ऐटा फर्जी एनकाउंटर में पांच पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

April 2024
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930  
April 25, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़


ऐटा फर्जी एनकाउंटर में पांच पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास

-चार को पांच-पांच साल की जेल, सीबीआई कोर्ट ने सुनाई सजा

गाजियाबाद/- एटा में 16 साल पहले फर्नीचर कारीगर राजाराम की हत्या कर मुठभेड़ का रूप देने के मामले में आरोपी नौ पुलिसकर्मियों को बुधवार को सीबीआई की अदालत ने 20-20 साल कैद की सजा सुनाई। इसके अलावा दोषी पुलिसकर्मियों पर जुर्माना भी लगा है। एक आरोपी पुलिसकर्मी की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है।


            वर्ष 2009 में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद 13 साल चली सुनवाई में 202 लोगों की गवाही के बाद साबित हुआ कि सिपाही राजेंद्र ने राजाराम से अपने घर की रसोई में काम कराया था। राजाराम ने मजदूरी के पैसे मांग लिए थे। सिपाही ने मना किया तो राजाराम अड़ गया था। इसी पर सिपाही ने साजिश रच ली। राजाराम पर एक भी केस दर्ज न होने के बावजूद सिढ़पुरा थाने की पुलिस ने उसे लुटेरा बताया। उसका शव परिवारवालों को देने के बजाय खुद ही अज्ञात में दाह संस्कार कर दिया था।
             सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक अनुराग मोदी ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट में दर्ज परिवाद में राजाराम की पत्नी संतोष कुमारी ने बताया था कि उसके पति को थाना सिढ़पुरा जिला एटा के पुलिसकर्मी पवन सिंह, पालसिंह ठेनुवा, अजंट सिंह, सरनाम सिंह और राजेन्द्र प्रसाद ने 18 अगस्त 2006 को दोपहर तीन बजे उठा लिया था। उस समय वह पति राजाराम, जेठ शिव प्रकाश, देवर अशोक के साथ अपनी बीमार बहन राजेश्वरी देवी को पहलोई गांव में देखने जा रही थी।
              उसने बताया कि उसने पति को पुलिस से छुड़ाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिसकर्मियों ने कहा कि पूछताछ के लिए ले जा रहे हैं, अगले दिन छोड़ देंगे। 28 अगस्त 2006 को थाना सिढ़पुरा की पुलिस ने एक लुटेरे की मुठभेड़ में मौत बताई। उसके शव को अज्ञात में जला देने के बाद बताया कि वह राजाराम था। संतोष ने बताया कि वे पहले केस दर्ज कराने के लिए थाने गए तो पुलिस ने भगा दिया।
               जिला अदालत में प्रार्थना पत्र दिया तो अर्जी खारिज हो गई। इसके बाद वे लोग हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। 2007 में जांच शुरु कर सीबीआई ने 2009 में सिढ़पुरा के तत्कालीन थाना प्रभारी पवन कुमार सिंह सहित दस पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। सुनवाई के दौरान आरोपी दरोगा अजंट सिंह की मृत्यू हो गई। नौ पुलिसकर्मी हत्या और साक्ष्य मिटाने के दोषी सिद्ध हुए।

एक भी केस दर्ज नहीं फिर भी बताया लुटेरा
राजाराम के खिलाफ किसी भी थाने में कोई केस दर्ज नहीं था। वह पुलिसवालों के घर भी फर्नीचर की मरम्मत का काम करता था। इसके बावजूद उसे लुटेरा बताकर मुठभेड़ में उसकी हत्या की। पुलिसवाले उसे पहचानते थे, फिर भी शव की शिनाख्त नहीं की और अज्ञात में दाह संस्कार किया। उसके परिजनों को उसके मर जाने की सूचना भी नहीं दी। कोर्ट में पुलिस न तो उसे लुटेरा साबित कर सकी और न ही मुठभेड़ को असली।

ये पाए गए दोषी-
1 पवन सिंह, तत्कालीन थानाध्यक्ष, थाना सिढ़पुरा, जनपद एटा
स्थाई पता रू ग्राम बदेहरी थाना छपार, जनपद मुजफ्फरनगर
2. श्रीपाल ठेनुआ, तत्कालीन उपनिरीक्षक, थाना सिढ़पुरा जनपद एटा
स्थाई निवासी रू ग्राम बदेहरी थाना छपार, जनपद मुजफ्फरनगर
3. सरनाम सिंह, तत्कालीन आरक्षी, थाना सिढ़पुरा, एटा
स्थाई निवासी करूणामयी नगरिया, थाना बेवर, मैनपुरी
4. राजेन्द्र प्रसाद तत्कालीन आरक्षी थाना सिढ़पुरा एटा
स्थाई निवासीरू डिनौली, थाना टूंडला फिरोजाबाद
5. मोहकम सिंह तत्कालीन सरकारी वाहन चालक थाना सिढ़पुरा निवासी नंगला डला तहसील करहल, मैनपुरी
6.बलदेव प्रसाद, आरक्षी सिढ़पुरा थाना
निवासी कस्बा व थाना हरपालपुर, हरदोई
7.अवधेश रावत तत्कालीन आरक्षी सिढ़पुरा
निवासी ग्राम नंगला तेजा पोस्ट रिधौरी कटरा, थाना रूवेन, आगरा
8. अजय कुमार तत्कालीन आरक्षी सिढ़पुरा थाना
निवासी ग्राम धीप, थाना घिरौर मैनपुरी
9. सुमेर सिंह आरक्षी, सिढ़पुरा
निवासी नंगला तेजा पोस्ट रिधौरी कटरा थाना रूवेन, आगरा

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox