खनन पाबंदी के बाद वन्यजीवों व परिंदों से आबाद हो रही अरावली की पहाड़ियां

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 29, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

खनन पाबंदी के बाद वन्यजीवों व परिंदों से आबाद हो रही अरावली की पहाड़ियां

-पिछले 25 साल से दिल्ली के आसपास 32 वर्ग किलोमीटर में तेंदुएं, हिरण व गिद्धों की संख्या में हुई बढौतरी

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- अरावली की पहाड़ियों में खनन पर लगी पाबंदी के बाद से वन्यजीवों की आबादी दिल्ली के आसपास 32 वर्ग किलोमीटर के दायरें में तेजी से बढ़ने लगी है। बीते करीब 25 साल से दिल्ली के 32 वर्ग किलोमीटर के दायरे में तेंदुएं, हिरण, गिद्धों सहित करीब 30 प्रजातियों के वन्यजीवों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वन्यजीवों के संरक्षण के लिए जरूरी है कि हरियाली को बढ़ावा देने के साथ-साथ अभ्यारण्य से दूर निर्माण गतिविधियां हो। इससे हरियाली और वन्यजीवों के लिए बेहतर पर्यावरण संतुलन भी रहेगा।
                 अरावली पर्वत शृंखला में असोला भाटी वाइल्डलाइफ सेंचुरी हैं। करीब 32 वर्ग किलोमीटर के दायरे में जंगल और रिज क्षेत्र हैं। वन्यजीवों को बेहतर माहौल मिलने से उनकी संख्या में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है। इस क्षेत्र में 30 से अधिक वन्यजीवों समेत 250 से अधिक प्रजातियों का बसेरा है। हर साल प्रवासी पक्षी भी यहां आते हैं।

                 कंजर्वेशन एजुकेशन सेंटर (बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी) के असिस्टेंट डायरेक्ट सुहैल मदान के मुताबिक अरावली क्षेत्र में खनन पर पाबंदी लगाए जाने के बाद वन्यजीवों की तादाद बढ़ने लगी है। उन्हें रहने के लिए माकूल माहौल मिले तो संख्या में और भी बढ़ोतरी हो सकती है। अगर वन क्षेत्र कम होंगे तो इससे पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ने का खतरा बढ़ेगा। पर्यावरण के लिहाज से जरूरी है कि वन क्षेत्र और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनी रहे। वसंत कुंज और सेंट्रल रिज से भी काफी सुधार होगा।

पशुओं की गिनती के लिए लगाए गए हैं कैमरा ट्रैप
पशुओं की गिनती और उनके व्यवहार का पता करने के लिए असोला भाटी में कैमरे लगाए गए हैं। इससे वन्यजीवों की तमाम गतिविधियों पर नजर बनी रहती है। हाल ही में दो शावकों का जन्म होने के बाद अभ्यारण्य में आठ तेंदुएं और दो शावक हो गए हैं। हिरण, जैकाल, नीलगाय, हॉग डीयर और ब्लैक इगल भी यहां रह रहे हैं। वन क्षेत्र में करीब 250 से अधिक प्रजातियां रहती हैं। हर साल सर्दियों के दौरान विदेशी पक्षी भी प्रवास करते हैं।

इंसान को काटने के बाद सांप हो जाते हैं कई गुना अधिक भूखे
अभ्यारण्य में सांपों की कई प्रजातियां भी रहती हैं। प्रो. मदान के मुताबिक सांपों से भले ही लोगों में डर हैं, लेकिन उन्हें जब तक छेड़ा नहीं जाए काटते नहीं है। किसी भी जीव जंतु को को काटने के बाद सांप के विष निकलने पर उसके शरीर में करीब दो हफ्ते की भूख जागृत हो जाती है। अगर किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो विष छोड़ने के बाद निगल नहीं सकता है।
                  ऐसे में किसी इंसान को अगर सांप काट लेते हैं तो उसकी भूख कई गुना बढ़ जाती है। अगर उसे लंबे समय तक खाना नहीं मिले तो सांप मर भी सकता है। चूहा या दूसरे जीवों को काटने के बाद उसे भोजन के तौर पर निगल लेता है। इससे भूख की भरपाई होती है।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox