
सेहत/शिव कुमार यादव/- अकसर बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों के दर्द की समस्या भी काफी बढ़ जाती है। भले ही आप कितनी भी एक्सरसाइज क्यों न करते हों, अगर आपका आहार बहुत ज्यादा मात्रा में एसिड बनाता है, तो वह हड्डियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। बढ़ती उम्र में हड्डियां कमजोर होना शुरू हो जाती है। और अगर हम सही डाइट नही लेते है तो यह हमारे लिए काफी विकट स्थिति बन सकती है। जब हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार की बात आती है, तो अल्कलाइन डाइट से बेहतर कुछ नहीं है।

बता दें कि उम्र बढ़ने के साथ हमारी हड्डियों में कमजोरी आने लगती है और ये पतली हो जाती हैं। खासतौर से 35 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए यह चिंता का विषय है। ऐसे में अल्कलाइन रिच डाइट को फॉलो करने से बॉडी के पीएच लेवल को बैलेंस किया जा सकता है।
क्या होती है अल्कलाइन डाइट
हैल्थ एक्सपर्ट की माने तो अल्कलाइन डाइट का मतलब उन खाद्य पदार्थों से है, जिन्हें खाने से बॉडी का पीएच लेवल मेंटेन रहता है। पीएच से मतलब है कि शरीर में एसिड और अल्कलाइन की मात्रा ठीक बनी रहे। यह आमतौर पर 7.35 से 7.45 के बीच होती है। इसके विपरीत, डाइजेशन में हेल्प और हानिकारक बैक्टीरिया से निपटने के लिए पेट लगभग 1.5 से 3.5 का अम्लीय पीएच बनाए रखता है।

अल्कलाइन और एसिडिक फूड के बीच संतुलन जरूरी
बेहतर स्वास्थ्य के लिए एसिडिक और अल्कलाइन फूड के बीच संतुलन होना बहुत जरूरी है। जबकि बेहतर डाइजेशन के लिए एसिड की जरूरत होती है। इसे बढ़ाने के लिए आप अपनी डाइट में फल, सब्जी, मेवे, बीज, फलियां और कुछ तरह के अनाज को शामिल कर सकते हैं। न्यूट्रिशन एक्सपर्ट के अनुसार, हर दिन सब्जियों का सूप पीना अपनी डाइट को अल्कलाइन बनाने की दिशा में पहला कदम है।
ये हैं अल्कलाइन फूड
फल- एवोकाडो, केले, जामुन और खरबूजे का सेवन करें।

सब्जियां- पालक, केल, ब्रोकोली और खीरे का सेवन करना चाहिए।
मेवे और बीज- बादाम, चिया बीज और अलसी के बीज से अपने शरीर को पोषण दे सकते हैं।
फलियां- दालें, छोले और फलियां। हड्डियों के मजबूत स्वास्थ्य में इनका बहुत अच्छा योगदान होता है।
बाजरा- बाजरे में अल्कलाइन गुण होते हैं। फाइबर से भरपूर होने के कारण ये कब्ज को रोकता है।
यहां बताए गए खाद्य पदार्थों में अल्कलाइन गुण होते हैं। अगर आप ये आहार ले रहे हैं, तो ध्यान रखना भी जरूरी है कि पीएच लेवल संतुलित रहे। क्योंकि एक बार शरीर का पीएच लेवल बिगड़ जाए, तो बॉडी काफी एसिडिक हो जाती है। जिससे शरीर में कई तरह की बीमारियां और कमजोरी महसूस होने लगती है।
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