मानसी शर्मा /- रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति पद पर वापसी हो गई है। उनके हालिया बयान के बाद भारतीय व्यापार जगत में यह चिंता बढ़ गई है कि भारत के उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ में वृद्धि हो सकती है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने पहले ही अमेरिका के साथ अपने व्यापार संबंधों को बेहतर बनाने और उसकी संरक्षणवादी नीतियों का मुकाबला करने के लिए रणनीति तैयार कर ली है।
‘अमेरिका फर्स्ट’ रुख से सभी विशेषज्ञ चिंतित
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि अगर वह फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो न सिर्फ चीन, बल्कि भारत पर भी टैरिफ बढ़ाए जा सकते हैं। श्रीवास्तव का कहना है, “कमला हैरिस ने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन दोनों प्रमुख पार्टियों का संरक्षणवाद के प्रति दृष्टिकोण समान है। यदि ट्रंप सत्ता में लौटते हैं, तो निश्चित रूप से भारतीय व्यापार पर इसका असर पड़ेगा।”
भारतीय एक्सपोर्ट पर बढ़ सकता है दबाव
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (FIEO) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय का कहना है कि ट्रंप प्रशासन का ध्यान अमेरिकी उत्पादों को भारत में बढ़ावा देने पर है, खासतौर पर डेयरी और मेडिकल इक्विपमेंट जैसे उत्पादों पर। श्रीवास्तव के मुताबिक, ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर भारत को टैरिफ के मामले में सीधी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जबकि हैरिस प्रशासन का दृष्टिकोण इस मामले में अधिक संतुलित था।
भारत-अमेरिका व्यापार: अब तक कैसा रहा है संबंध?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार बन चुका है, और दोनों देशों के बीच सालाना व्यापार 190अरब डॉलर से भी ज्यादा है। 2020से 2024तक के वित्तीय वर्षों में भारत का अमेरिका को निर्यात 46प्रतिशत बढ़कर 77.5अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसी दौरान, भारत का अमेरिकी से आयात भी 17.9प्रतिशत बढ़ा और यह 35.8अरब डॉलर से बढ़कर 42.2अरब डॉलर हो गया।
इन सेक्टर्स में है मजबूत अमेरिकी मांग
अमेरिका भारतीय सामानों के लिए एक अहम बाजार बना हुआ है, खासतौर पर टेक्नोलॉजी, फार्मास्युटिकल्स, टेक्सटाइल और इंजीनियरिंग उत्पादों के लिए। इन उत्पादों की अमेरिकी बाजार में उच्च मांग भारत के निर्यात को प्रोत्साहित कर रही है, और आने वाले समय में इन क्षेत्रों में और भी विस्तार की उम्मीद जताई जा रही है।
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