नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/दिल्ली देहात/शिव कुमार यादव/- गरीब बच्चों को शिक्षित करने व उन्हे मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने के लिए दिल्ली सरकार बड़े-बड़े दांवे कर रही है लेकिन इसके बावजूद पब्लिक स्कूल गरीब बच्चों को अपने स्कूलों में प्रवेश देने में आनाकानी कर रहे है। राजधानी के 124 पब्लिक स्कूलों ने तो गत दो वर्ष के दौरान गरीब बच्चों को प्रवेश ही नहीं दिया गया। बता दें कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार से लेकर स्थानीय निकायों की सरकारें गरीब (ईडब्ल्यूएस) बच्चों को शिक्षा देने के लिए उन्हें स्कूलों तक लाने का प्रयास कर रही हैं। इसके बावजूद पब्लिक स्कूल गरीब बच्चों को अपने स्कूलों में प्रवेश देने में आनाकानी कर रहे है। राजधानी के 124 पब्लिक स्कूलों ने तो गत दो वर्ष के दौरान गरीब बच्चों को प्रवेश ही नहीं दिया गया। दिल्ली देहात में तो यह आंकड़ा कही ज्यादा है जहां अकसर निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस कोटें की 30 प्रतिशत सीटे खाली ही रह जाती है और शिक्षा अधिकारी कार्यवाही करने की बजाये बहाने बाजी बनाते ही नजर आते हैं।
दिल्ली देहात के नजफगढ़ जोन के शिक्षा अधिकारी व उपनिदेशक से जब इस संबंध में जानकारी मांगी गई तो उन्होने कहा कि उनके यहां सब ठीक चल रहा है। हां एक-आध स्कूल की कोई शिकायत आती है तो हम उसके खिलाफ कार्यवाही करते है। लेकिन जब उनसे दिल्ली पंचायत संघ के आरोपों के बारें में पूछा गया तो उन्होने कहा कि उन्हे इसकी जानकारी नही है।
वहीं पूरी दिल्ली के पब्लिक स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए आरक्षित सीटों में से वर्ष 2021-22 में 32.94 प्रतिशत व वर्ष 2022-23 के दौरान 29.60 प्रतिशत सीटें खाली रह गईं। दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में एक विधायक के प्रश्न के दिए गए उत्तर में शिक्षा विभाग ने यह खुलासा किया।
सरकारी विभागों से रियायती दरों पर जमीन लेने वाले पब्लिक स्कूलों में 25 प्रतिशत सीट गरीब बच्चों के लिए आरक्षित करने का प्रावधान होता है। इस तरह वर्ष 2021-22 में शिक्षा विभाग के सभी 12 जिलों के पब्लिक स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए 39139 सीट आरक्षित थीं, जबकि वर्ष 2022-23 के दौरान पब्लिक स्कूलों में गरीब बच्चों की सीटें बढ़कर 46196 हो गई थीं, मगर दोनों वर्ष यह सभी सीटों पूरी नहीं भरी गई।
वर्ष 2021-22 में 12893 और 13678 सीटें खाली रह गईं। विभागीय कार्रवाई के बाद कुछ स्कूलों ने तो गरीब बच्चों को प्रवेश दे दिया, मगर अनेक स्कूलों को इस पर नोटिस जारी किया और एक नामी स्कूल की तो मान्यता तक रद्द कर दी गई।
ऐसे में विभाग की कार्रवाई के खिलाफ कुछ स्कूल कोर्ट चले गए। उनका मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।शिक्षा विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक वेस्ट-बी जिला के पब्लिक स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए 7898 सीट आरक्षित हैं।
-ईडब्ल्यूएस कोटे में दाखिला नहीं दे रहे निजी स्कूल, दो वर्षों से 30 प्रतिशत सीटें रह रहीं खाली
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