नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- लखीमपुर हिंसा मामले में जांच के दौरान बड़ा खुलासा हुआ है। एफएसएल से आई बैलिस्टिक रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष की रिवाल्वर और राइफल से फायरिंग की पुष्टि हुई है। पुलिस ने गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे और मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा और उसके दोस्त अंकित दास के चार असलहों को जब्त किया था। इसमें अंकित दास की पिस्टल, लतीफ की रिपीटर गन और आशीष मिश्रा की राइफल शामिल थी। लखीमपुर हिंसा में केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष समेत 15 लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया था। आशीष, अंकित और लतीफ समेत 13 से अधिक आरोपी जेल में हैं।
पुलिस की तरफ से चारों असलहों की सीएफएल जांच कराई गई थी। जांच की रिपोर्ट में इन असलहों से फायरिंग की पुष्टि हुई है। कोर्ट ने बैलिस्टिक जांच की रिपोर्ट मांगी थी। इससे पहले ही रिपोर्ट के बाद जेल में बंद इन तीनों आरोपियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इधर, अंकित दास और लतीफ एसआईटी के सामने जान बचाने के लिए फायरिंग की बात स्वीकार कर चुके हैं। हालांकि अभी तक कई सवालों के जवाब नही मिले है कि हिसा के वक्त आशीष मिश्रा कहां था? आशीष और अंकित की गन किसने चलाई? डिप्टी सीएम केशव मौर्य के स्वागत में असलहों का रोल क्या था?
पुलिस ने घटना के बाद जिस पेट्रोल पंप और राइस मिल के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा था, उसकी रिपोर्ट भी एसआईटी को मिल चुकी है। रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया है कि फुटेज ओरिजिनल है और उनसे किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है। इन फुटेज में किसानों को कुचलने वाली थार जीप के पीछे फार्च्यूनर और एक अन्य गाड़ी जाती दिख रही है। गाड़ियों की रफ्तार से अंदाजा लग रहा कि ड्राइवर बेहद गुस्से में है। लेकिन कैमरा गाड़ियों के दाई तरफ होने से यह नहीं पता लगा पाया कि ड्राइवर के बगल वाली सीट पर कौन बैठा है?
लखीमपुर हिंसा के मामले में घटनास्थल से लिए गए खून के सैंपल की रिपोर्ट भी आ चुकी है। सीरोलॉजी रिपोर्ट में मौके पर पड़ा खून मानव शरीर का होने की पुष्टि हुई है। अब पब्लिक के मोबाइल फोन से मिले वीडियो की रिपोर्ट आनी बाकी है। 12 नवंबर को कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई है। ऐसे में जब्त किए गए 8 मोबाइल की रिपोर्ट भी जल्द आ सकती है।
हालांकि अंकित दास और लतीफ ने एसआईटी के सामने ही जान बचाने के लिए फायरिंग की बात स्वीकार की थी। अंकित ने पूछताछ में बताया था कि बनवीरपुर जाते वक्त सड़क पर किसानों का हुजूम दिखा था। जिसकी जानकारी आशीष को दी थी। वहां से मंत्री की अगुवाई के लिए गया था। लौटते वक्त थार के पीछे मैं काली फॉर्च्यूनर में था। थार हरिओम और मेरी गाड़ी शेखर चला रहा था।
दुर्घटना के बाद पथराव व फायरिंग होने पर हम लोग भी जान बचाकर फायरिंग करते हुए भागे। नहीं करते तो मौके पर ही मार दिए जाते। आगजनी में असलहा के लाइसेंस भी जल गए। घटना के बाद भाग कर निघासन थाने पहुंचे। जहां विवाद की सूचना दी। काफी देर बाद वहां से निकलकर लखनऊ घर आए। जहां से होटल और फिर नेपाल भाग गए थे।
यहां बता दें कि 3 अक्टूबर को किसानों ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र का विरोध करते हुए काले झंडे दिखाए थे। इसी दौरान एक गाड़ी ने किसानों को कुचल दिया था। इसमें चार किसानों की मौत हो गई थी और हिंसा भड़क गई थी। आरोप है कि हिंसा के दौरान किसानों ने एक ड्राइवर समेत चार लोगों को पीट-पीटकर मार डाला था। इसमें एक पत्रकार भी मारा गया था।
-आशीष, उसके दोस्त और गनर की बंदूकों से हुई थी फायरिंग
-आशीष, अंकित और लतीफ समेत 13 से अधिक आरोपी हैं जेल में
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