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    जलशक्ति अभियान को जनशक्ति अभियान बनाने की जरूरत- डाॅ अशोक कुमार

    भविष्य में पानी की उपयोगिता पर केविके उजवा ने किया वेबिनार, किसानों की सहभागिता से ही होगा जलशक्ति अभियान सफल
    मुख्यअतिथि डाॅ अशोक कुमार

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कृषि विज्ञान केंद्र उजवा एवं राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान नई दिल्ली द्वारा आयोजित वेबिनार में मुख्यअतिथि डाॅ अशोक कुमार ने कहा कि आज जलशक्ति अभियान को जनशक्ति अभियान बनाने की जरूरत है। जब तक इस अभियान में किसानों की भागीदारी सुनिश्चित नही होगी तब तक हम इस अभियान की सफलता के बारें में नही सोच सकते। जल शक्ति अभियान 2021 के अंतर्गत ऑनलाइन वेबिनार   भविष्य में पानी की उपयोगिता विषय पर आयोजित किया गया।
                           इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक कृषि प्रसार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूसा, नई दिल्ली एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ सुशील कुमार सिंह, निदेशक, भारतीय कृषि अनुप्रयोग संस्थान जोन-2 जोधपुर राजस्थान, डॉक्टर नवीन अग्रवाल जिला अधिकारी एवं उपायुक्त दक्षिण पश्चिम दिल्ली, नीलम पटेल सलाहकार नीति आयोग भारत सरकार एवं सुश्री सर्जना यादव सहायक आयुक्त दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली ने वेबिनार में उपस्थित होकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ प्रमोद कुमार गुप्ता, अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र उजवा एवं निदेशक राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रतिष्ठान नई दिल्ली ने सभी गणमान्य अतिथियों, प्रख्यात वैज्ञानिकों एवं किसान भाई बंधुओं का कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हार्दिक स्वागत किया एवं जल शक्ति अभियान  कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में विस्तृत रूप से प्रतिभागियों को जानकारी उपलब्ध करवाई।
                         कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ अशोक कुमार सिंह ने कहा कि आज के समय 0.2 मीटर प्रतिवर्ष भूमिगत जल की गिरावट आ रही है। यदि हम वर्षा जल के प्रबंधन, संचयन, संरक्षण एवं जल पुनर्चक्रण पर कार्य नहीं करेंगे तो हमें किसी प्रणाली को प्रबंध करने में कठिनाई आने वाली है क्योंकि हम 80-90 प्रतिशत पानी का उपयोग कृषि क्षेत्र में कर रहे हैं। वर्तमान में हमें जल शक्ति अभियान को जन शक्ति अभियान में परिवर्तित करने की जरूरत है और इसकी शुरुआत में किसानों की सहभागिता होनी आवश्यक है क्योंकि उनके बिना यह कार्य संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों का चुनाव, कम अवधि की प्रजातियों का चुनाव, बूंद बूंद सिंचाई तकनीकी फसल विविधीकरण, दलहनी व तिलहनी फसलों का चुनाव तथा धान की सीधी बुवाई आदि के माध्यम से कृषि क्षेत्र में कम पानी का उपयोग हो इसके लिए विभिन्न योजनाएं अनुसंधान एवं कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से कृषकों के प्रक्षेत्र पर चलाई जा रही हैं।
                 इसी क्रम में डॉ एसके सिंह ने कहा कि भारत सरकार ने वर्ष 2021 में 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाते हुए जल शक्ति अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान 22 मार्च 2021 से 30 नवंबर 2021 तक चलाया जाएगा। इस दौरान पूरे भारतवर्ष के कृषि विज्ञान केंद्र, किसानों को जल संरक्षण, जल संचयन एवं जल पुनर्चक्रण विषय पर प्रशिक्षण देंगे एवं भारत सरकार की विभिन्न योजनाएं जैसे बूंद बूंद सिंचाई, फुव्वारा पद्धति एवं सूक्ष्म सिंचाई पद्धति आदि के बारे में जागरूक करेंगे। क्योंकि जल के संरक्षण एवं प्रबंधन की शुरुआत किसान व किसानों के खेत से ही होगी। हमें वर्तमान में धान-गेहूं लगाने वाले लघु व सीमांत किसानों की मिट्टी की उर्वरकता शक्ति के साथ-साथ पानी को भी बचाना है। वर्तमान में हमें कम पानी वाले व्यवसाय जैसे पशु पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, फूलों की खेती व सब्जियों की खेती को बढ़ावा देना चाहिए तथा इसके लिए किसानों के साथ-साथ युवाओं को भी जोड़ना चाहिए।
                                 इसी क्रम में उपायुक्त डॉक्टर नवीन अग्रवाल ने कहा की प्रकृति ने हमें कोरोना के माध्यम से ऑक्सीजन का महत्व समझा दिया है। हमें अभी से ही संभल जाना चाहिए और भविष्य में जल की उपयोगिता के महत्व को ध्यान में रखते हुए जन भागीदारी एवं जन शक्ति के साथ जल संरक्षण करना चाहिए। कार्यक्रम के क्रम में डॉक्टर नीलम पटेल, वरिष्ठ सलाहकार नीति आयोग भारत सरकार ने कहा कि कृषि क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए भारत सरकार की विभिन्न योजनाएं राज्य सरकार के माध्यम से चलाई जा रही है। किसान भाइयों को जिला अधिकारी यह उधानिकी अधिकारियों से संपर्क करके योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। हम कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से जल संरक्षण की विभिन्न तकनीकों के प्रदर्शनों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। सहायक उपायुक्त सुश्री सर्जना यादव ने कहा कि हमें शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जल का दुरुपयोग रोकने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाने चाहिए ताकि हम बचाए गए पानी का उपयोग घर के घरेलू कार्य एवं गृह वाटिका में कर सकते हैं। हमें अब जमीन को पानी लेने के साथ-साथ जमीन को पानी देना भी होगा। हम वर्षा के जल को कैसे संचयित करें ऐसी धारणा रखकर जल की उपलब्धता को निरंतर बनाए रखना चाहते हैं। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के समापन पर श्री कैलाश विशेषज्ञ कृषि प्रसार ने सभी उपस्थित गणमान्य अतिथियों का कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हार्दिक अभिनंदन किया गया।
                              तकनीकी सत्र के दौरान प्रोफेसर मानसिंह, परियोजना निदेशक जल प्रौद्योगिकी केंद्र भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा नई दिल्ली ने जन सहभागिता द्वारा भविष्य में जलापूर्ति समस्या के समाधान विषय पर व्याख्यान देते हुए किसानों को जल संरक्षण की विधियों एवं जल आपदाओं को कम करके कृषि क्षेत्र में जमीनी पानी को बढ़ाने के लिए विस्तृत रूप से जानकारी दी। डॉ बी एस तोमर, संयुक्त निदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा नई दिल्ली ने जल संरक्षण की पुरानी पद्धतियों का व्याख्यान करते हुए जल बचाने की पुरानी तकनीकी के बारे में विस्तृत रूप से समझाया एवं सब्जी एवं फल वृक्षों में जल संरक्षण हेतु विभिन्न सिंचाई प्रबंधन तकनीकी के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी साझा की। डॉक्टर इंद्रमणि मिश्रा, अध्यक्ष कृषि अभियांत्रिकी विभाग भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा  ने जल संरक्षण व जल पुनर्चक्रण की विधियों जैसे जल भंडारण, जल संग्रहण के बारे में जानकारी साझा करते हुए प्रति बूंद अधिक फसल उत्पादन तकनीकी अपनाने के बारे में जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें जलवायु एवं ऊर्जा संसाधनों का उपयोग करते हुए कृषि प्रणाली के साथ-साथ इसके समावेश को बढ़ाना है जिससे प्रकृति से प्राप्त सभी संसाधनों का सही और संतुलित उपयोग हो सके।
                  इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कृषि विज्ञान केंद्र के सभी वैज्ञानिकगणों डॉ ऋतु सिंह, डॉ डीके राणा, श्री राकेश कुमार, डॉक्टर समर पाल सिंह, श्री बृजेश यादव, श्रीमती मंजू, श्री विशाल एवं राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रतिष्ठान नई दिल्ली के श्री सुधीर कुमार, श्री हिमांशु एवं श्री रुपेश ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागी बने एवं सोशल मीडिया यूट्यूब और फेसबुक के माध्यम से सीधा प्रसारण किया गया।

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