मानसी शर्मा /- निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा की धमाकेदार फिल्म ‘कबीर सिंह’ और ‘अर्जुन रेड्डी’ की सफलता के बाद संदीप रेड्डी की ‘अल्फा मेल का कांसेप्ट ’ वाला फॉर्म्यूला पूरे देश में सुपरहिट हो गया. अल्फा मेल के बारे में नहीं जानते तो जान लीजिये ,आल्फा मेल व्यक्ति सामाजिक और प्रशासनिक मान्यताओं में प्रभावशाली होता है और विभिन्न क्षेत्रों में अद्यतित रहता है। देखा जाये तो संदीप ने फिर से इसी ‘मर्दों की दुनिया यानि अल्फा मेल ’ वाले अंदाज में अब रणबीर कपूर को लेकर आए हैं,
जो जबरदस्त वॉयलेंस और ढेर सारे खून-खराबे वाले फिल्म के साथ ‘Animal ’ में एक बेटा अपने पिता के लिए दीवाना बन के आये है . अब इस दीवानेपन में Animal फिल्म का हीरो कुछ भी कर सकता है और संदीप रेड्डी इसी एक्सट्रीम सिनेमा को पर्दे पर दिखाते हैंऔर सीटिया बटोरने की कोसिसि की है . फिल्म के ट्रेलर के बाद लोगों में जबरदस्त उत्साह दिखा और ये एक्साइटमेंट इस फिल्म की पहले दिन की एडवांस बुकिंग से साफ पता चलता है. जितना एक्साइटमेंट लोगों में इस फिल्म को लेकर है, क्या संदीप रेड्डी साढ़े तीन घंटे की इस फिल्म में उतनी ही मजेदार कहानी लेकर आए हैं? या बाप बेटे के इस वाइलेंस वाला प्यार Animal मोवी का कही बंटाधार न करदे .
पापा की दीवानगी
ये कहानी रनविजय बलवीर सिंह (रणबीर कपूर) के अपने पिता बलवीर सिंह (अनिल कपूर) के लिए अपने पापा के प्रति दीवानेपन की एक वाइलेंस कहानी है. बलवीर सिंह दिल्ली का एक बहुत ही बड़ा बिजनेस टाइकून है, जिनकी स्टील की फैक्ट्री जिसका नाम स्वास्तिक स्टील है, बलवीर सिंह इतना बड़ा बिजनेसमैन है जिसके बदलत वो अपना एक एम्पायर खड़ा कर रखा है, बलवीर सिंह के तीन बच्चे हैं 2 बहने और एक बेटा रनविजय सिंह. बलवीर सिंह बिज़नेस के चक्कर में काफी व्यक्त रेट है जिसके कारन वो रनविजय को पल भर प्यार तक नहीं दे पाते जिसका अफ़्सोसो रनविजय सिंह को बचपन से जवानी तक रहता है प्याय से इतना प्यार भी होता है की उनके बारे में किसी से एक शब्द बुराई भी नहीं सुन सकता लेकिन दिमाग में गुस्सा भी रहता है की पापा ने उसके लिए कभी समय नहीं दिया , रनविजय सिंह पापा से अनबन के बाद अमेरिका चला जाता है अचानक पता चलता हे की पिता पर…
अल्फा मर्दों वाली कहानी
फिल्म का फर्स्ट हाफ पिता के प्रति दीवानेपन के साथ शुरु इस फिल्म में रणबीर और रश्मिका (गीतांजलि ) की लव स्टोरी को दिखा दिया गया है, इनकी लव स्टोरी दिखामे में बिलकुल भी समय बर्बाद नहीं किया गया है. अपनी लव स्टोरी के दौरान रणबीर ये भी एक्सप्लेन कर देते हैं कि कैसे औरतों को सदियों से बस ‘अल्फा मर्दों’ ही पसंद आते हैं क्योंकि वो स्ट्रॉन्ग होते हैं. फिल्म के फर्स्ट हाफ में कई ऐसे सीन हैं जो काफी मजेदार हैं.रणबीर की सबसे कीमती अंडरवेर से लेकर थोड़ी देर भारत आत्मनिर्भर की बात ,खासकर एक्शनसीन्स को बड़ी खूबसूरती से दर्शाया गया है.
अगर वहीँ सेकंड हाफ की बात करें तो ‘एनीमल’ का सेंकड हाफ आपके धैर्य की पूरी परीक्षा लेता है. जोड़ तोड़ वाली सीन जोड़कर फिल्म बनती है, लेकिन सेकंड हाफ बॉबी देवल (अबरार ) की एंट्री के बेसब्री से इंतज़ार करती है जिसमे बॉबी को गूंगा दिखाया गया है ,साइलेंट बॉबी जबरदस्त अग्रेसिव वाले मूड में दीखते है इन सीन्स के बीच एक कहानी बहती है, जो दर्शकों को बांधे रखती है. रणबीर को सेकंड हाफ में सुनने काफी दिक्कत होती है , ‘एनीमल’ इसी गूंगे और बहरे वाली कहानी में पीछे रह गई है. और अपने बात शायद दर्शको तक नहीं पंहुचा प् रही है और दर्शक सुन नहीं पा रहे है पूरी फिल्म पापा बेटे के प्यार और पापा को गोली किसने मारी इन्ही 2 सवालों का जवाब देने के लिए 3 घंटा 21 मिनट लगा देती इतनी लम्बी फिल्म क्यों ही बना दी भाई, फिल्म इतनी लंबी है कि थकावट होने लगती है.
एक्ट्रेस त्रिपती डीमरी भी इसी सेकंड हाफ में आती है पूरा सीक्वेंस इतना अटपटा और बोरिंग लगता है मुझे लगता है की इस कि उसकी कोई जरूरत ही नहीं थी | एक अजीब सी लॉजिक है इस फिल्म में इतने बड़े बड़े कांड हो जारी है है फिल्म में संदीप रेड्डी वांगा की रची इस पूरी दुनिया में न तो पुलिस है और न प्रशासन , रणबीर कपूर का दुश्मन बचपन से लेकर अमेरिका तक की सारी जानकारी निकाल लेता है, लेकिन वो ये नहीं पता कर पाता कि रणबीर उसे मारने स्कॉटलेंड आ रहा है
बैकग्राउंड म्यूजिक
इस फिल्म की 2 सबसे दमदार चीजे , जो साउथ सिनेमा की जान है पहली बैकग्राउंड म्यूजिक और दूसरी फिल्म का गजब का एक्शन. बैकग्राउंड म्यूजिक तो इतना शानदार है कि फिल्म के कई नॉर्मल से सीन भी जबरदस्त बना दिया हैं. वहीं एक्शन की बात करें तो इस फिल्म में ‘वॉयलेंस’ रणबीर कपूर से ज्यादा नजर आ रहा है. इंटरवेल से पहले एक अच्छा-खासा लंबा एक्शन सीक्वेस है, जिसमें हेलमेट लगाए लोग वीडियो गेम के टारगेट की तरह बस मरते जा रहे हैं. इसी सीक्वेस में आत्मनिर्भर भारत, मेड इन इंडिया वाला चलता फिरता , KGF वाली बड़ी माँ यानि चलता फिरता मशीन गन का दर्शन होता है वो तो बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ क्लासिक था
एक्टिंग
एक्टिंग की बात करें तो रणबीर कपूर Director’s Actor हैं, फिल्म ‘अल्फा मेल को महिमामंडित’ में निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा के साथ साहसपूर्ण प्रस्तुति की है। उनकी उत्कृष्ट अभिनय के बावजूद, फिल्म की कमजोर कहानी और 100 करोड़ का बजट मेल नहीं खाते। रश्मिका और अन्य महिला किरदारों के बावजूद, मर्दों की दुनिया में उनकी ऊंची आवाज और इच्छाएं अभिवादन हैं, लेकिन इस संदेहपूर्ण किरदार में रणबीर का पछतावा स्पष्ट है।
फिल्म ‘एनीमल’ में बॉबी देओल का अभिनय अच्छा है, लेकिन कहानी और सीन्स दो-तीन मीटर में ही ढल जाती हैं।
मशीन गन सीजीआई नहीं, वास्तविक
रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ में 500 किलोग्राम की मशीन गन सीजीआई नहीं, वास्तविक है, जिसे खुद स्टील वाले कबाड़ से उपयोग करके बनाया गया है ,निर्देशकीय डिज़ाइनर सुरेश सेल्वराजन ने स्पष्ट किया कि 500 किलोग्राम की मशीन गन को चार महीने के कार्यक्रम के दौरान वास्तविक स्टील का उपयोग करके शृंग से बनाया गया था और यह सीजीआई नहीं था। यह मशीन 18-मिनट के इंटरवल एक्शन ब्लॉक के दौरान दिखाई जाएगी। “मैंने किसी भी भारतीय फिल्म के लिए ऐसा होता नहीं देखा। यह मशीन गन संदीप की सोच थी
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