कोरोना के बावजूद दोनो नेताओं की मुलाकात दर्शाती है

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कोरोना के बावजूद दोनो नेताओं की मुलाकात दर्शाती है

- भारत-रूस के संबंधों की घनिष्ठता -पुतिन-मोदी मुलाकात पर रूसी राष्ट्रपति ने कहा- भारत महान शक्ति और भरोसेमंद दोस्त; दोनों देशों के बीच 6 सेक्टर्स में समझौते संभव

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज सोमवार को एक दिवसीय भारत दौरे पर आये हैं। उनका विशेष विमान दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरा, जिसके बाद वह हैदराबाद हाउस पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। फिलहाल दोनों नेताओं के बीच शिखर वार्ता जारी है। जिसे देखकर पाकिस्तान व चीन सांसे थाम कर इस बैठक पर नजर जमाये हुए हैं। वहीं अमेरिका भी इस बैठक पर पूरी तरह से सतर्क बना हुआ है। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना संकट के बावजूद भारत-रूस के संबंध में कोई बदलाव नहीं आया. उन्होंने कहा, ”कोविड की चुनौतियों के बावजूद भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों और सामरिक भागीदारी में कोई बदलाव नहीं आया है. कोविड के खिलाफ लड़ाई में भी दोनों देशों के बीच सहयोग रहा है.।”
              इस विजिट पर अमेरिका और चीन की भी पैनी नजर है। सोमवार को ही भारत और रूस के बीच 2$2 बातचीत हुई। ये काफी अहम है। देर रात पुतिन मॉस्को लौट जाएंगे। हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मुलाकात कर रहे हैं और 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. पीएम मोदी से मुलाकात के लिए व्लादिमीर पुतिन हैदराबाद हाउस पहुंच गए हैं।
                कोरोना महामारी के मद्देनजर दोनों नेताओं की मुलाक़ात के लिए विशेष ऐहतियात बरता जा रहा है। उनकी बातचीत के दरम्यान बहुत ही छोटे डेलीगेशन को मौजूद रहने दिया जाएगा। मोदी-पुतिन बातचीत के बाद दोनों देशों का एक संयुक्त बयान जारी किया जाएगा लेकिन विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के दौरे के समय परंपरागत मीडिया स्टेटमेंट नहीं होगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूसी राष्ट्रपति के सम्मान में हैदराबाद हाउस में एक डिनर भी देंगे। इसके बाद राष्ट्रपति पुतिन रात 9.30 बजे रूस रवाना हो जाएंगे।


                 माना जा रहा है कि राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे से ना सिर्फ भारत-रूस के संबंध और गहरे होंगे बल्कि चीन-पाकिस्तान जैसे देशों को भी बड़ा संदेश जाएगा। बताया जा रहा है कि भारत दौरे के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक खास तौहफा भी लेकर आए हैं। राष्ट्रपति पुतिन एस-400 का एक मॉडल प्रधानमंत्री मोदी को भेंट करेंगे। यह सब खासकर उस मौके पर होने वाला है जबकि भारत और रूस के बीच एस 400 एयर डिफ़ेंस सिस्टम के पांच में से दो सिस्टम को रूस से भारत डिलीवरी के लिए रवाना किया जा चुका है। इसके अलावा पुतिन के दौरे में भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से एके 203 को उत्तरप्रदेश के अमेठी में बनाने के लिए सौदे पर मुहर लगने वाली है।
                   इससे पहले भारत और रूस के बीच पहली बार 2$2 मंत्रिस्तरीय वार्ता हुई जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर ने रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ हिस्सा लिया। इस दौराम एस जयंशकर ने कहा कि भारत-रूस के संबंध बदलती हुई दुनिया में और मजबूत हुए हैं और समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद और कट्टरवाद को क्षेत्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियों के रूप में बताया।
                   मोदी ने कहा- मोदी ने कहा- मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत हमारा रक्षा सहयोग और मजबूत हो रहा है। रक्षा और आर्थिक क्षेत्र में दोनों देश अहम सहयोगी है। कोरोना के खिलाफ भी हमारा सहयोग रहा है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा- आर्थिक क्षेत्र में भी हमारे रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए हम बड़े विजन पर काम कर रहे हैं। हमने 2025 तक 30 बिलियन डॉलर ट्रेड और 50 बिलियन डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है। पुतिन ने कहा कि हम भारत को एक महान शक्ति, भरोसेमंद दोस्त के रूप में देखते हैं।
                  रूसी मीडिया के मुताबिक, पुतिन की एक दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देश ट्रेड, एनर्जी, कल्चर, डिफेंस, स्पेस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करीब 10 समझौते कर सकते हैं। डिफेंस सेक्टर पर दुनिया की नजरें ज्यादा होंगी। दो समझौतों से अमेरिका पहले ही कुछ परेशान है। ये हैं ै-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम और दूसरा है अमेठी में ।ज्ञ-203 राइफलों का प्रोडक्शन। यहां साढ़े सात लाख ।ज्ञ-203 राइफलें बनाई जानी हैं। दुनिया में पहली बार यह राइफलें रूस से बाहर बनाई जानी हैं।

अमेरिकी दबाव
भारत और रूस के बीच जब एस-400 पर समझौता हुआ तो अमेरिका इससे नाराज हो गया। उसने अपने स्पेशल एक्ट के जरिए भारत पर प्रतिबंधों की धमकी दी। ये इसी मामले में वो तुर्की पर लगा चुका है। हालांकि, ै-400 की डिलीवरी शुरू हो चुकी है और अमेरिका इस पर ज्यादा कुछ नहीं कर सका है। माना जा रहा है कि भारत अब ै-400 के साथ ै-500 पर भी बातचीत कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो अमेरिकी रिएक्शन का इंतजार रहेगा।

क्वॉड पर रूस की आपत्ति
भारत ने अब तक सिर्फ तीन देशों के साथ 2$2 बातचीत की है। ये हमारे क्वॉड पार्टनर अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया हैं। इस लिस्ट में रूस के शामिल होने से अमेरिका को खुशी तो बिल्कुल नहीं होगी, क्योंकि भारत और रूस पहले ही कई दशक से डिफेंस पार्टनर हैं। क्वॉड को लेकर रूस की अपनी आपत्तियां हैं और वो इसे पूरी तरह से अमेरिका को ध्यान में रखकर देखता है। जाहिर है भारत की इसमें मौजूदगी से रूस खुश नहीं है। मोदी और पुतिन की बातचीत के दौरान यह मुद्दा उठ सकता है। भारत पहले ही साफ कर चुका है कि क्वॉड के चार देशों के बीच इश्यू बेस्ड, यानी मुद्दों पर आधारित सहयोग है।

शॉर्ट विजिट से फर्क नहीं पड़ता
कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पुतिन सिर्फ कुछ घंटे के लिए ही भारत आ रहे हैं। हालांकि, भारतीय और रूसी विदेश मंत्रालय का कहना है कि यात्रा छोटी होने से बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता। एनर्जी सेक्टर में दोनों देशों के बीच अभी 30 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट है। 2025 तक इसे 50 बिलियन डॉलर तक करने का प्लान है। मोदी 2019 में रूस गए थे। इस दौरान 10 हजार 300 किलोमीटर के चेन्नई व्लादिवोस्तोक सी-रूट पर बातचीत हुई थी। अगर इस पर समझौता होता है तो दोनों ओर के शिप्स को एक-दूसरे के यहां पहुंचने में 24 से 40 दिन कम लगेंगे।
                  कोविड के दौर में पुतिन की यह सिर्फ दूसरी विदेश यात्रा है। उनके विदेश और रक्षा मंत्री एक दिन पहले भारत पहुंच चुके हैं। पुतिन ने 2019 में मोदी को ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रू से सम्मानित किया था। मोदी यह सम्मान पाने वाले अकेले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष हैं।

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