दिल्ली की सड़कों को आधी रात में प्रैक्टिस ट्रैक बना किया अभ्यास, अब देश को एशियन गेम्स में दिलाया स्केटिंग का पहली बार मेडल

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
September 20, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

दिल्ली की सड़कों को आधी रात में प्रैक्टिस ट्रैक बना किया अभ्यास, अब देश को एशियन गेम्स में दिलाया स्केटिंग का पहली बार मेडल

- स्पीड स्केटिंग के 3 हजार रिले रेस टीम ईवेंट में भारत को दिलाया ब्रॉन्ज मेडल - राष्ट्रीय स्तर पर जीते हैं 90 गोल्ड मेडल


मानसी शर्मा / – दिल्ली में स्केटिंग का कोई ट्रैक नहीं है, इसलिए आधी रात के बाद मैं दिल्ली की सड़कों पर अभ्यास के लिए निकल जाती थी। अगर मुझे देश के लिए मेडल जीतने की लालसा नहीं होती तो फिर मैं इस खेल में कभी आगे नहीं बढ़ पाती। मैने कभी नहीं सोचा कि मेरी यह मेहनत ही देश को एशियन गेम्स में पहली बार इस खेल में मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाएगी, यह कहना रहा एशियन गेम्स में स्पीड स्केटिंग की 3 हजार रिले रेस टीम ईवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली महिला स्केटिंग टीम का हिस्सा रहीं हीरल साधु का।

बता दें कि चीन में चल रही एशियन गेम्स में भारत ने 19 गोल्ड सहित अब तक 82 मेडल अपने नाम कर इतिहास रच दिया है। दिल्ली में रहने वाली कश्मीरी समुदाय की हीरल ने पहली बार भारत को स्पीड स्केटिंग में मेडल दिलाया है। 1989 के दशक में कश्मीर के हालात खराब होने के बाद दूसरे कश्मीरी पंडितों की तरह इस परिवार को भी अपना क्षेत्र छोड़ना पड़ा था। अब यह परिवार दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहता है और हीरल की इस उपलब्धि पर उनके पिता रोहित और मां पायल साधु खुशी से सरोबर है और अपनी बेटी पर गर्व महसूस कर रहे हैं। हीरल का यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला मेडल है। क्योंकि ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स में रोलर स्केटिंग को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एशियन गेम्स ही इस खेल के लिए सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है। अब तक भारत को रोलर स्केटिंग में कोई पदक नहीं मिला था लेकिन अब इसकी शुरुआत हो गई है।

गोल्ड जीतना चाहती हैं हीरल

हीरल ने बताया कि उनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को गोल्ड दिलाने का सपना है। जब 2026 में एशियन गेम्स होंगे तो भारत के लिए गोल्ड जीतने का उनका प्रयास रहेगा। हीरल ने बताया कि इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए उनके परिवार और उन्होंने लंबा संघर्ष किया है। दिल्ली में प्रैक्टिस ट्रैक न होने के कारण हर वीकएंड पर वह अपने कोच के साथ मोहाली जाकर अभ्यास करती थीं, क्योंकि दिल्ली में ऐसा कोई स्टेडियम और प्रैक्टिस ट्रैक नहीं है जहां पर रोलर स्केटिंग का अभ्यास किया जा सके। इसलिए वीकएंड पर मोहाली जाने के अलावा वह रात में दिल्ली की सड़कों को प्रैक्टिस ट्रैक बना लेती थीं। उन्होंने बताया कि इसके लिए उनके पिता सपोर्ट में उनके साथ सड़कों पर रात में निकलते थे। रोहित और पायल ने सरकार से अपील की है कि दूसरे गेम्स की तरह इस खेल को भी बेहतर सुविधाएं दी जाएं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर हीरल अब तक 2013 से लगातार गोल्ड विनर है। उसने 90 गोल्ड मेडल राष्ट्रीय स्तर पर जीते हैं। इसके अलावा स्कूल के स्तर पर भी वह हर साल गोल्ड मेडल विनर रही है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox