नई दिल्ली/- काफी लंबी जद्योजहद के बाद आखिर गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ ही दी। यानी गुलाम कांग्रेस से आजाद हो गये। उन्होंने पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होने सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेजने के बाद नई पार्टी बनाने का ऐलान भी कर दिया। इसके साथ ही उन्होने कांग्रेस की दुर्दशा के लिए राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस में राहूल के सुरक्षा गार्ड भी फैसला लेते है। इतना ही नही उन्होने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि यह देश जोड़ने का नही कांग्रेस को जोड़ने का समय है।
आजाद ने अपने इस्तीफे के तौर पर पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पांच पन्ने की चिट्ठी भेजी है। इस्तीफे के इन पन्नों में 7 किरदार और 3 हालात हैं। सबसे सख्त बयान राहुल को लेकर है। आजाद ने उन्हें कांग्रेस की बर्बादी की वजह बताया है। पार्टी के बारे मेंः यूपीए सरकार की अखंडता को तबाह करने वाला रिमोट कंट्रोल सिस्टम अब कांग्रेस पर लागू हो रहा है। आप बस नाम के लिए इस पद पर बैठी हैं। सभी जरूरी फैसले राहुल गांधी ले रहे हैं, उससे भी बदतर यह है कि उनके सुरक्षाकर्मी और पीए ये फैसले ले रहे हैं।
इधर, आजाद के कांग्रेस छोड़ने के ऐलान के बाद जम्मू-कश्मीर में पांच नेताओं जीएम सरूरी, हाजी अब्दुल राशिद, मोहम्मद अमीन भट, गुलजार अहमद वानी और चौधरी मोहम्मद अकरम ने भी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इनमें सरूरी को छोड़कर बाकी सब पूर्व विधायक हैं। जम्मू कश्मीर में आने वाले कुछ समय में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाना काफी दिलचस्प हो सकता है। गुलाम नबी आजाद अब आगे क्या-क्या कर सकते हैं? कांग्रेस के लिए किस तरह से मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं? भाजपा की इसमें क्या भूमिका हो सकती है? कश्मीर की राजनीति में क्या बदलेगा? आइए जानते हैं…
नई पार्टी बनाने के बाद आजाद के सामने कितने विकल्प?
नई पार्टी बनाते समय गुलाम नबी आजाद के सामने कितने विकल्प होगे आईए इस पर नजर डालते है। दरअसल ’गुलाम नबी आजाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्ते काफी मधुर हैं। भाजपा के कई दूसरे नेताओं से भी उनकी नजदीकी है। ऐसे में यह संभव है कि वह आने वाले समय में भाजपा के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर का चुनाव लड़ें।
आजाद के सामने नई पार्टी बनाने के बाद तीन विकल्प होंगे-
1. भाजपा गठबंधन के साथ चुनाव लड़ेंः गुलाम नबी आजाद नई पार्टी बनाने के बाद जम्मू कश्मीर में पहला चुनाव लड़ेंगे। ऐसा संभव है कि वह इस संभावित चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर लें। भाजपा की स्थिति जम्मू की विधानसभा सीटों पर अच्छी है, लेकिन कश्मीर की सीटों पर ठीक नहीं है। आजाद के साथ आने पर भाजपा को कश्मीर में फायदा मिल सकता है।
2. चुनाव के बाद भी गठबंधन के आसारः घाटी में भाजपा की स्थिति ठीक नहीं है। भाजपा का काफी विरोध होता है। ऐसे में यह भी संभावना है कि गुलाम नबी आजाद की नई पार्टी और भाजपा दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ें। अगर चुनाव के बाद गठबंधन की स्थिति बनती है और गुलाब नबी आजाद इस स्थिति में होते हैं कि उनके साथ आने से भाजपा सरकार बना ले तो चुनाव के बाद भी दोनों के बीच गठबंधन की सकता है।
3. गुपकार का साथ पकड़ेंगे आजाद?ः जम्मू कश्मीर में भाजपा को मात देने के लिए सभी क्षेत्रीय दल एकसाथ आ गए हैं। इनमें फारुक अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस, महबूबा मुफ्ती की पीडीपी जैसी बड़ी क्षेत्रीय पार्टियां भी शामिल हैं। ऐसे में हो सकता है कि गुलाम नबी आजाद भी इसका हिस्सा बन जाएं।
ऐसा करके वह जम्मू कश्मीर के मुसलमान वोटर्स का साथ भी पा लेंगे। हालांकि, ऐसे में आजाद को ज्यादा महत्व मिलने की संभावना कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस जैसी पार्टियां सीट बंटवारे को लेकर पहले से ही भिड़ती रहीं हैं। इस स्थिति में किसी और पार्टी को जगह देना दोनों के लिए मुश्किल होने वाला है।
इसे समझने के लिए हम अक्तूबर 2021 में चलते हैं। तब पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर जोरशोर से तैयारियां चल रहीं थीं। पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी और कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री थे। अचानक से राजनीति में बदलाव हुआ और पार्टी नेतृत्व के इशारे पर कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री से इस्तीफा देना पड़ा। उनकी जगह चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया।
कैप्टन अमरिंदर इससे नाराज हुए। 28 अक्तूबर 2021 को उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और नई पार्टी बनाने का एलान कर दिया। दो नवंबर को कैप्टन ने पंजाब लोक कांग्रेस नाम से नई पार्टी का गठन किया। भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन का भी एलान कर दिया। दोनों पार्टियों ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, इसमें दोनों ही पार्टियों को जबरदस्त हार मिली।
अब जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके पहले प्रदेश के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ दी है। आजाद ने भी नई पार्टी बनाने का एलान किया है। आजाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्तों के बारे में हर किसी को मालूम है। दोनों खुले मंच से एक-दूसरे की तारीफ करते रहे हैं। जैसा कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मामले में होता था। यही कारण है कि ये कयास लगाए जाने लगे हैं कि गुलाम नबी आजाद भी नई पार्टी बनाकर भाजपा के साथ आ जाएंगे।
जी-23 ग्रुप का हिस्सा थे गुलाम नबी आजाद
गुलाम नबी आजाद पार्टी से अलग उस जी 23 समूह का भी हिस्सा थे, जो पार्टी में कई बड़े बदलावों की पैरवी करता है। उन तमाम गतिविधियों के बीच इस इस्तीफे ने गुलाम नबी आजाद और उनके कांग्रेस के साथ रिश्तों पर सवाल खड़ा कर दिया है।
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