एससीओ मीटिंग में भारत में चीन के समर्थन में खुलकर खड़ा हुआ रूस,

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November 22, 2024

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एससीओ मीटिंग में भारत में चीन के समर्थन में खुलकर खड़ा हुआ रूस,

-क्वाड-ऑकस को बताया ड्रैगन को घेरने की साजिश

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से दुनियाभर में कूटनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। खासकर भारत को अपनी तरफ लेकर चलने को लेकर अधिकतर देश सजग हुए हैं। इनमें रूस और अमेरिका सबसे आगे हैं। हालांकि, भारत की ओर से अपनी रक्षा खरीद में विविधता बढ़ाना रूस को कुछ खास रास नहीं आ रहा है। इतना ही नहीं यूक्रेन से युद्ध में चीन की तरफ से मिले अप्रत्यक्ष समर्थन के बाद रूस भी अब अलग-अलग मुद्दों पर उसके बचाव में खड़ा दिखता है। खासकर अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ। इससे जुड़ा एक वाकया शुक्रवार को फिर सामने आया, जब भारत में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में रूस के रक्षा मंत्री ने अमेरिका के सहयोग वाले बहुपक्षीय संगठन- क्वाड और ऑकस की खुले मंच से निंदा की और इन्हें चीन को घेरने की साजिश करार दिया।

                  रूस के रक्षा मंत्री शर्गेई शोइगु ने एससीओ देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान कहा कि अमेरिका और उसके साथी देश एशिया-प्रशांत में बहुपक्षीय दुनिया के गठन का विरोध कर रहे हैं। इसके लिए वे सैन्य और राजनीतिक गठबंधन भी बनाने में जुटे हैं। जैसे कि क्वाड और ऑकस, जिन्हें नाटो के साथ जोड़ने की कोशिश की जा रही है।
                  शोइगु ने कहा कि मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की अवधारणा को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि चीन को घेरा जा सके। इसके लिए एक फ्रंट बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके मददगार एक कूटनीतिक एजेंडा चला रहे हैं, ताकि रूस और चीन के बीच सैन्य टकराव को भड़ाकाया जा सके।
                  रूसी रक्षा मंत्री ने कहा कि यूक्रेन में जो संघर्ष हुआ है, वह पश्चिमी देशों की आपराधिक नीतियों को नतीजा है। इसका असल लक्ष्य रूस को कूटनीतिक तौर पर हराना और चीन को डराना है, ताकि यह देश पूरी दुनिया में अपना एकाधिकार बनाए रख सकें।

रूस के रक्षा मंत्री के बयान पर भारत में बढ़ सकती है नाराजगी
गौरतलब है कि रूस के रक्षा मंत्री से पहले एक कार्यक्रम के लिए भारत आए रूसी विदेश मंत्री ने भी चीन को लेकर क्वाड की आलोचना की थी। हालांकि, भारत अब तक यह साफ करता रहा है कि वह किसी एक देश के साथ नहीं है और दुनिया में कूटनीतिक स्वतंत्रता की नीति अपनाता आ रहा है। हालांकि, रूस की ओर से बार-बार चीन के समर्थन और भारत से जुड़े गठबंधनों के विरोध का नतीजा आने वाले समय में नई दिल्ली-मॉस्को के रिश्तों में देखने को मिल सकता है। खासकर भारत और चीन के बीच सीमा पर हुए हालिया टकराव के मुद्दों के बावजूद रूस का यह रुख मोदी सरकार के लिए चोट पहुंचाने वाला साबित हो सकता है।
                  जहां एक तरफ रूस खुले मंचों पर भारत और पश्चिमी देशों के गठबंधन की आलोचना कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ उसके विदेश और रक्षा मंत्री लगातार भारत और रूस के रिश्तों के वर्षों से मजबूत होने की बात कहते रहे हैं। भारत में एससीओ समिट के दौरान ही रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद कहा था कि दोनों देशों के रिश्तों पर चुनौतियों को झेलने के बाद भी असर नहीं पड़ा है।

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