कारोबारी से एक करोड़ रुपये ठगी करने वाले गैंग का मुख्य आरोपी गिरफ्तार

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
September 20, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

कारोबारी से एक करोड़ रुपये ठगी करने वाले गैंग का मुख्य आरोपी गिरफ्तार

-बिना सिमकार्ड के मोबाइल से कॉल कर ठगी की वारदात को देते थे अंजाम

नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- देश के विभिन्न हिस्सों में कारोबारियों से ठगी करने वाले गैंग का दिल्ली पुलिस ने पर्दाफाश करते हुए गैंग के मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है। पुलिस आरोपी को दिल्ली में एक कारोबारी से एक करोड़ रुपये ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपी को उत्तरी जिला के लाहौरी गेट थाना और चौकी चर्च मिशन रोड़ की पुलिस ने सोलन, धर्मपुर, हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया है। पकड़ा गया आरोपी जालौर, राजस्थान का रहने वाला है और उसकी पहचान सुरेश पुरोहित के रूप में हुई है। सुरेश महज 12वी कक्षा पास है। आरोपी ने व्हाट्सएप पर फर्जी डीपी (फोटो) लगाकर मध्य प्रदेश के कारोबारी से अपने साथी दशरत और हेमंत जैन के साथ मिलकर कारोबारी से एक करोड़ की ठगी की थी। पुलिस ने आरोपी के पास से 80 हजार रुपये नकद, ठगी की रकम से खरीदी गई स्कोर्पियो गाड़ी, एक लैपटॉप, पांच महंगे फोन, एक सामान्य मोबाइल व अन्य सामान बरामद किया है। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर मामले की जांच कर रही है।
        उत्तरी जिला डीसीपी मनोज कुमार मीना ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपी ने वारदात में अपना हाथ होने की बात कबूल कर ली। आरोपी ने बताया कि उसने दशरथ और हेमंत जैन नामक आरोपियों के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया था। ठगी की रकम को इन लोगों ने तीन जगह बांट लिया था। सुरेश के हिस्से में 40 लाख रुपये आए थे। ठगी की रकम में से 35 लाख रुपये इसने अपने पैतृक गांव जालौर, राजस्थान में भेज दिए थे। बाकी चार लाख रुपये इसने अपने ऊपर खर्च कर लिये। इसके अलावा आरोपी के पास से 80 हजार रुपये बरामद हो गए। अब पुलिस बाकी दोनों आरोपियों की तलाश कर रही है। इनकी तलाश में छापेमारी की जा रही है। लाहौरी गेट थाने में मामला दर्ज कर लिया गया। मामले की जांच चर्च मिशन रोड, चौकी इंचार्ज रणविजय के नेतृत्व में, एएसआई बाल हुसैन, प्रधान सिपाही अनिल, नरेश और सिपाही विपुल ने जिस नंबर से कॉल कर रकम मांगी गई थी उसकी जांच शुरू की। जांच में पता चला कि कॉलर ने सिमकार्ड को गुरुग्राम में एयरटेल के एक स्टोर से लिया था। काले रंग की स्कोर्पियो गाड़ी में आरोपी सिम लेने आया था। आरोपी खुद को कारोबारी का जानकार बनकर उनको व्हाट्सएप कॉल करते थे। उनका विश्वास जीतने के लिए आरोपी जानकार के ही फोटो को व्हाट्सएप डीपी के रूप में इस्तेमाल करते थे। पीड़ित से बड़ी इमरजेंसी होने की बात कर दिल्ली में एक करोड़ रुपये मांगे गए थे। बदले में जल्द से जल्द रुपये वापस देने की बात की गई थी।

लोकेशन शिमला में हुई ट्रेस…
पुलिस ने कॉलर की लोकेशन की जांच की। व्हाट्सएप कॉल की लोकेशन शिमला की मिली जबकि उसके सिमकार्ड के राजस्थान में होने का पता चला। पुलिस ने पड़ताल के आरोपी की लोकेशन शिमला में ट्रेस की। बाद में एक टीम को सोलन, धर्मपुर, हिमाचल प्रदेश भेजा गया। वहां पर धर्मपुर लोकल पुलिस की मदद से आरोपी को दबोच लिया गया। दो नवंबर को मध्य प्रदेश निवासी प्रदीप जैन नामक कारोबारी ने ठगी की शिकायत दी थी। पीड़ित ने बताया कि उनके जानकार की फोटो लगे एक मोबाइल नंबर से उनके पास कॉल आया। कॉलर ने इमरजेंसी होने की बात कर उनसे दिल्ली में एक करोड़ रुपये मांगे। रकम को कुछ ही देर में मध्य प्रदेश में दे देने की बात की। विश्वास कर प्रदीप जैन ने दिल्ली में अपनी टीम से रकम दिलवा दी। इसके बाद जब उन्होंने फोटो वाले असली व्यक्ति को कॉल किया तो उसने किसी भी इमरजेंसी और रुपये लेने की बात से इंकार कर दिया। पीड़ित ने फौरन मामले की शिकायत पुलिस से की।

गुमराह करने के लिए आरोपी सिमकार्ड की लोकेशन को दूसरी जगह दिखाते….
आरोपी बिना सिमकार्ड के मोबाइल से कॉल कर ठगी की वारदात को अंजाम देते थे। विश्वास जीतने के लिए आरोपी पीड़ित के जानकार की व्हाट्सएप पर फोटो लगा लेते थे। इसकी वजह से पीड़ित बड़े आराम से रुपये दे दिए करते थे। पुलिस को गुमराह करने के लिए आरोपी सिमकार्ड की लोकेशन को दूसरी जगह दिखाते थे। मौजूदा मामले में सिमकार्ड की लोकेशन राजस्थान और व्हाट्सएप की लोकेशन शिमला की आ रही थी। आरोपी फर्जी कागजात के आधार पर अपने जानकार की मदद से गुरुग्राम से सिमकार्ड निकलवा लेते थे। इसके बाद नंबर पर व्हाट्सएप चालू कर उसे वाईफाई से एक्टिवेट कर लिया जाता था। बाद में मोबाइल से सिमकार्ड निकालकर उसे दूसरे फोन में डाल दिया जाता था। बाद में व्हाट्सएप नंबर से कारोबारियों को उनका जानकार बनकर कॉल की जाती थी।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox