पश्चिमी दिल्ली/शिव कुमार यादव/- पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर इस बार बड़ा ऊलटफेर देखने को मिल सकता है। इसकी दो बड़े कारण बताये जा रहे है। अब देखना है कि इन कारणों में से मतदाता किस पर टिकते हैं। हालांकि इस बार भाजपा ने एक साफ छवि की नेता कमलजीत सहरावत को अपना उम्मीदवार बनाया है लेकिन उनका मुकाबला इसबार कांग्रेस पूर्व दिग्गज नेता व पूर्व सांसद महाबल मिश्रा है। इसमें भी सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार कांग्रेस व आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रहे है जिसके चलते इसबार पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
जिन दो कारणों की बात कही जा रही है अब हम उन पर चर्चा करते हैं। सबसे पहले तो इस बार कांग्रेस व आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में लोकसभा की सभी सातों सीटों पर गठबंधन किया है। पश्चिमी दिल्ली सीट आम आदमी के खाते में गई है जहां से पार्टी ने महाबल मिश्रा को संयुक्त प्रत्याशी घोषित किया है। यहां बता दें कि जब से पश्चिमी दिल्ली लोक सभा सीट का गठन हुआ तब से महाबल मिश्रा इस सीट पर लगातार चुनाव लड़ते आ रहे हैं। यह बात और है कि वह सिर्फ 2009 में चुनाव जीते थे इसके बाद 2014 और 2019 में वह चुनाव हार गये थे और भाजपा के प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने यहां से 2014 और 2019 में जीत दर्ज की थी। अब अगर वोट संख्या और वोट प्रतिशत पर नजर डाली जाये तो 2009 को छोड़कर 2014 और 2019 में भाजपा का पलड़ा भारी रहा है। लेकिन अगर गठबंधन की वोटों पर नजर डाली जाए तो मुकाबला काफी निकट का हो जाता है।
2009 के चुनावी नतीजे
पश्चिमी लोकसभा सीट का गठन 2008 के परिसीमन में हुआ था। उस समय यहां कांगेस का दबदबा था। 2009 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी दिल्ली की जनसंख्या 16,87,727 थी। इस चुनाव में कांग्रेस के महाबल मिश्रा विजयी हुए थे। उन्होने भाजपा के जगदीश मुखी को हराया था। महाबल मिश्रा को कुल 479899 वोट मिले थे जबकि जगदीश मुखी 350889 वोट मिले थे। इस लोकसभा सीट में मौजूद कुल मतदाताओं में से 28.43 प्रतिशत का समर्थन महाबल मिश्रा को प्राप्त हुआ था, जबकि इस सीट पर डाले गए वोटों में से 54.32 प्रतिशत उन्हें दिए गए थे। वहीं जगदीश मुखी को 20.79 प्रतिशत वोट का समर्थन मिला था जबकि उन्हे 39.72 प्रतिशत वोट मिले थे।
2014 के चुनावी नतीजे
2014 के लोकसभा चुनाव में भी प्रवेश वर्मा ने जीत हासिल की थी. उन्होंने आप के जरनैल सिंह को हराया था। प्रवेश वर्मा को 6,51,395 वोट मिले थे तो जरनैल सिंह के खाते में 3,83,809 वोट आए थे। प्रवेश वर्मा ने 2 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। इस चुनाव में पश्चिमी दिल्ली सीट पर 66 फीसदी मतदान हुआ था। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के महाबल मिश्रा रहे थे। जिन्हे 187209 के करीब वोट मिले थे।
2019 के चुनावी नतीजे
2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 2371644 मतदाता थे। उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को जीत हासिल हुई थी, और उन्हें 8,65,648 वोट हासिल हुए थे। इस चुनाव में प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को लोकसभा सीट में मौजूद कुल मतदाताओं में से 36.5 प्रतिशत का समर्थन प्राप्त हुआ था, जबकि इस सीट पर डाले गए वोटों में से 60.01 प्रतिशत उन्हें दिए गए थे। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी महाबल मिश्रा दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 287162 वोट मिले थे, जो संसदीय सीट के कुल मतदाताओं में से 12.11 प्रतिशत का समर्थन था, और उन्हें कुल डाले गए वोटों में से 19.91 प्रतिशत वोट मिले थे। इस सीट पर जीत का अंतर 5,78,486 रहा था। तीसरे नंबर पर आप के बलबीर सिंह थे। उन्हें 2,51,873 वोट मिले थे।
2024 का खेला
अब अगर आंकड़ो का खेल देखा जाए तो 2019 में प्रवेश वर्मा ने रिकार्ड 865648 वोट प्राप्त किए थे। जिसका वोट प्रतिशत 60.01 प्रतिशत बैठता है। वहीं महाबल मिश्रा को 287162 और बलबीर सिंह को 251873 वोट मिले थे। जिनका कुल वोट प्रतिशत 19.91 व 18.31 था यानी 38.22 प्रतिशत बैठता है। और दोनो को मिलाकर कुल 539035 वोट मिलते है। अब अगर तीनो लोकसभा परिणामों को मिलाकर देखे तो भाजपा व इंडी गठबंधन में हार का प्रतिशत काफी कम हो जाता है। वहीं अबकि बार कांग्रेस व आप मिलकर लड़ रहे है तो भाजपा के लिए यह एक बड़ी चुनौति भी है।
मोदी की लोकप्रियता व प्रवेश वर्मा की नकारात्मक शैली का प्रभाव
2014 व 2019 के लोकसभा चुनावों भाजपा सिर्फ मोदी के नाम पर जीतती आई है। 2024 में भी मोदी की लोकप्रियता सबसे ऊपर है जिसे देखते हुए भाजपा ने काफी उम्मीदवार भी बदले हैं। लेकिन पश्चिमी दिल्ली सीट पर सबसे नगण्य बात यह है कि पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा ने यहां भाजपा की छवि खराब ही की है जिसकारण भाजपा को उसका टिकट भी काटना पड़ा। प्रवेश वर्मा के कारण ही लोग तो यहां तक कहने लग गये थे कि भाजपा को वोट देना उनकी मजबूरी है।
अब देखना यह है कि एक पार्षद से महापौर के पद तक पंहुची कमलजीत सहरावत कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के चक्रव्यूह को कैसे तोड़ पाती है। क्योंकि इस बार एक तरफ मोदी की लोकप्रियता लोगों की मजबूरी बन गई है तो दूसरी तरफ प्रवेश वर्मा की नकारात्मकता भी वोटरों पर असर डाल रही है। लेकिन यहां सबसे बड़ी बात यह है कि लोग फिर भी देश व धर्म को देख रहे है। वोटर काफी हद तक मोदी के साथ खड़ा दिखाई देता है।
दूसरी तरफ महाबल मिश्रा काफी अनुभवी खिलाड़ी है और अब तो उनके साथ आम आदमी पार्टी का भी साथ आ गया है। हालांकि अभी तक लोक सभा में वोटर मोदी को और विधानसभा में केजरीवाल को चुनते आए है। कांग्रेस अभी भी दिल्ली में हाशिए पर ही चल रही है। फिर भी विपक्ष को यही लग रहा है कि इंडी गठबंधन पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर कुछ बड़ा ऊलटफेर कर सकता हैं। आपकों बता दूं कि आज भी क्षेत्र में मोदी की लोकप्रियता कायम है और पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशियों को नही सिर्फ मोदी को ही वोट मिले है। लोगों का मानना है कि मोदी ने देश को गौरव और सम्मान दिया है वहीं जिस सनातनी इतिहास को लेकर लोग चलते आए है आज उसी सनातन पर संकट के बादल देख कर भी लोग एकजुट हुए है। लोगों ने पीएम मोदी की गारंटी को समझा है और वोटर अपनी चिंता छोड़ देश व धर्म को बचाने के लिए आगे आ रहा है। जिसके आगे विपक्ष के नारें भी फीके पड़तें दिखाई दे रहे हैं।
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