नई दिल्ली/उमा सक्सेना/- राजधानी की सियासत एक बार फिर जोश में है। दिल्ली नगर निगम की 12 सीटों पर उपचुनाव की तारीख तय होते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज़ हो गई है। यह मौका भाजपा सरकार के लिए पहली बड़ी परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है, वहीं आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव उसके जनाधार और साख को बचाने की चुनौती बनकर सामने आया है।
30 नवंबर को मतदान, 3 दिसंबर को आएंगे नतीजे
राज्य चुनाव आयोग ने बताया है कि एमसीडी के 12 वार्डों पर 30 नवंबर को वोट डाले जाएंगे, जबकि मतगणना 3 दिसंबर को होगी। ये उपचुनाव भले ही सत्ता संतुलन को सीधे प्रभावित न करें, लेकिन इनके नतीजे यह ज़रूर तय करेंगे कि दिल्ली की जनता का झुकाव किस दल की ओर है।
‘आप’ के लिए राजनीतिक अस्तित्व की परीक्षा
आम आदमी पार्टी के लिए यह उपचुनाव राजनीतिक भविष्य की दिशा तय कर सकता है। हाल के महीनों में पार्टी को कई झटके झेलने पड़े — लोकसभा चुनाव में गठबंधन के बावजूद हार, विधानसभा से सत्ता का जाना और निगम पर से नियंत्रण का खत्म होना। अब अरविंद केजरीवाल की टीम दोबारा अपनी पकड़ मज़बूत करने के मिशन पर है।
भाजपा सरकार के कामकाज पर जनता का मूल्यांकन
दिल्ली की सत्ता संभाल रही भाजपा के सामने यह मौका अपनी सरकार की नीतियों और उपलब्धियों को जनता तक पहुँचाने का है। दूसरी ओर कांग्रेस और इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी (IVP) भी इस चुनावी मुकाबले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिशों में जुटी हैं।
स्थानीय मुद्दे बनेंगे चुनाव का केंद्र
इन उपचुनावों में मतदाता स्थानीय समस्याओं के समाधान को लेकर फैसला करेंगे। कूड़ा प्रबंधन, सफाई व्यवस्था, लैंडफिल साइट्स पर बढ़ते कचरे के पहाड़, सड़क किनारे मलबा और बाज़ारों में लाइसेंस संबंधी कठिनाइयाँ — ऐसे मुद्दे जनता के लिए सबसे अहम रहेंगे। इन विषयों पर उम्मीदवारों की जवाबदेही ही तय करेगी कि दिल्लीवासी किसे अपना प्रतिनिधि बनाना चाहते हैं।
नगर निगम की मौजूदा सियासी तस्वीर
फिलहाल दिल्ली नगर निगम में कुल 238 पार्षद हैं, जिनमें से भाजपा के पास 117, आम आदमी पार्टी के 99, इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी के 15 और कांग्रेस के 7 सदस्य हैं। बहुमत के लिए 126 सीटों की ज़रूरत है, और इस समय IVP का समर्थन भाजपा के पास है, जिससे उसकी स्थिति मज़बूत बनी हुई है।
इन वार्डों पर होंगे उपचुनाव
मुंडका, शालीमार बाग-बी, अशोक विहार, चांदनी चौक, चांदनी महल, द्वारका-बी, दिचाऊं कलां, नारायणा, संगम विहार-ए, दक्षिण पुरी, ग्रेटर कैलाश और विनोद नगर — ये वे इलाके हैं जहाँ उपचुनाव होने जा रहे हैं। इनमें से कई सीटें इसलिए खाली हुईं क्योंकि वहाँ के पार्षद अब विधायक या सांसद बन चुके हैं। जैसे द्वारका-बी की कमलजीत सहरावत 2024 में संसद पहुँचीं और सीट रिक्त हो गई।
तीन प्रमुख दलों के बीच कांटे का मुकाबला
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, कई सीटों पर भाजपा का आधार मजबूत है, मगर विपक्ष इस बार कूड़ा प्रबंधन, सफाई और शहर की अव्यवस्था जैसे मुद्दों को लेकर भाजपा पर निशाना साधने की तैयारी में है। ‘आप’ को उम्मीद है कि यह उपचुनाव उसकी राजनीतिक वापसी की राह खोलेगा, जबकि कांग्रेस भी दिल्ली की राजनीति में अपनी पुरानी पकड़ फिर से हासिल करने की कोशिश में है।
नतीजों पर टिकी निगाहें
अब सबकी नज़रें 30 नवंबर पर हैं, जब दिल्ली के मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 3 दिसंबर को जब परिणाम सामने आएंगे, तो यह साफ़ हो जाएगा कि राजधानी की जनता ने इस बार किस पार्टी पर भरोसा जताया है — और यही तय करेगा कि दिल्ली की सियासी दिशा अब किस ओर मुड़ेगी।


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