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