
लेह/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के लिए छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर इन दिनों लद्दाख का सियासी पारा गर्माया हुआ है। लेह में हजारों की संख्या में कड़कड़ाती ठंड में लोग अपनी मांगों को लेकर मार्च निकालकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ वादे कर रही है लेकिन उसे निभा नही रही है। साथ ही उन्होने कहा कि 19 फरवरी को मांगे पूरी नही हुई तो पहले 21 दिन का अनशन करूंगा और जरूरत पड़ी तो अपनी धरती के लिए आमरण अनशन करूंगा। बता दें कि लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया।

लद्दाख के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपायों के लिए अभियान चला रहे सोनम वांगचुक ने अपनी मांगों को लेकर 19 फरवरी से आमरण अनशन शुरू करने का ऐलान किया है। आंदोलन में स्थानीय निवासियों की भागीदारी पर काम किया जा रहा है। सोनम वांगचुक ने कहा कि संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपायों और लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा समेत अन्य मांगों के पूरा नहीं होने के चलते स्थानीय निवासियों में निराशा की भावना बढ़ रही है।

नई दिल्ली में होगी बातचीत
उन्होंने कहा कि जब चुनाव बहिष्कार करने की बात की गई तो केंद्र सरकार ने चुनाव के बाद हर समस्या का समाधान करने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि उस आश्वासन के चार साल के बाद पिछले साल दिसंबर में हाई पावर्ड कमेटी की बैठक हुई थी और उस बैठक में लिखित मांगें मांगी गई थी और उस पर कोई फैसला नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि अब वक्त नहीं रहा है। केंद्र ने अब 19 फरवरी को उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई है, लेकिन अब उम्मीदें बहुत कम हैं। उन्होंने कहा कि जब जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा रहा है तो लद्दाख को क्यों नहीं?

सोनम वांगचुक ने कहा कि वह पहले 3 फरवरी से तीन सप्ताह के लिए अनशन करने की योजना बना रहे थे, लेकिन ‘लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी) के अध्यक्ष छेवांग ने उन्हें 19 फरवरी तक इंतजार करने के लिए कहा है। केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख नेता नई दिल्ली में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात करेंगे। नित्यानंद राय एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति के प्रमुख हैं, जो लद्दाख निवासियों के अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर गौर करने के लिए गठित की गई है।

लद्दाख में 3 फरवरी को क्या हुआ?
लेह-लद्दाख में शनिवार को एक बड़ी विरोध रैली आयोजित की गई थी। यह विरोध प्रदर्शन लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने आयोजित की थी। प्रदर्शनकारियों की चार सूत्री अजेंडे हैं। बंद के दौरान केंद्र शासित प्रदेश में पूरी तरह बंद रहा। सोनम वांगचुक ने कहा कि करीब 30,000 लोग बाहर आए, जो लद्दाख के इतिहास में अभूतपूर्व है। यह ऐसा है, जैसे लद्दाख की एक तिहाई युवा आबादी सरकार को यह बताने के लिए बाहर आयी कि यह एक व्यक्ति की आवाज नहीं है, बल्कि हर कोई अपने क्षेत्र के लिए सुरक्षा उपाय चाहता है। उन्होंने कहा कि यह लोगों की बेचैनी का नतीजा है, क्योंकि कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपायों का उनके लिए क्या मतलब है?

क्यों हो रहा विरोध-प्रदर्शन और क्या मांगे?
एबीएल और केडीए का गठन 2019 के बाद लेह और कारगिल में किया गया था, जब लद्दाख को पूरे क्षेत्र के लोगों के अधिकारों के लिए प्रयास करने के लिए जम्मू-कश्मीर से एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बनाया गया था। दोनों निकायों ने अपनी मांगों के लिए दबाव बनाने के लिए हाथ मिलाया और उनके प्रतिनिधियों ने 4 दिसंबर, 2023 को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के साथ पहले दौर की बातचीत की। बैठक के बाद, उन्होंने इस साल जनवरी में गृह मंत्रालय को मांगों का एक मसौदा प्रस्तुत किया, जिसमें राज्य का दर्जा, केंद्र शासित प्रदेश के लिए छठी अनुसूची, एक अलग लोक सेवा आयोग और लोकसभा में दो सीटें और लद्दाख के लिए राज्यसभा में एक सीट की मांग की गई, जब इस क्षेत्र को विधानसभा दी जाती है।

कौन है सोनम वांगचुक
सोनम वांगचुक का जन्म 1 सितंबर 1966 को हुआ था। वह एक मैकेनिकल इंजीनियर और हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (भ्प्।स्) के निदेशक हैं। उन्हें साल 2018 में प्रतिष्ठित मैगसेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। सोनम वांगचुक साल 2009 में सबसे ज्यादा चर्चा में आए, जब उनके ऊपर आमिर खान की सुपरहिट फिल्म ’3 इडियट्स’ बनी। आमिर खान ने सोनम वांगचुक का किरदार निभाया था और स्क्रीन पर उनके कैरेक्टर का नाम फुनसुख वांगड़ू था।
बता दें कि वांगचुक अपने अनूठे स्कूल- स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख की वजह से काफी मशहूर हैं। इसका कैंपस सौर ऊर्जा पर चलता है। यहां खाना पकाने, रोशनी या हीटिंग के लिए जीवाश्म ईंधन यानी पेट्रोल-डीजल या कोयले का इस्तेमाल नहीं होता। उन्होंने साल 1998 में इस स्कूल की नींव रखी। इसका मकसद उन बच्चों को ट्रेनिंग देना था, जिन्हें सिस्टम नाकाम करार देता है। साल 1994 में, वांगचुक ने सरकारी स्कूलों की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए ऑपरेशन न्यू होप लॉन्च भी किया।
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