
बांग्लादेश/नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- बांग्लादेश में हाल ही में हिंदू समुदाय पर हमलों की घटनाओं में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है, जिससे वहां के हिंदू समाज में असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। इन हमलों के बीच, शांति के नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की चुप्पी पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। उन्होंने हमेशा शांति, समानता और इंसानियत की वकालत की है, लेकिन बांग्लादेश में हो रहे इन हमलों पर उनकी चुप्पी कई लोगों के लिए चौंकाने वाली है।
हाल में बांग्लादेश के चट्टोग्राम में कुछ हमलावरों ने तीन प्रमुख हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया। हमलावरों ने शांतानेश्वरी मातृ मंदिर, शनि मंदिर और शांतनेश्वरी कालीबाड़ी मंदिर पर ईंट-पत्थर फेंके, जिससे मंदिरों के द्वार और आसपास की संरचनाओं को नुकसान पहुँचा। यह हमला उस समय हुआ, जब इस्कॉन के पूर्व सदस्य के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। इस दौरान सैकड़ों हमलावर हिंदू विरोधी नारे लगा रहे थे।
हालांकि, मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य तपन दास ने बताया कि हमलावरों का विरोध नहीं किया गया। स्थिति बिगड़ने के बाद सेना को बुलाया गया, जिसने हमलावरों को नियंत्रित किया। पुलिस ने इस हमले की पुष्टि की, लेकिन कहा कि दोनों पक्षों के बीच टकराव के कारण मंदिरों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।
लेकिन इस हमले का एक बड़ा सवाल यह है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमले क्यों बढ़ रहे हैं। शेख हसीना की सरकार के दौरान हिंदू समुदाय की सुरक्षा की स्थिति खराब हुई है। उन्हें न केवल पूजा करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, बल्कि सामान्य जीवन जीने और काम पाने में भी उन्हें कई बार भेदभाव का सामना करना पड़ता है। 5 अगस्त के बाद से इन हमलों में और अधिक वृद्धि देखने को मिली है, जो हिंदू समाज के लिए चिंता का कारण बन गई है।
इसी बीच, मोहम्मद यूनुस, जो शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हैं, की चुप्पी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यूनुस हमेशा दुनिया भर में शांति और मानवाधिकारों की बात करते आए हैं, लेकिन अपने देश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों पर उनकी चुप्पी न केवल हैरान करने वाली है, बल्कि उनके द्वारा बांग्लादेश के आंतरिक मामलों पर ध्यान न देने की भी ओर इशारा करती है। हाल के समय में यूनुस भारत के खिलाफ बयानबाजी में व्यस्त हैं, जबकि उनके देश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
यह स्थिति बांग्लादेश में धार्मिक असहमति और बढ़ते तनाव को और बढ़ावा दे रही है। मोहम्मद यूनुस की चुप्पी से यह सवाल उठता है कि क्या उन्हें केवल अंतरराष्ट्रीय शांति की चिंता है, या फिर अपने देश में हो रही हिंसा के खिलाफ आवाज उठाना भी उनकी जिम्मेदारी बनती है। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा और उनके अधिकारों के लिए यूनुस को एक स्पष्ट और सशक्त रुख अपनाने की जरूरत है।
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