नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- जापान के हिरोशिमा में जी-7 देशों का सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन के अंत में जो संयुक्त बयान जारी किया गया, उससे चीन नाराज हो गया है। चीन ने संयुक्त बयान के खिलाफ जी-7 देशों के खिलाफ कूटनीतिक तरीके से विरोध किया है। बता दें कि जी-7 देशों ने अपने संयुक्त बयान में ताइवान, पूर्वी और दक्षिण चीन सागर के मामले में चीन की कार्रवाई की निंदा की। वहीं चीन ने इस बयान को उसके आंतरिक मामलों में दखल माना है और इसके खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई है।
जी-7 देशों ने संयुक्त बयान में क्या कहा
जी-7 देशों की बैठक के बाद जो संयुक्त बयान जारी किया गया, उसमें चीन का खूब जिक्र किया गया। बयान में कहा गया है कि जी-7 देश भी चीन के साथ बेहतर संबंध चाहते हैं लेकिन वह चीन के ताइवान, पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर के मुद्दों को लेकर चिंतित भी हैं। जी-7 देशों ने चीन में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले पर भी बात की और कहा कि तिब्बत, हॉन्ग कॉन्ग, शिनजियांग में मानवाधिकारों की स्थिति खराब है और उइगुर मुसलमानों को डिटेंशन कैंप में रखने पर भी चिंता जाहिर की।
चीन ने जताई नाराजगी
वहीं जी-7 देशों के संयुक्त बयान से चीन ने नाराजगी जाहिर की है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन की चिंताओं के बावजूद जी-7 देश चीन के आंतरिक मामलों में दखल दे रहे हैं और उस पर लगातार हमला कर रहे हैं। बयान में कहा गया कि चीन सख्त तौर पर इसकी निंदा करता है और दृढ़ता से इन आरोपों को खारिज करता है। बता दें कि यूक्रेन को भी जी-7 देशों की बैठक में आमंत्रित किया गया था। बयान में ये भी कहा गया कि वह उम्मीद करते हैं कि चीन, यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए रूस पर दबाव बनाएगा।
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