चीन की नापाम चाल, पुतिन का खास दोस्त अब रूसी इलाकों के रख रहा चीनी नाम

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
November 21, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

चीन की नापाम चाल, पुतिन का खास दोस्त अब रूसी इलाकों के रख रहा चीनी नाम

-पुतिन के गढ़ पर ड्रैगन ने ठोका दावा!, भारत की शरण में दोस्‍त रूस

बीजिंग/मास्को/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- भारत व अन्य पड़ोसी देशों के इलाकों को अपना क्षेत्र बताकर चीनी नाम रखने वाले चीन ने अब रूस के भी कुछ इलाकों पर अपना दांवा ठोकने का दुस्साहस किया है। चीन ने अपने खास दोस्त रूस के कुछ इलाकों का चीनी भाषा में नामकरण कर दिया है। चीन की इस नापाक चाल से एक बार फिर चीन और रूस के बीच सीमा विवाद गरमा गया है। चीन की इस नापाक चाल पर रूस अपने पुराने दोस्त भारत की मदद ले रहा है।
           दरअसल चीन, भारत-रूस की दोस्ती का पचा नही पा रहा है। उसने रूस को भारत से दूर करने के लिए कई चाल चली। रूस को चीन का खास दोस्त भी बताया लेकिन जब वह भारत-रूस की दोस्ती तोड़ नही पाया तो चीन ने अपना असली रंग दिखाते हुए रूस पर भी अपनी नापाक चाल चल दी। भारत के अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों का चीनी नाम रखने के बाद अब चीन का दुस्‍साहस बढ़ता ही जा रहा है। चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय ने साल 2023 की शुरुआत में आदेश दिया था कि चीन ने सोव‍यित जमाने में जिन इलाकों को गंवा दिया, उनका पुराना चीनी नाम ही इस्‍तेमाल किया जाए। यह इलाका अब रूस का सुदूर पूर्व क्षेत्र कहा जाता है। इसी इलाके में व्‍लादिवोस्‍तोक शहर स्थित है जो रूस का प्रशांत महासागर में प्रवेश द्वार है। चीन के इस कदम को बहुत महत्‍वपूर्ण माना जा रहा है। वह भी तब जब यूक्रेन युद्ध के बाद रूस एक तरह से चीन का जूनियर पार्टनर बन गया है और अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए पुतिन ने शी जिनपिंग से गुहार लगा रहे हैं।
          रूस का व्‍लादिवोस्‍तोक शहर रूसी नौसेना के प्रशांत बेड़े का मुख्‍यालय है। एशिया टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने इसका नाम अब हैशेनवेई, सखालिन का द्वीप का नाम कूयेदावो कर दिया है। इसके बाद अगस्‍त महीने में चीन के मंत्रालय ने एक नक्‍शा जारी किया जिसमें रूस के विवादित इलाके बोलशोई यूस्‍सूरियस्‍की द्वीप को चीन की सीमा के अंदर दिखा दिया। चीन की इस चाल के बाद कई पश्चिमी विश्‍लेषकों ने यह कहना शुरू कर दिया कि रूसी गणराज्‍य को कई टुकड़ों में बांट दिया जाए। इससे पश्चिमी देशों को रूसी खतरा सदा के लिए खत्‍म हो जाएगा और वह यूक्रेन पर हमले भी नहीं कर सकेगा।

चीन और रूस में लंबे समय तक रहा है सीमा विवाद
रिपोर्ट में रूसी मामलों के विशेषज्ञ सुसान स्मिथ पीटर ने कहा कि मैं मानता हूं कि रूस के टूटने का खतरा न के बराबर है। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि अगर रूस का फॉर ईस्‍ट इलाका टूटता है तो इससे पश्चिमी देशों को फायदा होगा या चीन को। उन्‍होंने कहा कि रूसी क्षेत्र को स्‍वतंत्र घोषित करने पर गंभीर चुनौती पैदा हो सकती है। इसके लिए जनता भी तैयार नहीं होगी। रूस के फॉर ईस्‍ट इलाके में अगर कोई इलाका खुद को रूस से अलग करता है तो चीन इस पूरे मामले में कूद सकता है। चीन या तो उस इलाके पर कब्‍जा कर लेगा या फिर अपना प्रभाव बहुत ज्‍यादा बढ़ा लेगा।
         रूस के फॉर ईस्‍ट इलाके में अमूर का भी क्षेत्र आता है जो चीन की सीमा से लगता है। इसी से सटकर व्‍लादिवोस्‍तोक भी है। इस इलाके को 19वीं सदी में रूसी जनरल निकोलाई मुराव इव अमूरस्‍की ने अपनी ताकतवर सेना और अत्‍याधुनिक हथियारों के बल पर चीन को हराकर उससे छीन लिया था। इस इलाके को लेकर रूस और चीन के बीच अब भी विवाद बना हुआ है। साल 1969 के दौरान चीन और सोवियत संघ के बीच 7 महीने तक अघोषित युद्ध चला था। साल 1991 के बाद चीन और रूस के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी और संधियां हुईं। इस दौरान सीमाओं की दोनों ही पक्षों ने पुष्टि की।

रूस को चुकानी होगी कीमत, माओ ने दी थी धमकी
इन संधियों के बाद भी चीन के सभी गुटों ने इसे स्‍वीकार नहीं किया है। चीन की किताबों में अभी भी यह पढ़ाया जाता है कि चीन को रूस के हाथों 15 लाख वर्ग किमी इलाका गंवाना पड़ा है। चीन के संस्‍थापक माओ ने कहा था कि रूस को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्‍होंने कहा था कि यह चीनी क्षेत्रों की चोरी है। अब कई रूसी लोगों का मानना है कि चीन रूस के इस फॉर ईस्‍ट इलाके को अपना उपनिवेश बना सकता है। चीन यहां मिलने वाले कच्‍चे माल जैसे हीरे और सोने का इस्‍तेमाल कर सकता है।
         इसके अलावा यहां बड़ी मात्रा में गैस और तेल भी मिला है जिसकी कीमत अरबों डॉलर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बाद चीन यहां राजनीतिक कब्‍जे की ओर आगे बढ़ सकता है। चीन की इसी चाल को मात देने के लिए रूस ने भारत के साथ हाथ मिलाया है और अरबों डॉलर का निवेश व्‍लादिवोस्‍तोक के आसपास किया जा रहा है। चेन्‍नै से लेकर व्‍लादिवोस्‍तोक तक माल भेजने की शुरुआत होने जा रही है। इसका हाल ही में ट्रायल किया गया था जो सफल रहा है। रूस चाहता है कि भारत व्‍लादिवोस्‍तोक में सैटलाइट शहर बसाए ताकि चीन का इस इलाके में बढ़ रहा प्रभाव कम हो।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox