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    इस्कॉन द्वारका में गीता ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन

    -18 मई रविवार को द्वारका के 100 स्कूली बच्चे फाइनल राउंड में -द्वारका के प्रमुख स्कूलों के बच्चे करेंगे आध्यात्मिक ज्ञान का प्रदर्शन -गीता ज्ञान प्रतियोगिता बच्चों के भविष्य के लिए बेहद लाभकारी

    द्वारका/नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- इस्कॉन द्वारका में पहली बार क्षेत्र के लगभग सभी प्रमुख स्कूलों के लिए गीता ज्ञान प्रतियोगिता के फाइनल राउंड का आयोजन किया जा रहा है। 18 मई रविवार को मंदिर परिसर में प्रातः 10 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच इस अंतिम राउंड के लिए द्वारका के विभिन्न स्कूलों के लगभग 100 बच्चे गीता ज्ञान प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। प्रमुख स्कूलों की इस सूची में वेंकटेश्वर इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 10, श्री वेंकटेश्वर इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 18, सचदेवा ग्लोबल स्कूल, सेक्टर 18, बसवा इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 23, डीएवी स्कूल सेक्टर 6, मॉडर्न इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 19, एमआरवी स्कूल सेक्टर 13, प्रगति पब्लिक स्कूल सेक्टर 13 के 8 स्कूलों का नाम उल्लेखनीय है। गीता ज्ञान प्रतियोगिता के इस फाइनल राउंड में कक्षा 7 से लेकर12 तक के 350 से अधिक छात्र शामिल हैं।

    कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः 10 बजे से दो चरणों में होगी। प्रथम चरण में गीता से नकारात्मक अंकन के साथ बहुविकल्पीय प्रश्न-उत्तर का राउंड होगा। इस राउंड में बेहतर प्रदर्शन करने वाले 10 बच्चों को अगले राउंड के लिए चयनित किया जाएगा। इसमें प्रश्नोत्तरी आधारित प्रश्न-उत्तर, श्लोक पाठ, श्लोक अनुवाद आदि शामिल रहेंगे। दोपहर साढ़े 12 बजे मंदिर उपाध्यक्ष श्रीगौर प्रभु द्वारा पुरस्कार समारोह दिए जाएँगे। इस आयोजन के सबंध में उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम बच्चों के भविष्य के लिए बेहद लाभकारी हैं। भगवद्गीता अपनी दार्शनिक गहराई और दिन-प्रतिदिन के जीवन में व्यावहारिक प्रासंगिकता के लिए जानी जाती है। कैसे बोलें, कैसे खाएँ, कैसे मन को विविध क्रियाओं में लगाएँ, कैसे दान दें, इंद्रियों को संयमित कैसे रखें, ध्यान करना, परमेश्वर की सेवा करने की कला, भगवान की अनेक शक्तियाँ, आसक्ति, विरक्ति आदि विभिन्न विषयों के ज्ञान को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करती है। जब बच्चे बचपन से ही इन शास्त्रीय बातों को आत्मसात करने का प्रयास करते हैं तो उनकी नियमित आदतों में बदलाव आता है। हमें बच्चों में ये आदतें विकसित करने के अवसर प्रदान करने चाहिए। साथ ही ऐसे कार्यक्रमों से छात्रों को नैतिक शिक्षा मिलती है जो उनका भविष्य बनाने में सहायक होती है।

    सभी प्रतिभागियों और भाग लेने वाले स्कूलों को प्रमाण-पत्र और उपहार दिए जाएँगे। इसके बाद प्रसादम का आयोजन किया जाएगा।

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