क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे?, जो कौवों के लिए खीर बनाने को कहते थे?-और कहते थे कि कौवों को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल जाएगा?

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September 20, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे?, जो कौवों के लिए खीर बनाने को कहते थे?-और कहते थे कि कौवों को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल जाएगा?

नहीं, हमारे ऋषि मुनि क्रांतिकारी विचारों के थे।
यह है सही कारण।

क्या पीपल या बड़ के बीज मिलते हैं?

इसका जवाब है नहीं….
बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु नहीं लगेगी।
कारण प्रकृति/कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।
यह दोनों वृक्षों के बीज कौवे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसिंग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं। उसके पश्चात
कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां-वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं।

पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो राउंड दा क्लॉक ऑक्सीजन ओ-2 छोड़ता है और बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है।
देखो अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है इसलिए कौवे को बचाना पड़ेगा।

और यह होगा कैसे?
मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है।
तो इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है इसलिए ऋषि-मुनियों ने कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राद्ध के रूप मे पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी।

जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये……
इसलिए दिमाग को दौड़ाए बिना श्राद्ध करना प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है।
घ्यान रखना जब भी बरगद और पीपल के पेड़ को देखो तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं।

सनातन धर्म पे उंगली उठाने वालों, पहले सनातन धर्म को जानो फिर उस पर ऊँगली उठाओ। जब आपका विज्ञान नही था, तब हमारे सनातन धर्म को पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है, कौन सी चीज खाने लायक है कौन सी नहीं…? अथाह ज्ञान का भंडार है हमारा सनातन धर्म और उनके नियम, मैकाले के शिक्षा पद्धति में पढ़ के केवल अपने पूर्वजों, ऋषि मुनियों के नियमों पर ऊँगली उठाने के बजाय, उसकी गहराई को जानिये….

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