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    द्वारका इस्कॉन में जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव

    —पूर्ण उत्साह के साथ किया जाएगा भगवान जगन्नाथ का स्वागत —जगन्नाथ के रथ को रस्सियों से खींचकर भगवान की कृपा प्राप्त करें —स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद बिखेरता आनंद बाजार भी होगा आकर्षक

    नई दिल्ली/शिवकुमार यादव/- भगवान की लीला अपरंपार है। पूरे साल भर भक्त भगवान के दर्शन करने उनके मंदिर में जाते हैं लेकिन साल भर में एक दिन ऐसा भी आता है जब भगवान रथ पर विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन देने स्वयं चले आते हैं। इस्कॉन द्वारका श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर में 7 जुलाई को शाम साढ़े चार बजे रथ यात्रा निकाली जा रही है। वर्षों से प्रचलित जगन्नाथ पुरी की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा भी इसी दिन निकाली जाएगी। इस दिन भगवान अपने गर्भगृह से बाहर निकलकर भक्तों को दर्शन देने आते हैं और जो उनके द्वार तक नहीं जा पाते हैं उनको दर्शन देने वे स्वयं अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा महारानी के साथ रथ पर विराजमान हो कर आते हैं। अधिकांश इस्कॉन मंदिरों में लगभग इन्हीं दिनों रथ यात्रा निकाली जाती है।  

    भगवान के इस प्रेम को भक्तगण पूर्ण उत्साह के साथ स्वीकार करते हैं और उनका स्वागत करने भव्य सजावट करते हैं, भक्तों में प्रसाद बांटते हैं और रथ यात्रा में सम्मिलित होकर रथ की रस्सी खींचते हैं। कहते हैं भगवान जगन्नाथ के रथ की रस्सी खींचने से उनकी विशेष कृपा मिलती है।
    इसीलिए भक्तगण भगवान का रथ खींचने के लिए साल भर इंतज़ार करते हैं और अपने जीवन में शुभ फलों की कामना करते हैं।

    रथ यात्रा के महत्व के बारे में शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि—
    रथस्थं वामनं दृष्ट्वा पुनर्जन्म न विद्यते…
    अर्थात अगर हम रथ यात्रा उत्सव के दौरान भगवान जगन्नाथ को रथ पर देखते हैं, तो हमें फिर से पुनर्जन्म नहीं लेना पड़ेगा यानी जन्म-मृत्यु के चक्कर से छुटकारा मिल जाता है। उत्सव में भगवान के रथ के समक्ष गीत-संगीत और नृत्य-संकीर्तन का आकर्षण भी रहेगा और जगन्नाथ पुरी तर्ज पर स्वादिष्ट उड़िया व्यंजनों से भगवान को भोग अर्पण किया जाएगा और मंदिर परिसर में आयोजित आनंद बाजार यहाँ का विशेष आकर्षण रहेगा, जिसमें अनेक प्रकार के उड़िया व्यंजन जैसे– खाजा, मालपुआ, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, रबड़ी, छेना पोड़ा, खाखरा पेठा, मंडा पीठा, खीर, डालमा, खजूर चटनी, नारियल चटनी, पाइनएप्पल चटनी, कच्चे केले की सब्जी, खिचड़ी और चावल आदि शामिल रहेंगे। विभिन्न प्रकार के भोगों के साथ-साथ इस दिन भगवान जगन्नाथ जी को 5100 किलो आम अर्पित किया जाएगा। पूरे मंदिर परिसर को आमों से सजाया जाएगा। प्रातः आठ बजे रथ यात्रा पर विशेष लेक्चर होगा।

    मंदिर के रथ यात्रा प्रबंधक श्री अर्चित दास का कहना है कि, “जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव हम सबके लिए कल्याणकारी है। यह भगवान की सबसे प्रिय लीला है जिसमें भगवान अपने भक्तों से इतना नजदीक से मिलते हैं कि वे बहुत प्रसन्न दिखाई देते हैं। भगवान की ऐसी प्रसन्नचित्त मुद्रा का जब कोई दर्शन कर लेता है तो वह अपने जीवन के सभी पापों से मुक्त हो जाता है। जब भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा महारानी सहित अपने वेदी मंडप से राधारानी के भाव में रथ पर बैठ कर सैर के लिए निकलते हैं, तो भगवान के इस प्रेममयी स्वरूप के दर्शनों का लाभ सबको लेना चाहिए। इस रथ यात्रा में सभी दिल्लीवासी व आसपास के क्षेत्रों के लगभग 15 से बीस हजार लोग शामिल होंगे। कुछ विशेष विदेशी भक्त भी इसमें शामिल होंगे।”

    उन्होंने बताया कि इस बार यह रथ यात्रा करीब आठ किलोमीटर की दूरी तय करेगी जो सेक्टर 13 इस्कॉन मंदिर से चलकर सीबीएसई, एमआरवी स्कूल, द्वारका सेक्टर 3 चौक, डीपीएस स्कूल, राजापुरी मार्केट, द्वारका सेक्टर 2 व 6 के मार्केट चौक से होते हुए गुरुद्वारा साहिब चौक, डीएवी स्कूल, ट्रयू फ्रेंड्स अपार्टमेंट, कामाक्षी अपार्टमेंट, द्वारका मार्केट 6 व 10, आशीर्वाद चौक, के एम चौक से होते हुए वापस सेक्टर 13 इस्कॉन मंदिर पहुँचेगी। इसमें सौ से अधिक रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के लोग भाग लेंगे और रथ के समक्ष भगवान की आरती करेंगे।
    आप सभी 7 जुलाई को आयोजित इस जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए इस्कॉन द्वारका की तरफ से सादर आमंत्रित हैं। सभी लोग उड़ीसा की रथ यात्रा में तो भाग नहीं ले सकते इसलिए आप इस्कॉन द्वारका की रथ यात्रा में भाग लेकर इसका लाभ उठाएँ। यहाँ सभी भक्तजनों के लिए भगवान के प्रसाद की व्यवस्था रहेगी। आप आएँ सेल्फी प्वाइंट्स में फोटो क्लिक करें और महिलाएँ गोपी डॉट्स भी लगा सकती हैं।  

    गौरतलब है कि इस उत्सव से एक दिन पूर्व ‘गुंडिचा मार्जन’ उत्सव मनाया जाएगा। इस दिन भगवान के स्वागत के लिए मंदिर के कोनों-कोनों की सफाई की जाती है और अपने मन का मार्जन किया जाता है। इसके पीछे कथा यह है कि जब भगवान जगन्नाथ अपना अनवसर काल (स्नान यात्रा के बाद के 15 दिन का समय) समाप्त करके भक्तों को दर्शन देने के लिए तैयार होते हैं तब उनके स्वागत के लिए भक्तजनों द्वारा मंदिर की अच्छी तरह साफ-सफाई की जाती है जैसे चैतन्य महाप्रभु ने गुंडिचा मंदिर में की थी।

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