नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- भारतीय जनता पार्टी के लिए 3 दिसंबर रविवार का दिन सबसे बड़ी खुशी लेकर आया। तीन हिंदी भाषी राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली। मध्य प्रदेश में बीजेपी पहले से ही सरकार में थी। वहीं, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को कांग्रेस से छीनने में बीजेपी सफल रही। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने हिंदी बेल्ट के इन तीनों राज्यों में जीत दर्ज की थी। ऐसे में 2024 से पहले कांग्रेस के लिए ये रिजल्ट बड़ा झटका माना जा रहा है। हालांकि तीन राज्यों में चुनाव जीतकर सत्ता में आने वाली भाजपा के सामने अब सबसे बड़ा सवाल मुख्यमंत्री को लेकर है। शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे और डॉ रमन सिंह अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अब ऐसी संभावना जताई जा रही है कि उक्त इन तीनों दिग्गजों को सीएम की रेस में नहीं माना जा रहा है। इसका सबसे बड़ा संकेत यही माना जा रहा है कि भाजपा ने तीनों राज्यों में बिना सीएम फेस के चुनाव लड़ा है। और अगर इनमें से कोई भी सीएम का चेहरा होता तो भाजपा उसे सामने जरूर लाती। अब माना जा रहा है कि तीनों राज्यों में बीजेपी की ओर से जनता को सीएम का नया चेहरा देखने को मिल सकता है।
मध्य प्रदेश में कौन होगा शिवराज का विकल्प?
मध्यप्रदेश में बीजेपी ने इस बार विधानसभा चुनाव लड़ा तो कहीं भी सीएम के तौर पर शिवराज का जिक्र नहीं किया। जबकि चार बार के सीएम शिवराज के पास ही एमपी की सत्ता थी।
बीजेपी ने पूरा मध्य प्रदेश चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा और शानदार जीत दर्ज की। चुनाव के वक्त से ही माना जा रहा था कि इस बार मध्य प्रदेश में बीजेपी सीएम के तौर पर किसी नए चेहरे को आगे कर सकती है। हालांकि, बंपर जीत के बाद सीएम के तौर पर शिवराज सिंह रेस में सबसे आगे हैं। लेकिन, फिर भी राज्य में सीएम पद की रेस में कुछ बड़े नेताओं के नाम चल रहे हैं…
ज्योतिरादित्य सिंधियाः एमपी का मुख्यमंत्री बनने के लिए एक नाम केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी। हालांकि पार्टी सिंधिया को लेकर थोड़ा संभलकर कदम रखना चाहती है। माना जा रहा है कि सिंधिया पुराने कांग्रेसी है। अगर बीजेपी इन पर दांव खेलती है तो पार्टी के अंदर गुटबाजी हो सकती है। हालांकि बीजेपी में आने पर सिंधिया ने पार्टी के लिए अच्छा काम किया है। इसी के चलते ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में बीजेपी ने कांग्रेस से ज्यादा सीट जीतने में कामयाब रही।
नरेंद्र सिंह तौमरः केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की दावेदारी भी मुख्यमंत्री पद के लिए मजबूत मानी जा रही है। केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर देर नरेंद्र सिंह तौमर भी रविवार देर रात दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे। इसके बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है।
सीएम की रेस में कैलाश विजयवर्गीय से लेकर प्रदेश अध्यक्ष वी. डी. शर्मा का नाम भी है। वहीं ओबीसी नेता के तौर पर बीजेपी प्रह्लाद पटेल पर भी दांव लगा सकती है।
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह नहीं तो कौन?
छत्तीसगढ़ की सत्ता से बाहर चल रही बीजेपी को राज्य में प्रचंड बहुमत मिला है। राज्य की 90 सीटों में से बीजेपी ने 54 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं सत्ता में काबिज कांग्रेस को केवल 35 सीटों पर ही कामयाबी मिली। छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी ने मुख्यमंत्री चेहरे का ऐलान नहीं किया था। पार्टी ने राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा था। अब छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि सीएम कौन बनेगा? सीएम की रेस में कई नाम चल रहे हैं…
अरुण सावः छत्तीसगढ़ बीजेपी अध्यक्ष अरुण साव ने राज्य की जिम्मेदारी मिलने पर पार्टी संगठन को मजबूत करने का काम किया। माना जाता है कि आदिवासी सीटों पर जो जीत मिली है, उसमें अरुण साव की भी भूमिका रही है। अरुण साव लोरमी विधानसभा से 45891 वोटों से जीते हैं। अरुण ओबीसी नेता हैं।
रेणुका सिंहः केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह का नाम भी सीएम रेस की चर्चा में चल रहा है। रेणुका आदिवासी समुदाय से आती हैं। इस बार बीजेपी ने उन्हें विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा था। भरतपुर सोनहत सीट से रेणुका सिंह ने जीत दर्ज की है।
हालांकि राज्य में सीएम की कुर्सी पर रमन सिंह का दावा खारिज नहीं किया जा रहा है। रमन सिंह के अलावा सरोज पांडे, बृजमोहन अग्रवाल, आदिवासी नेता लता उसेंडी और ओपी चौधरी के नाम भी सीएम रेस में हैं।
राजस्थान में वसुंधरा नहीं तो कौन होगा सीएम?
राजस्थान में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला है। यहां भी बीजेपी ने एमपी-छत्तीसगढ़ की तरह सीएम चेहरा घोषित नहीं किया था।
इसके साथ ही चुनाव में कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को उतारा था। बीजेपी का ये दांव भी सफल रहा है। हालांकि, बीजेपी की जीत के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि राजस्थान में सीएम कौन होगा? रेस में कई नाम चल रहे हैं।
दीया कुमारीः राजघराने से ताल्लुख रखने वाली दीया कुमारी ने राजस्थान विधासनभा चुनाव में रिकॉर्ड बनाते हुए 71 हजार वोटों से जीत दर्ज की है। दीया कुमारी को वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।
महंत बालकनाथः राजस्थान की अलवर सीट से लोकसभा सांसद महंत बालकनाथ को बीजेपी ने तिजारी सीट से मैदान में उतारा था। उन्होंने कांग्रेस से इमरान खान को 6 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की।
आज चुनाव जीतने के बाद पार्टी के शीर्ष नेताओं ने महंत बालकनाथ को दिल्ली बुला लिया है। माना जा रहा है कि यूपी की तरह बीजेपी यहां भी एक संत को सीएम बना सकती है। बता दें, महंत बालकनाथ नाथ सम्प्रदाय के आठवें मुख्य महन्त हैं।
हालांकि अभी जो नाम चल रहे हैं, उनके एक नाम वसुंधरा राजे का भी। लेकिन, बीजेपी चुनाव में सीएम को लेकर अक्सर सरप्राइज करती है। ऐसे में सीपी जोशी, ओम बिरला, भूपेंद्र यादव, गजेंद्र सिंह शेखावत को भी पार्टी यहां सीएम के रूप में आगे कर सकती है। अभी राज्य की एक सीट पर चुनाव होना बाकी है।
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