नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बाद अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकजुटता पुख्ता करने के प्रयासों को लेकर बृहस्पतिवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। माना जा रहा है कि खरगे के आवास पर हुई इस बैठक में विपक्षी एकजुटता को व्यापक और मजबूत बनाने पर चर्चा हुई है। बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी मौजूद थे।
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यह बैठक उस समय हुई है जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर सबको एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। यह मुलाकात इस संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है कि हाल ही में शरद पवार ने अडाणी मामले पर कांग्रेस से अलग रुख जाहिर किया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार ने पिछले दिनों कहा था कि अडाणी मामले में संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाता है तो केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संसद में संख्याबल को देखते हुए उसमें (समिति में) उसका बहुमत होगा और इससे इस तरह की जांच के परिणाम पर संदेह उत्पन्न होगा।
हालांकि, गत अप्रैल को उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जेपीसी से जांच कराने की भाजपा विरोधी पार्टियों की मांग से हालांकि सहमत नहीं है, लेकिन वह विपक्षी दलों की एकता की खातिर उनके रुख के खिलाफ नहीं जाएगी। जनता दल (यूनाइटेड) के शीर्ष नेता नीतीश कुमार ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। इन बैठकों में यह तय किया गया कि अधिक से अधिक विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के साथ साथ देश के लिए ‘विपक्ष का दृष्टिकोण’ सामने रखा जाएगा।
नीतीश ने बृहस्पतिवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी से मुलाकात की। इन बैठकों से कुछ दिनों पहले ही, खरगे ने नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की थी। नीतीश कुमार अतीत में कई बार कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए हाथ मिलाने की सलाह दे चुके हैं। इसी साल फरवरी में कुमार ने इस बात पर जोर दिया था कि यदि कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल 2024 का लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ते हैं, तो भाजपा 100 से कम सीटों पर सिमट जाएगी।
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