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    उत्तमनगर में हुई पुलिस मुठभेड़ पर परिजनों ने उठाये सवाल

    -कोर्ट ने मांगा जवाब -कोर्ट ने मामले में जताया संदेह, पुलिस की कार्यवाही में बताई खामी -कोर्ट ने डीसीपी द्वारका से मुटभेड़ पर मांगा स्पष्टीकरण

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/शिव कुमार यादव/- उत्तम नगर इलाके में हत्या के प्रयास के आरोपी रोहित गहलोत की मुठभेड़ पर उसके परिजनों ने सवाल उठाते हुए कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय मांगा है। परिजनों की याचिका पर द्वारका न्यायालय के चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने डीसीपी द्वारका को तलब कर परिजनों के आरोपों के जवाब मांगे हैं। हालांकि कोर्ट ने डीसीपी को जवाब दाखिल करने के लिए सोमवार तक का समय दिया है। कोर्ट की इस कार्यवाही से पुलिस की परेशानी बढती दिख रही है। यही नहीं कोर्ट ने यह भी पूछा है कि दिल्ली पुलिस बताएं कि आखिरकार जिस व्यक्ति को मुठभेड़ में पैर पर गोली मारी गई वह कब जेल में बंद था।
                 बता दें कि नजफगढ़ में 31 अक्तुबर को मित्तल स्वीट्स पर दो बदमाशों ने गोली चलाई थी। इस मामले में दूकानदार अशोक मित्तल व उसके पुत्र की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर दो आरोपियों को गिरफ्तार करने का दावा किया था। जिसमें पुलिस ने दावा किया था कि दोनो आरोपियों ने रोहित गहलोत के इशारे पर मित्तल स्वीट्स पर गोली चलाई थी। पुलिस ने रोहित गहलोत को बीते 2 नवंबर को एक मुठभेड़ में गिरफ्तार किया था। लेकिन परिजनों का आरोप है कि 1 नवंबर को 4 पुलिसकर्मी रोहित को पूछताछ के लिए घर से लेकर गये थे। तो पुलिस यह कैसे कह रही है कि रोहित को उत्तमनगर नाले पर एक मुठभेड़ में पकड़ा गया है। हालांकि परिजनों ने इस मामले में जानकारी जुटाने का प्रयास भी किया था लेकिन पुलिस ने कोई जानकारी नहीं दी। जबकि 3 नवंबर को उन्हे पता चला कि डीसीपी के हवाले से अखबार में रोहित गहलोत की मुठभेड़ के बाद गिरफ्तारी की खबर छपी है। इसमें बताया गया था कि मित्तल स्वीट्स पर चली गोली के मामले में आरोपी रोहित गहलोत को भी गिरफ्तार किया गया है। उन्हें यह भी पता चला कि रोहित डीडीयू अस्पताल में भर्ती है। हालांकि उन्होंने रोहित से मिलने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उन्हें मिले नहीं दिया गया।
                   वहीं अदालत में आरोपी रोहित ने बताया कि उसे 1 नवंबर को चार पुलिसकर्मी घर से ले गए थे। इनमें से दो के नाम जितेंद्र और सुरेंद्र थे। पुलिस वालों ने कहा था कि डीसीपी उससे मिलना चाहते हैं। उसे द्वारका 16-ई स्थित एक फ्लैट में रात होने तक रखा गया था। देर रात उसे उत्तम नगर नाले के पास ले जाया गया जहां उसके पैर में गोली मारी गई। वहां से पीसीआर की गाड़ी उसे डीडीयू अस्पताल लेकर गई। जहां 12 नवंबर तक रखने के बाद उसे जेल भेजा गया। आरोपी व परिजनों की बयान सुनने के बाद कोर्ट ने पुलिस की कार्यवाही रिपोर्ट जांची जिसे देखते हुए अदालत ने   सवाल किया कि यदि रोहित को पुलिस के अनुसार 2 नवंबर को पकड़ा गया था तो उसे 13 नवंबर को क्यों गिरफ्तार किया गया।
                    ऐसे में द्वारका कोर्ट के चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विनोद कुमार मीणा की अदालत ने संदेह जाहिर करते हुए अपने आदेश में कहा है कि इस मामले में पुलिस की कार्यवाही में कई खामियां दिख रही हैं। अदालत ने पुलिस से सवाल किया कि आरोपी से उसके परिवार के सदस्य एवं अधिवक्ता को मिलने क्यों नहीं दिया गया। अदालत के आदेश की कॉपी भिजवाने के बावजूद डीसीपी द्वारा इसका जवाब नहीं दिया गया है। जिसके चलते अदालत ने द्वारका जिला के डीसीपी से पूरे मामले में उठ रहे सवालों के जवाब देने को कहा है। अदालत ने डीसीपी से पुलिस ने आरोपी को कब पकड़ा और कब गिरफ्तार किया तथा यह गिरफ्तारी किस केस में की गई का जवाब देने के लिए कहा है। अब देखना यह है कि द्वारका में हुए लगातार कई एनकाउंटर में क्या पुलिस ने इसी शैली में काम किया है। क्या पुलिस ने पहले आरोपियों को पकड़ा और फिर अपनी छवि बनाने व जनता की सदभावना लेने के लिए बाद में आरोपियों को ले जाकर गोली मारी गई। हालांकि अभी यह एक मामला कोर्ट के पास आया है लेकिन निकट भविष्य में कुछ और मामले भी संदेह के घेरे में आ सकते है। क्योंकि पुलिस मुठभेड़ को लेकर एक कॉमन बात यह भी रही थी कि पुलिस कैसे इतना स्टीक निशाना लगाकर बदमाशों के घुटने पर ही गोली मारती है? कभी भी गोली इधर-उधर क्यो नही लगती। अब यह सच्चाई तो पुलिस ही बता सकती है कि आखिर सारा माजरा क्या है?

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