• DENTOTO
  • चांद को लेकर क्यों मची है दुनिया में होड़, आखिर किस खजाने पर टिकी है सबकी नजर?

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    June 2025
    M T W T F S S
     1
    2345678
    9101112131415
    16171819202122
    23242526272829
    30  
    June 5, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    चांद को लेकर क्यों मची है दुनिया में होड़, आखिर किस खजाने पर टिकी है सबकी नजर?

    -भारत, रूस, यूएस, जापान और चीन में चांद पर पहुंचने की मची होड़?

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/विशेष समाचार/भावना शर्मा/– एक तरफ भारत का चंद्रयान-3 पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है तो दूसरी और रूस ने भी अपना लूना-25 यान लांच कर दिया है जो चंद्रयान-3 से पहले चंद्रमा पर उसी तरफ उतरेगा जिस तरफ भारत का चंद्रयान-3 उतरने वाला है। हालांकि चंद्रमा पर उतरने का लक्ष्य रखने वाला एकमात्र देश भारत ही नही है बल्कि रूस, चीन, जापान और यूएस की भी चांद पर नजर है। और आने वाले समय में उपरोक्त सभी देश अपने खोजी चंद्रयान चांद पर भेज रहे है। आखिर चांद पर ऐसी कौन सी चीज है जिसको लेकर सभी देशों की चांद पर जाने की होड़ लगी है। तो आईये हम परत दर परत उन चीजों का विस्तार से वर्णन करते हैं।

    भारत के चंद्रयान के अलावा, रूस ने भी इस सप्ताह 47 वर्षों में अपना पहला चंद्रमा-लैंडिंग अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है। इस बीच, अमेरिका और चीन साल 2030 से पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने की होड़ में लगे हुए हैं। तो सवाल है कि ये विश्व शक्तियां पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह में नए सिरे से रुचि क्यों दिखा रहे हैं?
                 इसरो के अनुसार यह भारत ही था जिसने सबसे पहले चंद्रमा पर पानी की निश्चित खोज की थी। साल 2008 में, चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की सतह पर फैले और ध्रुवों पर केंद्रित हाइड्रॉक्सिल अणुओं का पता लगाया था। पानी मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है और यह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का स्रोत है और इसका उपयोग रॉकेट ईंधन के लिए किया जा सकता है।
                 वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पर्वत श्रृंखलाओं की सतत छाया में बर्फ के नीचे पानी दबा हो सकता है। लूना-25 लॉन्च करने वाली रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि उनका पहला लक्ष्य पानी ढूंढना और पुष्टि करना है कि वह वहां है। फिर वह इसकी प्रचुरता का अध्ययन करेगा।
                 हीलियम-3 हीलियम का एक आइसोटोप है जो पृथ्वी पर दुर्लभ है, लेकिन नासा का कहना है कि चंद्रमा पर इसके दस लाख टन होने का अनुमान है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, यह आइसोटोप एक संलयन रिएक्टर में परमाणु ऊर्जा प्रदान कर सकता है लेकिन चूंकि यह रेडियोधर्मी नहीं है इसलिए यह खतरनाक अपशिष्ट उत्पन्न नहीं करेगा।
                 बोइंग के शोध के अनुसार, दुर्लभ पृथ्वी धातुएं – जिनका उपयोग स्मार्टफोन, कंप्यूटर और उन्नत प्रौद्योगिकियों में किया जाता है- चंद्रमा पर भी मौजूद हैं, जिनमें स्कैंडियम, इट्रियम और 15 लैन्थनाइड शामिल हैं। इससे इन दुर्लभ धातुओं के संभावित निष्कर्षण और उपयोग में रुचि बढ़ी है।
                 चांद पर माइनिंग कैसे काम करेगी, फिलहाल यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। वैज्ञानिकों को मानना है कि चंद्रमा पर किसी प्रकार का बुनियादी ढांचा स्थापित करना होगा। चंद्रमा की स्थितियों का मतलब है कि रोबोट को अधिकांश कठिन काम करना होगा, हालांकि चंद्रमा पर पानी लंबे समय तक मानव उपस्थिति की अनुमति देगा।
                संयुक्त राष्ट्र 1966 बाह अंतरिक्ष संधि कहती है कि कोई भी राष्ट्र चंद्रमा या अन्य खगोलीय पिंडों पर संप्रभुता का दावा नहीं कर सकता है और अंतरिक्ष की खोज सभी देशों के लाभ के लिए की जानी चाहिए लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि कोई निजी संस्था चंद्रमा के एक हिस्से पर संप्रभुता का दावा कर सकती है या नहीं।
                अभी सभी देश चांद पर मिलने वाले दुर्लभ तत्वों, खनिजों व धातुओं की खोज में ही लगे हुए है। उनका पहला मकसद संभावनाओं पर काम कर उन बहुमूल्य तत्वों व धातुओं का पता लगाना है जो आने वाले समय की जरूरत है। जो भी इस खोज को पहले करेगा वह अवश्य ही इस पर अपनी संप्रभुता भी जतायेगा। इसी को लेकर चंद्रमा पर जाने वालों की अब होड़ सी लग गई है।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox